श्री ललिता सहस्रनाम स्तोत्र | Lalitha Sahasranamam Sanskrit - Description
ललिता सहस्रनाम स्तोत्रम् PDF का वर्णन ब्रह्माण्ड पुराण में पाया जाता है। श्री ललिता सहस्रनाम देवी ललिता को समर्पित एक दिव्य स्तोत्र है। देवी ललिता, देवी आदि शक्ति का एक रूप हैं जिनको देवी “षोडशी” एवं देवी “त्रिपुर सुन्दरी” के नाम से भी पूजा जाता है। देवी दुर्गा, काली, पार्वती, लक्ष्मी, सरस्वती तथा देवी भगवती की पूजा-आराधना में भी ललिता सहस्रनाम फलश्रुति एवं श्री ललिता सहस्रनाम स्तोत्र पाठ का प्रयोग किया जाता है। ललिता सहस्रनाम अनुष्ठान करने से व्यक्ति को देवी माँ की विशेष कृपा प्राप्त होती है तथा उस पर आने वाली समस्त प्रकार की विपत्तियों का नाश होता है। अनेक भक्तों को ललिता सहस्रनाम अर्थ सहित कंठस्थ होता जिसके फलस्वरूप में उन्हें अनेक प्रकार के लाभ होते हैं। यहाँ से आप श्री ललिता सहस्रनाम स्तोत्रम् पीडीऍफ़ तथा ललिता सहस्रनाम फलश्रुति पीडीऍफ़ (Lalitha Sahasranamam Falshruti PDF) दोनों ही निशुल्क डाउनलोड कर सकते हैं।
श्री ललिता सहस्रनाम स्तोत्र लिरिक्स संस्कृत | Lalitha Sahasranamam Lyrics in Sanskrit :
॥ न्यासः ॥
अस्य श्रीललितासहस्रनामस्तोत्रमाला मन्त्रस्य ।
वशिन्यादिवाग्देवता ऋषयः ।
अनुष्टुप् छन्दः ।
श्रीललितापरमेश्वरी देवता ।
श्रीमद्वाग्भवकूटेति बीजम् ।
मध्यकूटेति शक्तिः ।
शक्तिकूटेति कीलकम् ।
श्रीललितामहात्रिपुरसुन्दरी-प्रसादसिद्धिद्वारा
चिन्तितफलावाप्त्यर्थे जपे विनियोगः ।
॥ ध्यानम् ॥
सिन्दूरारुण विग्रहां त्रिनयनां माणिक्यमौलि स्फुरत्
तारा नायक शेखरां स्मितमुखी मापीन वक्षोरुहाम् ।
पाणिभ्यामलिपूर्ण रत्न चषकं रक्तोत्पलं बिभ्रतीं
सौम्यां रत्न घटस्थ रक्तचरणां ध्यायेत् परामम्बिकाम् ॥
अरुणां करुणा तरङ्गिताक्षीं
धृत पाशाङ्कुश पुष्प बाणचापाम् ।
अणिमादिभि रावृतां मयूखै-
रहमित्येव विभावये भवानीम् ॥
ध्यायेत् पद्मासनस्थां विकसितवदनां पद्मपत्रायताक्षीं
हेमाभां पीतवस्त्रां करकलितलसद्धेमपद्मां वराङ्गीम् ।
सर्वालङ्कार युक्तां सतत मभयदां भक्तनम्रां भवानीं
श्रीविद्यां शान्त मूर्तिं सकल सुरनुतां सर्व सम्पत्प्रदात्रीम् ॥
सकुङ्कुम विलेपनामलिकचुम्बि कस्तूरिकां
समन्द हसितेक्षणां सशर चाप पाशाङ्कुशाम् ।
अशेषजन मोहिनीं अरुण माल्य भूषाम्बरां
जपाकुसुम भासुरां जपविधौ स्मरे दम्बिकाम् ॥
॥ अथ श्रीललितासहस्रनामस्तोत्रम् ॥
ॐ श्रीमाता श्रीमहाराज्ञी श्रीमत्-सिंहासनेश्वरी ।
