शैलपुत्री माता की कथा | Shailputri Mata Ki Vrat Katha Hindi PDF Summary
नमस्कार पाठकों, इस लेख के माध्यम से आप शैलपुत्री माता की कथा PDF / Shailputri Mata Vrat Katha PDF in Hindi में प्राप्त कर सकते हैं। हिन्दू धार्मिक मान्यताओं के अनुसार नवरात्रि उत्सव के प्रथम दिवस के अवसर पर माता शैलपुत्री की पूजा – आराधना की जाती है। हिन्दू धर्म ग्रन्थों में वर्णित कथाओं के अनुसार माता शैलपुत्री पूर्व जन्म में देवी सती के रूप में अवतरित हुईं थीं। ऐसा कहा जाता है कि माता शालपुत्री ने हैमवती स्वरूप से देवताओं का गर्व-भंजन किया था।
देवी शैलपुत्री का जन्म पर्वतराज हिमालय की पुत्री के रूप में हुआ था। यही कारण है कि उन्हें देवी शैलपुत्री के रूप में जाना जाता है। नवरात्रि का आरंभ ही माता शैलपुत्री के व्रत से किया जाता है। माता शैलपुत्री की विधिवत पूजा करने से व्यक्ति के जीवन में सुख – शांति का आगमन होता है। माता शैलपुत्री के जीवन से हमें तप तथा साधना के महत्व के क्षेत्र में अग्रसर होने की प्रेरणा मिलती है। उन्होंने ने अपने कठोर तप के बल पर भगवान् शिव के साथ विवाह की मनोकामना को पूर्ण किया।
हिन्दू पूजन के विधि – विधान में विभिन्न प्रकार की कथाओं को सुनने व पढ़ने का भी का अत्यंत महत्व है। देवी शैलपुत्री की पूजन में माता शैलपुत्री की व्रत कथा का वाचन किया जाता है। माता जी कथा को सुनने से हमें उनकी महिमा के बारे में जानने का अवसर प्राप्त होता है। यदि आप भी नवदुर्गा में अपने घर पर माता जी की स्थापना कर रहे हैं तो अपने परिजनों के साथ इस कथा का श्रवण भी अवश्य करें। इस कथा को आप शैलपुत्री माता की कथा pdf में से देखकर पढ़ सकते हैं।
शैलपुत्री माता की कथा / Shailputri Mata Katha in Hindi
एक बार जब प्रजापति ने यज्ञ किया तो इसमें सारे देवताओं को निमंत्रित किया, भगवान शंकर को नहीं। सती यज्ञ में जाने के लिए विकल हो उठीं। शंकरजी ने कहा कि सारे देवताओं को निमंत्रित किया गया है, उन्हें नहीं। ऐसे में वहां जाना उचित नहीं है।
सती का प्रबल आग्रह देखकर शंकरजी ने उन्हें यज्ञ में जाने की अनुमति दे दी। सती जब घर पहुंचीं तो सिर्फ मां ने ही उन्हें स्नेह दिया। बहनों की बातों में व्यंग्य और उपहास के भाव थे। भगवान शंकर के प्रति भी तिरस्कार का भाव है। दक्ष ने भी उनके प्रति अपमानजनक वचन कहे। इससे सती को क्लेश पहुंचा।
वे अपने पति का यह अपमान न सह सकीं और योगाग्नि द्वारा अपने को जलाकर भस्म कर लिया। इस दारुण दुःख से व्यथित होकर शंकर भगवान ने उस यज्ञ का विध्वंस करा दिया। यही सती अगले जन्म में शैलराज हिमालय की पुत्री के रूप में जन्मीं और शैलपुत्री कहलाईं।
पार्वती और हेमवती भी इसी देवी के अन्य नाम हैं। शैलपुत्री का विवाह भी भगवान शंकर से हुआ। शैलपुत्री शिवजी की अर्द्धांगिनी बनीं। इनका महत्व और शक्ति अनंत है।
माँ शैलपुत्री की आरती / Maa Shailputri Aarti PDF
शैलपुत्री माँ बैल असवार।करें देवता जय जय कार॥
शिव-शंकर की प्रिय भवानी।तेरी महिमा किसी ने न जानी॥
पार्वती तू उमा कहलावें।जो तुझे सुमिरे सो सुख पावें॥
रिद्धि सिद्धि परवान करें तू।दया करें धनवान करें तू॥
सोमवार को शिव संग प्यारी।आरती जिसने तेरी उतारी॥
उसकी सगरी आस पुजा दो।सगरे दुःख तकलीफ मिटा दो॥
घी का सुन्दर दीप जला के।गोला गरी का भोग लगा के॥
श्रद्धा भाव से मन्त्र जपायें।प्रेम सहित फिर शीश झुकायें॥
जय गिरराज किशोरी अम्बे।शिव मुख चन्द्र चकोरी अम्बे॥
मनोकामना पूर्ण कर दो।चमन सदा सुख सम्पत्ति भर दो॥
नवदुर्गा पूजा संकल्प मंत्र / Navratri Puja Sankalp Mantra
ॐ विष्णुः विष्णुः विष्णुः, अद्य ब्राह्मणो वयसः परार्धे श्रीश्वेतवाराहकल्पे जम्बूद्वीपे भारतवर्षे, अमुकनामसम्वत्सरे
आश्विनशुक्लप्रतिपदे अमुकवासरे प्रारभमाणे नवरात्रपर्वणि एतासु नवतिथिषु
अखिलपापक्षयपूर्वक-श्रुति-स्मृत्युक्त-पुण्यसमवेत-सर्वसुखोपलब्धये संयमादिनियमान् दृढ़ं पालयन् अमुकगोत्रः
अमुकनामाहं भगवत्याः दुर्गायाः प्रसादाय व्रतं विधास्ये।
माँ शैलपुत्री पूजा मंत्र / Maa Shailputri Puja Mantra
वन्दे वांच्छितलाभाय चंद्रार्धकृतशेखराम् ।
वृषारूढ़ां शूलधरां शैलपुत्रीं यशस्विनीम् ॥
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