जीवित्पुत्रिका व्रत आरती | Jivitputrika Vrat Aarti Hindi PDF Summary
नमस्कार पाठकों, इस लेख के माध्यम से आप जीवित्पुत्रिका व्रत आरती PDF प्राप्त कर सकते हैं। जैसा की आप सभी लोग जानते हैं कि किसी भी पूजा या मांगलिक कार्य में आरती का एक अपना अलग ही महत्व होता है। संबधित देवता आरती के बिना उस देव का पूजन अधूरा माना जाता है। ठीक उसी प्रकार किसी भी व्रत किए सफलता में भी आरती का बड़ा योगदान होता हो। अतः जीवित्पुत्रिका व्रत आरती का जीवित्पुत्रिका व्रत में बहुत ही अधिक महत्व है।
यह आरती मन को शांति देने वाली तथा देव को प्रसन्न करने वाली है। हमने अपने प्यारे – प्यारे पाठकों के लिए इस आरती किए पीडीऍफ़ फाइल का लीन इस लेख के अंत में दिया हुआ है जिसके माध्यम से आप इस आरती को प्राप्त कर इसका गायन कर सकते हैं तथा उसके प्रभाव का अपने जीवन में अनुभव कर सकते हैं। हम आपके व्रत किए सफलता किए कामना करते हैं।
जितिया व्रत की आरती / Jitiya Vrat Aarti Lyrics in Hindi PDF
ओम जय कश्यप नन्दन, प्रभु जय अदिति नन्दन।
त्रिभुवन तिमिर निकंदन, भक्त हृदय चन्दन॥
ओम जय कश्यप…
सप्त अश्वरथ राजित, एक चक्रधारी।
दु:खहारी, सुखकारी, मानस मलहारी॥
ओम जय कश्यप…
सुर मुनि भूसुर वन्दित, विमल विभवशाली।
अघ-दल-दलन दिवाकर, दिव्य किरण माली॥
ओम जय कश्यप…
सकल सुकर्म प्रसविता, सविता शुभकारी।
विश्व विलोचन मोचन, भव-बंधन भारी॥
ओम जय कश्यप…
कमल समूह विकासक, नाशक त्रय तापा।
सेवत सहज हरत अति, मनसिज संतापा॥
ओम जय कश्यप…
नेत्र व्याधि हर सुरवर, भू-पीड़ा हारी।
वृष्टि विमोचन संतत, परहित व्रतधारी॥
ओम जय कश्यप…
सूर्यदेव करुणाकर, अब करुणा कीजै।
हर अज्ञान मोह सब, तत्वज्ञान दीजै॥
ओम जय कश्यप…
जीवित्पुत्रिका व्रत कथा / Jivitputrika Vrat Katha in Hindi
पौराणिक कथा के अनुसार गंधर्व राज जीमूतवाहन बड़े ही धर्मात्मा पुरुष थे। वह युवावस्था में ही राजपाट छोड़कर वन में पिता की सेवा करने चले गए थे। एक दिन भ्रमण करते हुए उन्हें नाग माता मिली। उन्हें देखकर जीमूतवाहन ने उनके विलाप करने का कारण पूछा। नाग माता ने उन्हें बताया कि नागवंश गरुड़ से काफी परेशान है। उन्होंने बताया वह वंश की रक्षा करने के लिए गरुड़ से समझौता किया था कि वह प्रतिदिन उसे एक नाग देंगे जिसके बदले में वह हमारा सामूहिक शिकार नहीं करेगा।
इसी बात को रखने के लिए नागमाता के पुत्र को गरूड़ के सामने जाना पड़ रहा है। नागमाता की बात सुनकर जीमूतवाहन ने नागमाता को वचन दिया कि वह उनके पुत्र को कुछ नहीं होने देंगे और वह उनके जीवन की रक्षा करेंगे। तभी जीमूतवाहन ने नाग माता के पुत्र की जगह कपड़े में खुद को लपेट कर गुरुड़ के सामने खुद को पेश किया। उसी जगह पर जहां गरुड़ आया करता था।
जीवित्पुत्रिका पूजन मंत्र / Jitiya Puja Mantra PDF
जितिया व्रत का पूजन मंत्र निम्नप्रकार है –
कर्पूरगौरं करुणावतारं संसारसारं भुजगेन्द्रहारम्।
सदा बसन्तं हृदयारविन्दे भवं भवानीसहितं नमामि।।
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