चिदग्नि-कुण्ड-सम्भूता देवकार्य-समुद्यता ॥ १॥
उद्यद्भानु-सहस्राभा चतुर्बाहु-समन्विता ।
रागस्वरूप-पाशाढ्या क्रोधाकाराङ्कुशोज्ज्वला ॥ २॥
मनोरूपेक्षु-कोदण्डा पञ्चतन्मात्र-सायका ।
निजारुण-प्रभापूर-मज्जद्ब्रह्माण्ड-मण्डला ॥ ३॥
चम्पकाशोक-पुन्नाग-सौगन्धिक-लसत्कचा ।
कुरुविन्दमणि-श्रेणी-कनत्कोटीर-मण्डिता ॥ ४॥
अष्टमीचन्द्र-विभ्राज-दलिकस्थल-शोभिता ।
मुखचन्द्र-कलङ्काभ-मृगनाभि-विशेषका ॥ ५॥
वदनस्मर-माङ्गल्य-गृहतोरण-चिल्लिका ।
वक्त्रलक्ष्मी-परीवाह-चलन्मीनाभ-लोचना ॥ ६॥
नवचम्पक-पुष्पाभ-नासादण्ड-विराजिता ।
ताराकान्ति-तिरस्कारि-नासाभरण-भासुरा ॥ ७॥
कदम्बमञ्जरी-कॢप्त-कर्णपूर-मनोहरा ।
ताटङ्क-युगली-भूत-तपनोडुप-मण्डला ॥ ८॥
पद्मराग-शिलादर्श-परिभावि-कपोलभूः ।
नवविद्रुम-बिम्बश्री-न्यक्कारि-रदनच्छदा ॥ ९॥ or दशनच्छदा
शुद्ध-विद्याङ्कुराकार-द्विजपङ्क्ति-द्वयोज्ज्वला ।
कर्पूर-वीटिकामोद-समाकर्षि-दिगन्तरा ॥ १०॥
निज-सल्लाप-माधुर्य-विनिर्भर्त्सित-कच्छपी । or निज-संलाप
मन्दस्मित-प्रभापूर-मज्जत्कामेश-मानसा ॥ ११॥
अनाकलित-सादृश्य-चिबुकश्री-विराजिता । or चुबुकश्री
कामेश-बद्ध-माङ्गल्य-सूत्र-शोभित-कन्धरा ॥ १२॥
कनकाङ्गद-केयूर-कमनीय-भुजान्विता ।
रत्नग्रैवेय-चिन्ताक-लोल-मुक्ता-फलान्विता ॥ १३॥
कामेश्वर-प्रेमरत्न-मणि-प्रतिपण-स्तनी ।
नाभ्यालवाल-रोमालि-लता-फल-कुचद्वयी ॥ १४॥
लक्ष्यरोम-लताधारता-समुन्नेय-मध्यमा ।
स्तनभार-दलन्मध्य-पट्टबन्ध-वलित्रया ॥ १५॥
अरुणारुण-कौसुम्भ-वस्त्र-भास्वत्-कटीतटी ।
रत्न-किङ्किणिका-रम्य-रशना-दाम-भूषिता ॥ १६॥
कामेश-ज्ञात-सौभाग्य-मार्दवोरु-द्वयान्विता ।
माणिक्य-मुकुटाकार-जानुद्वय-विराजिता ॥ १७॥
इन्द्रगोप-परिक्षिप्त-स्मरतूणाभ-जङ्घिका ।
गूढगुल्फा कूर्मपृष्ठ-जयिष्णु-प्रपदान्विता ॥ १८॥
नख-दीधिति-संछन्न-नमज्जन-तमोगुणा ।
पदद्वय-प्रभाजाल-पराकृत-सरोरुहा ॥ १९॥
सिञ्जान-मणिमञ्जीर-मण्डित-श्री-पदाम्बुजा । or शिञ्जान
मराली-मन्दगमना महालावण्य-शेवधिः ॥ २०॥
सर्वारुणाऽनवद्याङ्गी सर्वाभरण-भूषिता ।
शिव-कामेश्वराङ्कस्था शिवा स्वाधीन-वल्लभा ॥ २१॥
नोट :- यहाँ हमने श्री ललिता सहस्रनाम के २१ श्लोक लिखे हैं, सम्पूर्ण स्तोत्र को पढ़ने के लिए नीचे दिए हुए डाउनलोड बटन से आप निशुल्क ललिता सहस्रनाम पीडीएफ डाउनलोड कर सकते हैं।
श्री ललिता सहस्रनाम पाठ के लाभ | Lalitha Sahasranamam Benefits in Hindi/Sanskrit :
- श्री ललिता सहस्रनाम के पाठ से व्यक्ति के चरित्र में सम्मोहन की शक्ति में वृद्धि होती है।
