कात्यायनी माता की आरती | Katyayani Mata Ki Aarti Hindi PDF Summary
नमस्कार पाठकों, इस लेख के माध्यम से आप कात्यायनी माता की आरती PDF / Katyayani Mata Ki Aarti PDF प्राप्त कर सकते हैं । हिन्दू सनातन धर्म में नवरात्रि के उत्सव के नौ दिनो को देवी भक्ति के लिए सर्वाधिक उपयुक्त माना गया है । नवरात्रि के छठवें दिन माता कात्यायनी का पूजन किया जाता है।
माता कात्यायनी जी का सर्वाधिक प्रसिद्ध मंदिर वृन्दावन में स्थित है । ऐसा कहा जाता है कि इस स्थान पर देवी सती के केश गिरे थे तभी से यहाँ माता कात्यायनी जी के रूप का पूजन किया जाता है । यहा स्थान देवी माता के 51 शक्तिपीठों में से एक है तथा देश – विदेश से यहाँ श्रद्धालु माता के दर्शनों का लाभ प्राप्त करने आते हैं।
माता कात्यायनी का रूप सबका कल्याण करने वाला है। उनके आशीर्वाद से व्यक्ति के जीवन में आने वाले विभिन्न प्रकार के संकट टल जाते हैं तथा व्यक्ति जीवन के हर क्षेत्र में प्रगति करता है। यदि आप माता का पूजन कर रहे हैं तो पूजन के उपरांत माता कात्यायनी की आरती अवश्य करें तथा आरती के उपरांत क्षमा याचना करें।
कात्यायनी माता की आरती Lyrics / Katyayani Mata Ki Aarti Lyrics PDF
जय जय अंबे जय कात्यायनी।
जय जगमाता जग की महारानी॥
बैजनाथ स्थान तुम्हारी।
वहां वरदानी नाम पुकारा॥
कई नाम है कई धाम हैं।
यह स्थान भी तो सुखधाम है॥
हर मंदिर में जोत तुम्हारी।
कही योगेश्वरी महिमा न्यारी॥
हर जगह उत्सव होते रहते।
हर मंदिर में भक्त हैं कहते॥
कात्यायनी रक्षक काया की।
ग्रंथि काटे मोह माया की॥
झूठे मोह से छुड़ानेवाली।
अपना नाम जपनेवाली॥
बृहस्पतिवार को पूजा करियो।
ध्यान कात्यायनी का धरियो॥
हर संकट को दूर करेगी।
भंडारे भरपूर करेगी॥
जो भी माँ को भक्त पुकारे।
कात्यायनी सब कष्ट निवारे॥
कात्यायनी माता की पूजा विधि / Katyayani Mata Pooja Vidhi PDF in Hindi
- मां कात्यायनी की पूजा करने से पहले साधक को शुद्ध होने की आवश्यकता है।
- साधक को पहले स्नान करके साफ वस्त्र धारण करने चाहिए।
- इसके बाद पहले कलश की स्थापना करके सभी देवताओं की पूजा करनी चाहिए।
- उसके बाद ही मां कात्यायनी की पूजा आरंभ करनी चाहिए।
- पूजा शुरु करने से पहले हाथ में फूल लेकर
या देवी सर्वभूतेषु शक्ति रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:॥
मंत्र का जाप करते हुए फूल को मां के चरणों में चढ़ा देना चाहिए।
- इसके बाद मां को लाल वस्त्र,3 हल्दी की गांठ,पीले फूल, फल, नैवेध आदि चढाएं और मां कि विधिवत पूजा करें।
- उनकी कथा अवश्य सुने।
- अंत में मां की आरती उतारें
- इसके बाद मां को शहद से बने प्रसाद का भोग लगाएं।
- क्योंकि मां को शहद अत्याधिक प्रिय है ।
- भोग लगाने के बाद प्रसाद का वितरण करें।
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