श्री लक्ष्मी सहस्रनाम स्तोत्र | Lakshmi Sahasranama Stotram Hindi PDF Summary
नमस्कार पाठकों, इस लेख के माध्यम से आप श्री लक्ष्मी सहस्रनाम स्तोत्र PDF डाउनलोड कर सकते हैं। श्री लक्ष्मी सहस्रनाम स्तोत्र माता लक्ष्मी को समर्पित बहुत ही महत्वपूर्ण स्तोत्र है। माता लक्ष्मी की कृपा से व्यक्ति के जीवन में आने वाली सभी धन सम्बंधित समस्याओं का नाश होता है। माता लक्ष्मी धन – वैभव की देवी हैं तथा वह अपने भक्तों के दुःख – दारिद्य को हर लेती हैं।
यदि आप अपने जीवन में देवी लक्ष्मी की कृपा प्राप्त करना चाहते हैं तो अपने घर में प्रतिदिन श्री लक्ष्मी सहस्रनाम स्तोत्र का पाठ अवश्य करें। यदि आप प्रति दिन पाठ करने में असमर्थ हैं तो केवल शुक्रवार के दिन इस दिव्य स्तोत्र का पाठ कर सकते हैं तथा अपने जीवन में माता की विशेष कृपा प्राप्त कर सकते हैं।
श्री लक्ष्मी सहस्रनाम स्तोत्र तथा सिद्ध लक्ष्मी स्तोत्र का नियमित पाठ करने से लक्ष्मी जी खुश होकर अपने भक्तों की हर मनोकामना पूरी करती हैं। जो भी भक्तजन आर्थिक रूप से परेशान है उन्हें वैभव लक्ष्मी का व्रत रखना चाहिए और वैभव लक्ष्मी व्रत कथा सुननी चाहिए ऐसा करने से मैया अपने भक्तों पर खूब धनवर्षा करती हैं। महालक्ष्मी अष्टकम तथा श्री महालक्ष्मी कवच का ध्यान करने से लक्ष्मी माता अत्यंत प्रशन्न हो जाती है और खूब कृपा बरसाती हैं। भक्तजनों को महालक्ष्मी मंत्र का जाप करते रहना चाहिए। सच्चे मन से माता की पूजा- अर्चना कर के लक्ष्मी जी की आरती भी अवश्य करनी चाहिए।
श्री लक्ष्मी सहस्त्रनाम स्तोत्रम / Sri Lakshmi Sahasranama Stotram Lyrics in Sanskrit
श्रीस्कन्दपुराणे सनत्कुमारसंहितायाम् ।
श्रीगणेशाय नमः ।
हरिः ॐ ।
नाम्नां साष्टसहस्रञ्च ब्रूहि गार्ग्य महामते ।
महालक्ष्म्या महादेव्या भुक्तिमुक्त्यर्थसिद्धये ॥ १॥
गार्ग्य उवाच-
सनत्कुमारमासीनं द्वादशादित्यसन्निभम् ।
अपृच्छन्योगिनो भक्त्या योगिनामर्थसिद्धये ॥ २॥
सर्वलौकिककर्मभ्यो विमुक्तानां हिताय वै ।
भुक्तिमुक्तिप्रदं जप्यमनुब्रूही दयानिधे ॥ ३॥
सनत्कुमार भगवन्सर्वज्ञोऽसि विशेषतः ।
आस्तिक्यसिद्धये नॄणां क्षिप्रधर्मार्थसाधनम् ॥ ४॥
खिद्यन्ति मानवास्सर्वे धनाभावेन केवलम् ।
सिद्ध्यन्ति धनिनोऽन्यस्य नैव धर्मार्थकामनाः ॥ ५॥
