करवा चौथ गणेश जी की कथा | Karwa Chauth Ganesh Ji Ki Kahani Hindi PDF Summary
नमस्कार दोस्तों, इस लेख के माध्यम से हम आपको करवा चौथ गणेश जी की कथा PDF / Karwa Chauth Ganesh Ji Ki Katha PDF in Hindi के लिए डाउनलोड लिंक दे रहे हैं। करवा चौथ व्रत सुहागिन महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र और सुखमय दांपत्य जीवन के लिए रखती हैं। इस बार ये व्रत 24 अक्टूबर को रखा जाएगा। इस दिन महिलाएं निर्जला व्रत रखती हैं और चंद्रोदय के बाद चंद्र दर्शन करके व्रत खोलती हैं। इस व्रत में शाम के समय विधि विधान से पूजा की जाती है। जिसके बाद व्रत कथा सुनना बेहद अनिवार्य माना जाता है। इस पोस्ट में दिए गए लिंक पर क्लिक करके आप गणेश जी की कथा करवा चौथ PDF / Ganesh Ji Ki Katha karwa Chauth PDF in Hindi बड़ी आसानी से डाउनलोड कर सकते हैं।
कथा सुने बिना ये व्रत पूर्ण नहीं माना जाता है। महिलाएं पूरे दिन निर्जला व्रत करने के बाद शाम को चंद्रमा देखकर व्रत का पारण करती हैं। वहीं पूजा के दौरान शुभ मुहूर्त का भी ध्यान रखा जाना आवश्यक है।
करवा चौथ गणेश जी की कथा PDF | Karwa Chauth Ganesh Ji Ki Katha PDF in Hindi
एक बुढ़िया थी। वह बहुत ही गरीब और दृष्टिहीन थीं। उसके एक बेटा और बहू थे। वह बुढ़िया सदैव गणेश जी की पूजा किया करती थी। एक दिन गणेश जी प्रकट होकर उस बुढ़िया से बोले-
बुढ़िया बोली- ‘मुझसे तो मांगना नहीं आता। कैसे और क्या मांगू?’
तब गणेशजी बोले – ‘अपने बहू-बेटे से पूछकर मांग ले।’
तब बुढ़िया ने अपने बेटे से कहा- ‘गणेशजी कहते हैं ‘तू कुछ मांग ले’ बता मैं क्या मांगू?’
पुत्र ने कहा- ‘मां! तू धन मांग ले।’
बहू से पूछा तो बहू ने कहा- ‘नाती मांग ले।’
तब बुढ़िया ने सोचा कि ये तो अपने-अपने मतलब की बात कह रहे हैं। अत: उस बुढ़िया ने पड़ोसिनों से पूछा, तो उन्होंने कहा- ‘बुढ़िया! तू तो थोड़े दिन जीएगी, क्यों तू धन मांगे और क्यों नाती मांगे। तू तो अपनी आंखों की रोशनी मांग ले, जिससे तेरी जिंदगी आराम से कट जाए।’
इस पर बुढ़िया बोली- ‘यदि आप प्रसन्न हैं, तो मुझे नौ करोड़ की माया दें, निरोगी काया दें, अमर सुहाग दें, आंखों की रोशनी दें, नाती दें, पोता, दें और सब परिवार को सुख दें और अंत में मोक्ष दें।’
यह सुनकर तब गणेशजी बोले- ‘बुढ़िया मां! तुमने तो हमें ठग लिया। फिर भी जो तूने मांगा है वचन के अनुसार सब तुझे मिलेगा।’ और यह कहकर गणेशजी अंतर्धान हो गए। उधर बुढ़िया मां ने जो कुछ मांगा वह सबकुछ मिल गया। हे गणेशजी महाराज! जैसे तुमने उस बुढ़िया मां को सबकुछ दिया, वैसे ही सबको देना।