कात्यायनी माता की कथा | Katyayani Mata Ki Vrat Katha Hindi PDF Summary
नमस्कार पाठकों, इस लेख के माध्यम से आप कात्यायनी माता की कथा PDF / Katyayani Mata Ki Vrat Katha Aur Aarti PDF Hindi प्राप्त कर सकते हैं । कात्यायनी माता की पूजा – अर्चना नवरात्रि के छठवें दिन की जाती है । कात्यायनी माता देवी माँ के विभिन्न चमत्कारी रूपों में से एक हैं । देवी माँ को समर्पित 51 शक्ति पीठों में से एक श्री कात्यायनी शक्तिपीठ उत्तर प्रदेश के वृन्दावन नामक स्थान पर सुशोभित है । यह स्थान अत्यधिक सिद्ध एवं चमत्कारी हैं ।माता कात्यायनी अपने भक्तों के जीवन से समस्त प्रकार के संकटों को हर के उसकी सभी प्रकार की मनोकामनायेँ पूर्ण करती हैं ।
यदि आप भी माता कात्यायनी को प्रसन्न करके उनकी कृपा प्राप्त करना चाहते हैं तो नवरात्रि के छठवें दिन पूर्ण भक्तिभाव से माता रानी का पूजन अवश्य करें तथा कथा भी पढ़ें । ऐसा करने से माँ कात्यायनी आपकी समस्त मनोकामनाएँ पूर्ण करेंगी तथा आपकी एवं आपके कुटुम्ब की सभी प्रकार के अज्ञात संकटों से रक्षा भी करेंगी।
कात्यायनी माता की कथा | Katyayani Mata Ki Vrat Katha Aur Aarti PDF
माँ का नाम कात्यायनी कैसे पड़ा इसकी भी एक कथा है- कत नामक एक प्रसिद्ध महर्षि थे। उनके पुत्र ऋषि कात्य हुए। इन्हीं कात्य के गोत्र में विश्वप्रसिद्ध महर्षि कात्यायन उत्पन्न हुए थे। इन्होंने भगवती पराम्बा की उपासना करते हुए बहुत वर्षों तक बड़ी कठिन तपस्या की थी। उनकी इच्छा थी माँ भगवती उनके घर पुत्री के रूप में जन्म लें।
माँ भगवती ने उनकी यह प्रार्थना स्वीकार कर ली। कुछ समय पश्चात जब दानव महिषासुर का अत्याचार पृथ्वी पर बढ़ गया तब भगवान ब्रह्मा, विष्णु, महेश तीनों ने अपने-अपने तेज का अंश देकर महिषासुर के विनाश के लिए एक देवी को उत्पन्न किया। महर्षि कात्यायन ने सर्वप्रथम इनकी पूजा की। इसी कारण से यह कात्यायनी कहलाईं। ऐसी भी कथा मिलती है कि ये महर्षि कात्यायन के वहाँ पुत्री रूप में उत्पन्न हुई थीं। आश्विन कृष्ण चतुर्दशी को जन्म लेकर शुक्त सप्तमी, अष्टमी तथा नवमी तक तीन दिन इन्होंने कात्यायन ऋषि की पूजा ग्रहण कर दशमी को महिषासुर का वध किया था। माँ कात्यायनी अमोघ फलदायिनी हैं। भगवान कृष्ण को पतिरूप में पाने के लिए ब्रज की गोपियों ने इन्हीं की पूजा कालिन्दी-यमुना के तट पर की थी। ये ब्रजमंडल की अधिष्ठात्री देवी के रूप में प्रतिष्ठित हैं।
माँ कात्यायनी का स्वरूप अत्यंत चमकीला और भास्वर है। इनकी चार भुजाएँ हैं। माताजी का दाहिनी तरफ का ऊपरवाला हाथ अभयमुद्रा में तथा नीचे वाला वरमुद्रा में है। बाईं तरफ के ऊपरवाले हाथ में तलवार और नीचे वाले हाथ में कमल-पुष्प सुशोभित है। इनका वाहन सिंह है। माँ कात्यायनी की भक्ति और उपासना द्वारा मनुष्य को बड़ी सरलता से अर्थ, धर्म, काम, मोक्ष चारों फलों की प्राप्ति हो जाती है। वह इस लोक में स्थित रहकर भी अलौकिक तेज और प्रभाव से युक्त हो जाता है।
कात्यायनी माता की पूजा विधि / Katyayani Mata Pooja Vidhi PDF in Hindi
- मां कात्यायनी की पूजा करने से पहले साधक को शुद्ध होने की आवश्यकता है।
- साधक को पहले स्नान करके साफ वस्त्र धारण करने चाहिए।
- इसके बाद पहले कलश की स्थापना करके सभी देवताओं की पूजा करनी चाहिए।
- उसके बाद ही मां कात्यायनी की पूजा आरंभ करनी चाहिए।
- पूजन आरंभ करने से पहले हाथ में फूल लेकर
या देवी सर्वभूतेषु शक्ति रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:॥
- मंत्र का जाप करते हुए फूल को मां के चरणों में चढ़ा देना चाहिए।
- इसके बाद मां को लाल वस्त्र,3 हल्दी की गांठ,पीले फूल, फल, नैवेध आदि चढाएं और मां कि विधिवत पूजा करें।
- उनकी कथा अवश्य सुने।
- अंत में मां की आरती उतारें
- इसके बाद मां को शहद से बने प्रसाद का भोग लगाएं।
- क्योंकि मां को शहद अत्याधिक प्रिय है ।
- भोग लगाने के बाद प्रसाद का वितरण करें।
कात्यायनी माता की आरती Lyrics / Katyayani Mata Ki Aarti Lyrics PDF
जय जय अंबे जय कात्यायनी।
जय जगमाता जग की महारानी॥
बैजनाथ स्थान तुम्हारी।
वहां वरदानी नाम पुकारा॥
कई नाम है कई धाम हैं।
यह स्थान भी तो सुखधाम है॥
हर मंदिर में जोत तुम्हारी।
कही योगेश्वरी महिमा न्यारी॥
हर जगह उत्सव होते रहते।
हर मंदिर में भक्त हैं कहते॥
कात्यायनी रक्षक काया की।
ग्रंथि काटे मोह माया की॥
झूठे मोह से छुड़ानेवाली।
अपना नाम जपनेवाली॥
बृहस्पतिवार को पूजा करियो।
ध्यान कात्यायनी का धरियो॥
हर संकट को दूर करेगी।
भंडारे भरपूर करेगी॥
जो भी माँ को भक्त पुकारे।
कात्यायनी सब कष्ट निवारे॥
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