दारिद्र्यध्वंसिनी नाम केन विद्या प्रकीर्तिता ।
केन वा ब्रह्मविद्याऽपि केन मृत्युविनाशिनी ॥ ६॥
सर्वासां सारभूतैका विद्यानां केन कीर्तिता ।
प्रत्यक्षसिद्धिदा ब्रह्मन् तामाचक्ष्व दयानिधे ॥ ७॥
सनत्कुमार उवाच-
साधु पृष्टं महाभागास्सर्वलोकहितैषिणः ।
महतामेष धर्मश्च नान्येषामिति मे मतिः ॥ ८॥
ब्रह्मविष्णुमहादेवमहेन्द्रादिमहात्मभिः ।
सम्प्रोक्तं कथयाम्यद्य लक्ष्मीनामसहस्रकम् ॥ ९॥
यस्योच्चारणमात्रेण दारिद्र्यान्मुच्यते नरः ।
किं पुनस्तज्जपाज्जापी सर्वेष्टार्थानवाप्नुयात् ॥ १०॥
अस्य श्रीलक्ष्मीदिव्यसहस्रनामस्तोत्रमहामन्त्रस्य
आनन्दकर्दमचिक्लीतेन्दिरासुतादयो महात्मानो महर्षयः अनुष्टुप्छन्दः ।
विष्णुमाया शक्तिः महालक्ष्मीः परादेवता ।
श्रीमहालक्ष्मीप्रसादद्वारा सर्वेष्टार्थसिद्ध्यर्थे जपे विनियोगः ।
श्रीमित्यादि षडङ्गन्यासः ।
ध्यानम्-
पद्मनाभप्रियां देवीं पद्माक्षीं पद्मवासिनीम् ।
पद्मवक्त्रां पद्महस्तां वन्दे पद्मामहर्निशम् ॥ १॥
पूर्णेन्दुवदनां दिव्यरत्नाभरणभूषिताम् ।
वरदाभयहस्ताढ्यां ध्यायेच्चन्द्रसहोदरीम् ॥ २॥
इच्छारूपां भगवतस्सच्चिदानन्दरूपिणीम् ।
सर्वज्ञां सर्वजननीं विष्णुवक्षस्स्थलालयाम् ॥ ३॥
दयालुमनिशं ध्यायेत्सुखसिद्धिस्वरूपिणीम् ।
यथोपदेशं जपित्वा, यथाक्रमं देव्यै समर्प्य,
ततश्शाम्भवीमुद्रया लक्ष्मीमनुसन्धाय, नामसहस्रं जपेत् ।
हरिः ॐ ॥
नित्यागतानन्तनित्या नन्दिनी जनरञ्जनी ।
नित्यप्रकाशिनी चैव स्वप्रकाशस्वरूपिणी ॥ १॥
महालक्ष्मीर्महाकाली महाकन्या सरस्वती ।
भोगवैभवसन्धात्री भक्तानुग्रहकारिणी ॥ २॥
ईशावास्या महामाया महादेवी महेश्वरी ।
हृल्लेखा परमा शक्तिर्मातृकाबीजरूपिणी ॥ ३॥
नित्यानन्दा नित्यबोधा नादिनी जनमोदिनी ।
सत्यप्रत्ययनी चैव स्वप्रकाशात्मरूपिणी ॥ ४॥
त्रिपुरा भैरवी विद्या हंसा वागीश्वरी शिवा ।
वाग्देवी च महारात्रिः कालरात्रिस्त्रिलोचना ॥ ५॥
भद्रकाली कराली च महाकाली तिलोत्तमा ।
काली करालवक्त्रान्ता कामाक्षी कामदा शुभा ॥ ६॥
चण्डिका चण्डरूपेशा चामुण्डा चक्रधारिणी ।
त्रैलोक्यजयिनी देवी त्रैलोक्यविजयोत्तमा ॥ ७॥
सिद्धलक्ष्मीः क्रियालक्ष्मीर्मोक्षलक्ष्मीः प्रसादिनी ।
उमा भगवती दुर्गा चान्द्री दाक्षायणी शिवा ॥ ८॥
प्रत्यङ्गिरा धरावेला लोकमाता हरिप्रिया ।
पार्वती परमा देवी ब्रह्मविद्याप्रदायिनी ॥ ९॥
