खाद्य जाल पर टिप्पणी PDF Summary
नमस्कार पाठकों, इस लेख के माध्यम से आप खाद्य जाल पर टिप्पणी PDF प्राप्त कर सकते हैं । खाद्य जाल एवं खाद्य श्रृंखला PDF न केवल हमारे विध्यार्थी जीवन के लिए अवश्यक है अपितु सामान्य जीवन में भी इस विषय पर ज्ञान होने एक व्यक्ति के लिए अत्यंत आवश्यक होता है ताकि वह प्रकृति के खाद्य चक्र को समझ सकें।
खाद्य जाल के अंतर्गत आप विभिन्न जीव – जंतुओं तथा उनके आहर – विहार के संदर्भ में ज्ञान अर्जित करते हैं जिसके माध्यम से आप यह जान पाते हैं कि प्रकृति ने किस प्रकार से प्रत्येक जीव के लिए प्रथक रूप से भोजन की व्यवस्था की है तथा प्रत्येक जीव एक दूसरे के ऊपर किस प्रकार निर्भर है ।
खाद्य जाल पर टिप्पणी PDF
खाद्य जल – एक आहार श्रृंखला आपस में जुड़ी होती है, अपनी भोजन आदतों के आधार पर एक प्राणी एक से अधिक श्रृंखलाओं से सम्बन्ध रखता है। आहार श्रृंखलाओं के इस जाल को खाद्य जाल कहते हैं। उदाहरण के लिये घास टिड्डों के द्वारा भी खायी जाती है और खरगोश या पशुओं के द्वारा भी और इन शाकाहारी को अपनी-अपनी भोजन आदत के अनुसार एक से अधिक मांसभक्षी खा सकते हैं- जैसे-मेढक, साँप, पक्षी या शेर अनियमित खाद्य श्रृंखला खाद्य जाल कहलाती है।
- पारिस्थितिक तंत्र में एक से अधिक खाद्य श्रृंखलाए आड़ी – तिरछी जुड़कर एक जाल के समान रचना बना लेती हैं, इसे खाद्य जाल कहते हैं अथवा खाद्य ऊर्जा का प्रवाह विभिन्न दिशाओं में होता है जिससे एक खाद्य श्रृंखला के जीव का सम्बन्ध दूसरी खाद्य श्रृंखला के जीव से हो जाता है तो इसे खाद्य जाल (Food Web) कहते है।
- इस प्रकार से कोई भी जीव एक से अधिक पोषण स्तरों से अपना भोजन प्राप्त कर सकता है। जैसे घास के पारिस्थितिक तंत्र में खरगोश के स्थान पर चूहे द्वारा घास का भक्षण कर लिया जाता है और चूहे का भक्षण सीधे बाज द्वारा भी हो सकता है
- ऐसा भी हो जाता है कि पहले सांप चूहे को खाये और फिर सांप बाज के द्वारा खा लिया जाये तथा घास को टिड्डा खाए ओर इसे छिपकली, बाज सीधे छिपकली को खा जाए जिसके परिणामस्वरूप सभी खाद्य श्रृंखलाएं मिलकर एक जाल बना लेती हैं यही खाद्य जल (Food web) होता है। घास के पारिस्थितिक तंत्र में खाद्य जाल के पांच के वैकल्पिक जाल हो सकते हैं।
1. घास खरगोश बाज – 2. घास टिडडा बाज – 3. घास टिडडा छिपकली बाज 4. घास चूहा बाज – 5. घास चूहा सांप बाज
खाद्य जाल के द्वारा पारिस्थितिक तंत्र में स्थिरता और संतुलन बना रहता है।