कार्तिक मास की कथा | Kartik Maas Katha PDF Hindi

कार्तिक मास की कथा | Kartik Maas Katha Hindi PDF Download

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कार्तिक मास की कथा | Kartik Maas Katha Hindi - Description

नमस्कार पाठकों, इस लेख के माध्यम से आप कार्तिक मास की कथा PDF / Kartik Maas Katha PDF in Hindi हिन्दी भाषा में प्राप्त कर सकते हैं। वैसे तो हिन्दू वैदिक पंचांग में बारह माह होते हैं किन्तु उन सभी में कार्तिक मास का बहुत अधिक महत्व माना जाता है। कहा जाता है कि कार्तिक मास में हम जो भी दान – पुण्य करते हैं उसका कई गुना लाभ हमें भविष्य में मिलता है।

कार्तिक माह को बहुत से लोग उत्तम माह के नाम से भी जानते हैं, क्योंकि यह सभी माह में सर्वोत्तम है। यदि आपका कोई विशेष कार्य लंबे समय से अटकता चला आ रहा हो तथा उसमें अनेक प्रकार की बढ़ाएँ उत्पन्न हो रही हों तो आपको कार्तिक माह के अंतर्गत नियमित रूप से नदी के तट पर दीपदान करना चाहिए।

कार्तिक माह में किसी भी नदी में स्नान करने का भी बहुत अधिक महत्व होता है। साथ ही बहुत से लोग कार्तिक माह में व्रत व उपवास भी करते हैं। मान्यताओं के अनुसार किसी भी व्रत में व्रत कथा का बहुत अधिक महत्व होता है। अतः यदि आप कार्तिक मास का पूर्ण लाभ उठाना चाहते हैं, तो यहां दी हुए कार्तिक मास की कथा का पाठ अवश्य करें।

कार्तिक मास की कथा PDF / Kartik Maas Katha in Hindi PDF

किसी गाँव में एक बुढ़िया रहती थी और वह कार्तिक का व्रत रखा करती थी। उसके व्रत खोलने के समय कृष्ण भगवान आते और एक कटोरा खिचड़ी का रखकर चले जाते। बुढ़िया के पड़ोस में एक औरत रहती थी। वह हर रोज यह देखकर ईर्ष्या करती कि इसका कोई नहीं है फिर भी इसे खाने के लिए खिचड़ी मिल ही जाती है। एक दिन कार्तिक महीने का स्नान करने बुढ़िया गंगा गई. पीछे से कृष्ण भगवान उसका खिचड़ी का कटोरा रख गए। पड़ोसन ने जब खिचड़ी का कटोरा रखा देखा और देखा कि बुढ़िया नही है तब वह कटोरा उठाकर घर के पिछवाड़े फेंक आई।

कार्तिक स्नान के बाद बुढ़िया घर आई तो उसे खिचड़ी का कटोरा नहीं मिला और वह भूखी ही रह गई। बार-बार एक ही बात कहती कि कहां गई मेरी खिचड़ी और कहां गया मेरा खिचड़ी का कटोरा। दूसरी ओर पड़ोसन ने जहाँ खिचड़ी गिराई थी वहाँ एक पौधा उगा जिसमें दो फूल खिले. एक बार राजा उस ओर से निकला तो उसकी नजर उन दोनो फूलों पर पड़ी और वह उन्हें तोड़कर घर ले आया। घर आने पर उसने वह फूल रानी को दिए जिन्हें सूँघने पर रानी गर्भवती हो गई. कुछ समय बाद रानी ने दो पुत्रों को जन्म दिया। वह दोनो जब बड़े हो गए तब वह किसी से भी बोलते नही थे लेकिन जब वह दोनो शिकार पर जाते तब रास्ते में उन्हें वही बुढ़िया मिलती जो अभी भी यही कहती कि कहाँ गई मेरी खिचड़ी और कहाँ गया मेरा कटोरा।

बुढ़िया की बात सुनकर वह दोनो कहते कि हम है तेरी खिचड़ी और हम है तेरा बेला हर बार जब भी वह शिकार पर जाते तो बुढ़िया यही बात कहती और वह दोनो वही उत्तर देते। एक बार राजा के कानों में यह बात पड़ गई। उसे आश्चर्य हुआ कि दोनो लड़के किसी से नहीं बोलते तब यह बुढ़िया से कैसे बात करते हैं। राजा ने बुढ़िया को राजमहल बुलवाया और कहा कि हम से तो किसी से ये दोनों बोलते नहीं है, तुमसे यह कैसे बोलते है?  बुढ़िया ने कहा कि महाराज मुझे नहीं पता कि ये कैसे मुझसे बोल लेते हैं।

मैं तो कार्तिक का व्रत करती थी और कृष्ण भगवान मुझे खिचड़ी का बेला भरकर दे जाते थे। एक दिन मैं स्नान कर के वापिस आई तो मुझे वह खिचड़ी नहीं मिली। जब मैं कहने लगी कि कहां गई मेरी खिचड़ी और कहाँ गया मेरा बेला? तब इन दोनो लड़को ने कहा कि तुम्हारी पड़ोसन ने तुम्हारी खिचड़ी फेंक दी थी तो उसके दो फूल बन गए थे। वह फूल राजा तोड़कर ले गया और रानी ने सूँघा तो हम दो लड़को का जन्म हुआ। हमें भगवान ने ही तुम्हारे लिए भेजा है।

कार्तिक मास में दीपदान / Kartika Month Deepdaan

  • इस दिन पवित्र नदियों में, मंदिरों में दीप दान किया जाता हैं।
  • साथ ही आकाश में भी दीप छोड़े जाते हैं।
  • यह कार्य शरद पूर्णिमा से शुरू होकर कार्तिक पूर्णिमा तक चलता हैं।
  • दीप दान के पीछे का सार यह हैं कि इससे घर में धन आता हैं।
  • कार्तिक में लक्ष्मी जी के लिए दीप जलाया जाता हैं और संकेत दिया जाता हैं अब जीवन में अंधकार दूर होकर प्रकाश देने की कृपा करें।
  • कार्तिक में घर के मंदिर, वृंदावन, नदी के तट एवम शयन कक्ष में दीपक प्रज्वलित करने का बहुत अधिक महत्व होता है।

कार्तिक माह में दान / Kartik Maas Donation

  • कार्तिक माह में दान का भी विशेष महत्व होता हैं।
  • इस पुरे माह में गरीबो एवम ब्रह्मणों को दान दिया जाता हैं।
  • इन दिनों में तुलसी दान, अन्न दान, गाय दान एवम आँवले के पौधे के दान का महत्व सर्वाधिक बताया जाता हैं।
  • कार्तिक में पशुओं को भी हरा चारा खिलाने का महत्व होता हैं।

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