Kalabhairava Ashtakam Sanskrit PDF Summary
नमस्कार पाठकों, इस लेख के माध्यम से आप कालभैरव अष्टक PDF / Kalabhairava Ashtakam PDF प्राप्त कर सकते हैं। कालभैरव जी को प्रमुख हिन्दू देवी – देवताओं से में से एक माना जाता है। हिन्दू धार्मिक मान्यताओं के अनुसार भगवान् श्री कालभैरव जी का पूजन करने से शत्रुओं से मुक्ति प्राप्त होती है।
यदि आप भी श्री कालभैरव जी की कृपा प्राप्त करना चाहते हैं तो नियमित रूप से श्री काल भैरव अष्टक का पाठ अवश्य करें यदि आप किन्हीं कारणवश नियमित पाठ करने में असमर्थ हैं तो सप्ताह के प्रत्येक रविवार को पूर्ण श्रद्धा भक्ति से इस अष्टक का पाठ अवश्य करें तथा भैरव देव जी की कृपा प्राप्त करें।
कालभैरव अष्टक PDF | Kalabhairava Ashtakam PDF
श्रीकालभैरवाष्टकं
देवराजसेव्यमानपावनांघ्रिपङ्कजं
व्यालयज्ञसूत्रमिन्दुशेखरं कृपाकरम् ।
नारदादियोगिवृन्दवन्दितं दिगंबरं
काशिकापुराधिनाथकालभैरवं भजे ॥ १॥
भानुकोटिभास्वरं भवाब्धितारकं परं
नीलकण्ठमीप्सितार्थदायकं त्रिलोचनम् ।
कालकालमंबुजाक्षमक्षशूलमक्षरं
काशिकापुराधिनाथकालभैरवं भजे ॥ २॥
शूलटंकपाशदण्डपाणिमादिकारणं
श्यामकायमादिदेवमक्षरं निरामयम् ।
भीमविक्रमं प्रभुं विचित्रताण्डवप्रियं
काशिकापुराधिनाथकालभैरवं भजे ॥ ३॥
भुक्तिमुक्तिदायकं प्रशस्तचारुविग्रहं
भक्तवत्सलं स्थितं समस्तलोकविग्रहम् । var स्थिरम्
विनिक्वणन्मनोज्ञहेमकिङ्किणीलसत्कटिं var निक्वणन्
काशिकापुराधिनाथकालभैरवं भजे ॥ ४॥
धर्मसेतुपालकं त्वधर्ममार्गनाशकं var नाशनं
कर्मपाशमोचकं सुशर्मदायकं विभुम् ।
स्वर्णवर्णशेषपाशशोभितांगमण्डलं var केशपाश, निर्मलं
काशिकापुराधिनाथकालभैरवं भजे ॥ ५॥
रत्नपादुकाप्रभाभिरामपादयुग्मकं
नित्यमद्वितीयमिष्टदैवतं निरंजनम् ।
मृत्युदर्पनाशनं करालदंष्ट्रमोक्षदं var भूषणं
काशिकापुराधिनाथकालभैरवं भजे ॥ ६॥
अट्टहासभिन्नपद्मजाण्डकोशसंततिं
दृष्टिपातनष्टपापजालमुग्रशासनम् ।
अष्टसिद्धिदायकं कपालमालिकाधरं
काशिकापुराधिनाथकालभैरवं भजे ॥ ७॥
भूतसंघनायकं विशालकीर्तिदायकं
काशिवासलोकपुण्यपापशोधकं विभुम् । var काशिवासि
नीतिमार्गकोविदं पुरातनं जगत्पतिं
काशिकापुराधिनाथकालभैरवं भजे ॥ ८॥
॥ फल श्रुति ॥
कालभैरवाष्टकं पठंति ये मनोहरं
ज्ञानमुक्तिसाधनं विचित्रपुण्यवर्धनम् ।
शोकमोहदैन्यलोभकोपतापनाशनं var लोभदैन्य
प्रयान्ति कालभैरवांघ्रिसन्निधिं नरा ध्रुवम् ॥
var ते प्रयान्ति कालभैरवांघ्रिसन्निधिं ध्रुवम् ॥
॥ इति श्रीमत्परमहंसपरिव्राजकाचर्यस्य
श्रीगोविन्दभगवत्पूज्यपादशिष्यस्य
श्रीमच्छङ्करभगवतः कृतौ
श्री कालभैरवाष्टकं सम्पूर्णम् ॥
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