- यह दिव्य स्तोत्र व्यक्ति की आकस्मिक मृत्यु नहीं होने देता तथा साधक के जीवन में आने वाली दुर्घटनाओं से उसकी रक्षा करता है।
- यह स्तोत्र देवी आदि शक्ति का साक्षात स्वरुप है, अतः इसका प्रतिदिन पाठ करने वाले साधक के शत्रुओं का देवी माँ सर्वनाश कर देती हैं।
- जिस घर में ललिता सहस्रनाम का पाठ होता है उस घर में कभी चोरी नहीं होती।
- जो व्यक्ति पूर्ण भक्ति भाव से इस स्तोत्र का पाठ करता है उसे अग्नि कभी हानि नहीं पहुँचाती।
- जिस घर में छः माह तक नियमित श्री ललिता सहस्रनाम का पाठ किया जाता है उस घर में सदा देवी लक्ष्मी निवास करती हैं।
- एक माह तक नियमित पाठ करने से व्यक्ति की जिह्वा पर देवी सरस्वती विराजमान होती हैं।
- श्री ललिता सहस्रनाम के प्रभाव से व्यक्ति को सुख–समृद्धि की प्राप्ति होती है।
श्री ललिता सहस्रनाम पाठ विधि | Lalitha Sahasranamam Path Vidhi Hindi/Sanskrit :
- वैसे तो आप प्रतिदिन इस दिव्य स्तोत्र का पाठ कर सकते हैं किन्तु ऐसा संभव न होने की स्थिति में दक्षिणायन, उत्तरायण, नवमी, चतुर्दशी, संक्रान्ति तथा पूर्णिमा को श्री ललिता सहस्रनाम स्तोत्र का पाठ अवश्य करना चाहिए। सप्ताह में प्रत्येक शुक्रवार को इस स्तोत्र का पाठ करना लाभकारी होता है।
- सर्वप्रथम स्नान करके श्वेत या लाल वस्त्र धारण कर एक आसन पर पद्मासन में बैठ जाएँ।
- एक लकड़ी की चौकी पर लाल वस्त्र बिछा कर देवी ललिता की प्रतिमा या छायाचित्र स्थापित करें।
- अब देवी का आवाहन कर उन्हें आसन ग्रहण करवाएं।
- आसन ग्रहण करवाने के पश्चात देवी को स्नान व वस्त्र अर्पण करें।
- तत्पश्चात देवी को धुप, दीप, सुगन्ध, पुष्प व नैवेद्य आदि अर्पित करें।
- पूर्ण निष्ठा से श्री ललिता सहस्रनाम का पाठ करें।
- पाठ सम्पूर्ण होने पर देवी ललिता की आरती करें व आशीर्वाद ग्रहण करें।
श्री ललिता सहस्रनाम विशेष उपाय :- इस स्तोत्र का पाठ करते समय अपने समक्ष एक पात्र में शुद्ध जल भरकर रखें तथा पाठ सम्पन्न होने के पश्चात उस जल को पूरे घर में तथा स्वयं पर छिड़कें। इस प्रयोग से घर से नकारात्मक ऊर्जा समाप्त होती है तथा सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है।
श्री ललिता सहस्रनाम स्तोत्र संस्कृत पीडीऍफ़ तथा सहस्रनाम फलश्रुति पीडीऍफ़ को निशुल्क डाउनलोड करने के लिए नीचे दिए हुए डाउनलोड बटन पर क्लिक करें।
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