कात्यायनी माता कथा | Maa Katyayani Vrat Katha & Pooja Vidhi Hindi PDF Summary
नमस्कार पाठकों, इस लेख के माध्यम से आप माँ कात्यायनी देवी व्रत कथा PDF / Maa Katyayani Vrat Katha & Pooja Vidhi PDF प्राप्त कर सकते हैं। नवरात्रि के छठे दिन माता कात्यायनी की व्रत कथा पढ़ी जाती है। पौराणिक कथाओं के अनुसार एक महर्षि कात्यायन थे जिनकी कोई पुत्री नहीं थी। एक दिन उन्होंने भगवती जगदम्बा को अपनी पुत्री के रूप में पाने की इच्छा से घोर तपस्या की।
माता जगदम्बा उनकी घोर तपस्या से प्रसन्न हुई और उन्होंने महर्षि कात्यायन के यहाँ माता कात्यायनी के रूप में जन्म लिया और माँ कात्यायनी के नाम से प्रसिद्ध हुईं। महर्षि कात्यायन की पुत्री के रूप में जन्म लेने वाली माँ कात्यायनी अत्यंत गुणी कन्या थीं। पूरी दुनिया में उनके जैसी गुणी, सुंदर और ज्ञानी लड़की नहीं थी।
कात्यायनी माता कथा PDF / Maa Katyayani Devi Vrat Katha PDF in Hindi
पौराणि कथा के अनुसार महार्षि कात्यायन ने मां आदिशक्ति की घोर तपस्या की थी। उनकी तपस्या से प्रसन्न होकर मां ने उन्हें उनके यहां पुत्री रूप में जन्म लेने का वरदान दिया था। मां का जन्म महार्षि कात्यान के आश्राम में ही हुआ था। मां का लालन पोषण कात्यायन ऋषि ने ही किया था। पुराणों के अनुसार जिस समय महिषासुर नाम के राक्षस का अत्याचार बहुत अधिक बढ़ गया था। उस समय त्रिदेवों के तेज से मां की उत्पत्ति हुई थी। मां ने ऋषि कात्यायन के यहां अश्विन मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी के दिन जन्म लिया था।
इसके बाद ऋषि कात्यायन ने उनका तीन दिनों तक पूजन किया था। मां ने दशमी तिथि के दिन महिषासुर का अंत किया थाइसके बाद शुम्भ और निशुम्भ ने भी स्वर्गलोक पर आक्रमण करके इंद्र का सिंहासन छिन लिया था और नवग्रहों को बंधक बना लिया था। अग्नि और वायु का बल पूरी तरह उन्होंने छीन लिया था। उन दोनों ने देवताओं का अपमान करके उन्हें स्वर्ग से निकल दिया था।
इसके बाद सभी देवताओं ने मां की स्तुति की इसके बाद मां ने शुंभ और निशुंभ का भी वध करके देवताओं को इस संकट से मुक्ति दिलाई थी। क्योंकि मां ने देवताओं को वरदान दिया था कि वह संकट के समय में उनकी रक्षा अवश्य करेंगी।
कात्यायनी देवी पूजा विधि PDF / Katyayani Devi Pooja Vidhi PDF in Hindi
- मां कात्यायनी की पूजा करने से पहले साधक को शुद्ध होने की आवश्यकता है।
- साधक को पहले स्नान करके साफ वस्त्र धारण करने चाहिए।
- इसके बाद पहले कलश की स्थापना करके सभी देवताओं की पूजा करनी चाहिए।
- उसके बाद ही मां कात्यायनी की पूजा आरंभ करनी चाहिए।
- पूजा शुरु करने से पहले हाथ में फूल लेकर या देवी सर्वभूतेषु शक्ति रूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:॥ मंत्र का जाप करते हुए फूल को मां के चरणों में चढ़ा देना चाहिए।
- इसके बाद मां को लाल वस्त्र,3 हल्दी की गांठ,पीले फूल, फल, नैवेध आदि चढाएं और मां कि विधिवत पूजा करें। उनकी कथा अवश्य सुने।
- अंत में मां की आरती उतारें और इसके बाद मां को शहद से बने प्रसाद का भोग लगाएं। क्योंकि मां को शहद अत्याधिक प्रिय है । भोग लगाने के बाद प्रसाद का वितरण करें।
कात्यायनी माता आरती
जय जय अंबे जय कात्यायनी ।
जय जगमाता जग की महारानी ।।
बैजनाथ स्थान तुम्हारा।
वहां वरदाती नाम पुकारा ।।
कई नाम हैं कई धाम हैं।
यह स्थान भी तो सुखधाम है।।
हर मंदिर में जोत तुम्हारी।
कहीं योगेश्वरी महिमा न्यारी।।
हर जगह उत्सव होते रहते।
हर मंदिर में भक्त हैं कहते।।
कात्यायनी रक्षक काया की।
ग्रंथि काटे मोह माया की ।।
झूठे मोह से छुड़ानेवाली।
अपना नाम जपानेवाली।।
बृहस्पतिवार को पूजा करियो।
ध्यान कात्यायनी का धरियो।।
हर संकट को दूर करेगी।
भंडारे भरपूर करेगी ।।
जो भी मां को भक्त पुकारे।
कात्यायनी सब कष्ट निवारे।।
माता कात्यायनी पूजन मंत्र / Mata Katyayani Puja Mantra
ॐ देवी कात्यायन्यै नमः॥
Om Devi Katyayanyai Namah॥
माता कात्यायनी प्रार्थना / Mata Katyayani Prarthana
चन्द्रहासोज्ज्वलकरा शार्दूलवरवाहना।
कात्यायनी शुभं दद्याद् देवी दानवघातिनी॥
Chandrahasojjvalakara Shardulavaravahana।
Katyayani Shubham Dadyad Devi Danavaghatini॥
माता कात्यायनी स्तुति / Mata Katyayani Stuti
या देवी सर्वभूतेषु माँ कात्यायनी रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥
Ya Devi Sarvabhuteshu Ma Katyayani Rupena Samsthita।
Namastasyai Namastasyai Namastasyai Namo Namah॥
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