अरूपा बहुरूपा च विरूपा विश्वरूपिणी ।
पञ्चभूतात्मिका वाणी पञ्चभूतात्मिका परा ॥ १०॥
काली मा पञ्चिका वाग्मी हविःप्रत्यधिदेवता ।
देवमाता सुरेशाना देवगर्भाऽम्बिका धृतिः ॥ ११॥
सङ्ख्या जातिः क्रियाशक्तिः प्रकृतिर्मोहिनी मही ।
यज्ञविद्या महाविद्या गुह्यविद्या विभावरी ॥ १२॥ var विभावती
ज्योतिष्मती महामाता सर्वमन्त्रफलप्रदा ।
दारिद्र्यध्वंसिनी देवी हृदयग्रन्थिभेदिनी ॥ १३॥
सहस्रादित्यसङ्काशा चन्द्रिका चन्द्ररूपिणी ।
गायत्री सोमसम्भूतिस्सावित्री प्रणवात्मिका ॥ १४॥
शाङ्करी वैष्णवी ब्राह्मी सर्वदेवनमस्कृता ।
सेव्यदुर्गा कुबेराक्षी करवीरनिवासिनी ॥ १५॥
जया च विजया चैव जयन्ती चाऽपराजिता ।
कुब्जिका कालिका शास्त्री वीणापुस्तकधारिणी ॥ १६॥
सर्वज्ञशक्तिश्श्रीशक्तिर्ब्रह्मविष्णुशिवात्मिका ।
इडापिङ्गलिकामध्यमृणालीतन्तुरूपिणी ॥ १७॥
यज्ञेशानी प्रथा दीक्षा दक्षिणा सर्वमोहिनी ।
अष्टाङ्गयोगिनी देवी निर्बीजध्यानगोचरा ॥ १८॥
सर्वतीर्थस्थिता शुद्धा सर्वपर्वतवासिनी ।
वेदशास्त्रप्रमा देवी षडङ्गादिपदक्रमा ॥ १९॥
शिवा धात्री शुभानन्दा यज्ञकर्मस्वरूपिणी ।
व्रतिनी मेनका देवी ब्रह्माणी ब्रह्मचारिणी ॥ २०॥
एकाक्षरपरा तारा भवबन्धविनाशिनी ।
विश्वम्भरा धराधारा निराधाराऽधिकस्वरा ॥ २१॥
लक्ष्मी जी की आरती / Lakshmi Ji Ki Aarti Lyrics in Hindi
ॐ जय लक्ष्मी माता,मैया जय लक्ष्मी माता।
तुमको निशिदिन सेवत,हरि विष्णु विधाता॥
ॐ जय लक्ष्मी माता॥
उमा, रमा, ब्रह्माणी,तुम ही जग-माता।
सूर्य-चन्द्रमा ध्यावत,नारद ऋषि गाता॥
ॐ जय लक्ष्मी माता॥
दुर्गा रुप निरंजनी,सुख सम्पत्ति दाता।
जो कोई तुमको ध्यावत,ऋद्धि-सिद्धि धन पाता॥
ॐ जय लक्ष्मी माता॥
तुम पाताल-निवासिनि,तुम ही शुभदाता।
कर्म-प्रभाव-प्रकाशिनी,भवनिधि की त्राता॥
ॐ जय लक्ष्मी माता॥
जिस घर में तुम रहतीं,सब सद्गुण आता।
सब सम्भव हो जाता,मन नहीं घबराता॥
ॐ जय लक्ष्मी माता॥
तुम बिन यज्ञ न होते,वस्त्र न कोई पाता।
खान-पान का वैभव,सब तुमसे आता॥
ॐ जय लक्ष्मी माता॥
शुभ-गुण मन्दिर सुन्दर,क्षीरोदधि-जाता।
रत्न चतुर्दश तुम बिन,कोई नहीं पाता॥
ॐ जय लक्ष्मी माता॥
महालक्ष्मीजी की आरती,जो कोई जन गाता।
उर आनन्द समाता,पाप उतर जाता॥
ॐ जय लक्ष्मी माता॥
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