जीवन कौशल शिक्षा कक्षा 11 Hindi - Description
नमस्कार पाठकों, इस लेख के माध्यम से आप जीवन कौशल शिक्षा कक्षा 11 pdf निशुल्क प्राप्त कर सकते हैं। जीवन कौशल शिक्षा एक ऐसा विषय जिसके अध्ययन से न केवल आप शिक्षा के क्षेत्र में अपितु जीवन के क्षेत्र भी अत्यधिक उपयोगी सिद्ध होता है। अपने जीवन को और सरल एवं सहज बनाना ही जीवन कौशल है। विभिन्न प्रतियोगी परीक्षाओं में इस अध्याय से प्रश्न पूछे जाते हैं।
अनुकूली तथा सकारात्मक व्यवहार की वे योग्यताएँ हैं जो व्यक्तियों को दैनिक जीवन की माँगों और चुनौतियों से प्रभावी तरीके से निपटने के लिए सक्षम बनाती हैं। ये जीवन कौशल सीखे जा सकते हैं तथा उनमें सुधार भी किया जा सकता है। इस विषय के अंतर्गत व्यक्ति को एक स्वथ्य एवं सुगम जीवन का निर्वाह करने हेतु मार्गदर्शन करता है। जीवन कौशल शिक्षा कक्षा 11 पीडीएफ़ के माध्यम से आप इस विषय के संदर्भ में अधिक से अधिक जानकारी प्राप्त कर सकते हैं।
जीवन कौशल शिक्षा कक्षा 11 pdf परिचय
जीवन कौशल क्षमताओं, उपागमों और सामाजिक-भावनात्मक दक्षताओं का एक समूह है जो व्यक्तियों को स्वस्थ एवं उत्पादक जीवन जीने के लिये सीखने, सूचित निर्णय लेने व अधिकारों का प्रयोग करने में तथा फिर बाद में परिवर्तन के अभिकर्त्ता बनने में सक्षम बनाता है।
जीवन कौशल, युवाओं में जीवन की वास्तविकताओं का सामना करने के लिये मानसिक स्वास्थ्य एवं क्षमता को प्रोत्साहित करते हैं।
ये कौशल साक्षरता, संख्यात्मक ज्ञान, डिजिटल कौशल जैसे मूलभूत कौशल के विकास का समर्थन करते हैं साथ ही शिक्षा में लैंगिक समानता, पर्यावरण शिक्षा, शांति शिक्षा या विकास के लिये शिक्षा, आजीविका एवं आय सृजन और सकारात्मक स्वास्थ्य संवर्द्धन जैसे विभिन्न क्षेत्रों में भी इनका उपयोग किया जा सकता है।
जीवन कौशल युवाओं को अपने समुदायों में भागीदारी करने, निरंतर सीखने की प्रक्रिया से संलग्न होने, स्वयं की रक्षा करने और स्वस्थ एवं सकारात्मक सामाजिक संबंधों को बढ़ावा देने के लिये सकारात्मक कार्रवाई करने हेतु सशक्त बनाता है।
कर्मांक |
आवश्यक जीवन कौशल |
1. | स्वावलम्बन |
2. | समस्या समाधान |
3. | ज्ञानार्जन की प्रवृत्ति |
4. | कुशाग्रता |
5. | चातुर्यता |
6. | मधुरभाषीपन |
7. | सहयोगपूर्ण भावना |
8. | अन्वेषणात्मक दृष्टिकोण |
9. | स्वस्थ दिनचर्या |
10. | अन्वेषणात्मक दृष्टिकोण |
11. | रचनात्मक सोच |
12. | प्रभावशाली बोलचाल |
13. | अंतर्व्यक्तिगत सम्बन्ध |
14. | संतुलन |
15. | संवेदना |
16. | आत्मबोध |
17. | संवेग संयोजन |
18. | न्यायिक पारदर्शिता |
भारतीय संदर्भ में जीवन कौशल की आवश्यकता
- स्थिति के प्रति अनुकूलन
बच्चों के लिये समय प्रबंधन कौशल, विद्यार्थियों के लिये आत्म-जागरूकता संबंधी कौशल, पारस्परिक संबंध कौशल आदि परिस्थितियों के अनुकूल स्वयं को ढालने, दृढ़ बने रहने और जीवन का लगातार पुनर्मूल्यांकन एवं पुनर्संरचण करने की दक्षता प्रदान करते हैं।
- छात्रों के लिये स्थितियों को समझने और संबोधित करने का अवसर
आलोचनात्मक चिंतन कौशल (Critical thinking skills) छात्रों को उपलब्ध सूचना और तथ्यों के आधार पर स्थितियों को समझने और संबोधित करने की अनुमति देता है।
आलोचनात्मक चिंतन में किसी समस्या की रूपरेखा तैयार करने और प्रभावी समाधान विकसित करने के लिये तथ्यों, सूचनाओं एवं अन्य डेटा को व्यवस्थित और संसाधित करना शामिल है।
- रचनात्मक चिंतन कौशल
रचनात्मक चिंतन कौशल (Creative Thinking Skills) हमें किसी भी विषय पर नए परिप्रेक्ष्य और नए दृष्टिकोण से पुनर्विचार करने का अवसर देता है।
यह एक अभिनव चिंतन प्रक्रिया है जो उत्साहजनक परिणाम प्राप्त करने तथा कार्यों को नए तरीके से करने में सक्षम बनाता है।
नए विचारों के सृजन के लिये रचनात्मक चिंतन को पार्श्व चिंतन या विचार-मंथन की अनुपूरकता प्रदान की जा सकती है।
- कमज़ोर ज्ञान समाज
ज्ञान किसी उत्पादक समाज का मूल है, हालाँकि समस्याओं को हल करने के लिये आलोचनात्मक चिंतन कौशल को सीखने और उसे प्रवर्तित करने की क्षमता (जहाँ दोनों को ‘कौशल’ के रूप में परिभाषित किया गया है) ज्ञान के संचय से कहीं अधिक महत्त्वपूर्ण है।
यह क्षमता व्यक्तियों को अविष्कार तथा नवाचार करने में सहायता करती है, जिससे सामाजिक एवं आर्थिक विकास का मार्ग प्रशस्त होता है।
भारतीय बच्चों और किशोरों में लर्निंग/सीखने की कला अथवा क्षमता, विश्लेषणात्मक कौशल तथा मानवाधिकारों (लैंगिक समानता सहित) के ज्ञान के बारे में समझ तथा वैचारिक स्पष्टता का निम्न स्तर पाया जाता है।
- मानव पूंजी का ह्रास
एक कमज़ोर ज्ञान समाज अपने सदस्यों द्वारा अवसरों को हासिल करने और एक उत्पादक समाज के निर्माण में लर्निंग/सीखने की क्षमता के महत्त्व को समझने एवं उसे लागू कर सकने की क्षमता को भी प्रभावित करता है।
यह स्वास्थ्य, शिक्षा तथा जीवन की संभावनाओं में असमानताओं को बढ़ावा दे रहा है और भारत के कुछ राज्यों एवं क्षेत्रों में सबसे अधिक स्पष्ट रूप से नज़र आता है।
देश कई भौगोलिक क्षेत्रों में चरम गरीबी और निम्न विकास की स्थिति का अनुभव कर रहा है, जहाँ युवाओं में उत्पादक रोज़गार एवं आजीविका के लिये आवश्यक कौशल मौज़ूद नहीं है और गतिशील बाज़ार की बदलती मांगों के अनुरूप प्रमुख दक्षताओं के अभाव के साथ ही कार्यबल में तैयारी व उत्साह की कमी है।
- असमानता
स्वतंत्रता के बाद की कालावधि में भी भारत में असमानता और बहिर्वेशन की स्थिति बनी रही, जिसका कारण गहराई से अपनी जड़ें जमा चुकी सामाजिक (जैसे जाति, जनजाति, अल्पसंख्यक और लिंग) और वर्ग आधारित संरचनाएँ हैं। ये लोगों के लिये अवसरों को स्थिर एवं सीमित करती हैं, उन्हें व्यवस्थित रूप से उन अधिकारों, अवसरों और संसाधनों का लाभ उठाने से रोकती हैं जो आमतौर पर समाज के सभी सदस्यों के लिये उपलब्ध होते हैं।
इन समूहों के भीतर, बालिकाओं के साथ लैंगिक आधार पर और भी अधिक भेदभाव किया जाता है। इन असमानताओं का स्तर विभिन्न क्षेत्रों और भू-भागों में पर्याप्त रूप से भिन्न-भिन्न भी है।
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