इंदिरा एकादशी व्रत कथा | Indira Ekadashi Vrat Katha Hindi PDF Summary
नमस्कार पाठकों, प्रस्तुत लेख के माध्यम से आप इंदिरा एकादशी व्रत कथा PDF / Indira Ekadashi Vrat Katha PDF in Hindi भाषा में सरलता से प्राप्त कर सकते हैं। कहा जाता है कि अगर कोई पूर्वज जाने-अजाने किए गए अपने किसी पाप के कारण यमराज के पास दंड भोग रहे हों तो इस दिन विधि-विधान से व्रत करने से उन्हें मुक्ति मिल जाती है।
जानिए इस व्रत की पूजा विधि, मुहूर्त और संपूर्ण कथा। इंदिरा एकादशी का व्रत भगवान विष्णु और पितरों का आशीर्वाद पाने के लिए रखा जाता है. खास बात यह है कि इस व्रत को अगले दिन सूर्योदय के बाद यानी द्वादशी के दिन पारण मुहूर्त में ही खोलते हैं। यदि आप भी इस व्रत का पालन करना चाहते हैं तो इन्दिरा एकादशी व्रत कथा pdf का पाठ अवश्य करें।
हिन्दू धर्मग्रंथों में अनेक प्रकार की व्रत कथाओं का वर्णन प्राप्त होता है। लोक मान्यताओं के अनुसार यदि आप किसी भी प्रकार व्रत धारण कर रहे हैं तो उस व्रत से संबन्धित व्रत कथा का वाचन एवं श्रवण करना अत्यंत आवश्यक होता है अन्यथा उस व्रत का सम्पूर्ण फल प्राप्त नही होता है तथा वह व्रत अपूर्ण रहता है।
इंदिरा एकादशी व्रत कथा PDF / Indira Ekadashi Vrat Katha in Hindi PDF
प्राचीनकाल में सतयुग के समय में महिष्मति नाम की एक नगरी में इंद्रसेन नाम का एक प्रतापी राजा धर्मपूर्वक अपनी प्रजा का पालन करते हुए शासन करता था। वह राजा पुत्र, पौत्र और धन आदि से संपन्न और विष्णु का परम भक्त था। एक दिन जब राजा सुखपूर्वक अपनी सभा में बैठा था तो आकाश मार्ग से महर्षि नारद उतरकर उसकी सभा में आए। राजा उन्हें देखते ही हाथ जोड़कर खड़ा हो गया और विधिपूर्वक आसन व अर्घ्य दिया। सुख से बैठकर मुनि ने राजा से पूछा कि हे राजन! आपके सातों अंग कुशलपूर्वक तो हैं? तुम्हारी बुद्धि धर्म में और तुम्हारा मन विष्णु भक्ति में तो रहता है?
देवर्षि नारद की ऐसी बातें सुनकर राजा ने कहा- हे महर्षि! आपकी कृपा से मेरे राज्य में सब कुशल है तथा मेरे यहाँ यज्ञ कर्मादि सुकृत हो रहे हैं। आप कृपा करके अपने आगमन का कारण कहिए। तब ऋषि कहने लगे कि हे राजन! आप आश्चर्य देने वाले मेरे वचनों को सुनो। मैं एक समय ब्रह्मलोक से यमलोक को गया, वहाँ श्रद्धापूर्वक यमराज से पूजित होकर मैंने धर्मशील और सत्यवान धर्मराज की प्रशंसा की। उसी यमराज की सभा में महान ज्ञानी और धर्मात्मा तुम्हारे पिता को एकादशी का व्रत भंग होने के कारण देखा। उन्होंने संदेशा दिया सो मैं तुम्हें कहता हूँ। उन्होंने कहा कि पूर्व जन्म में कोई विघ्न हो जाने के कारण मैं यमराज के निकट रह रहा हूँ, सो हे पुत्र यदि तुम आश्विन कृष्णा इंदिरा एकादशी का व्रत मेरे निमित्त करो तो मुझे स्वर्ग की प्राप्ति हो सकती है।
इतना सुनकर राजा कहने लगा कि हे महर्षि आप इस व्रत की विधि मुझसे कहिए। नारदजी कहने लगे- आश्विन माह की कृष्ण पक्ष की दशमी के दिन प्रात:काल श्रद्धापूर्वक स्नानादि से निवृत्त होकर पुन: दोपहर को नदी आदि में जाकर स्नान करें। फिर श्रद्धापूर्व पितरों का श्राद्ध करें और एक बार भोजन करें। प्रात:काल होने पर एकादशी के दिन दातून आदि करके स्नान करें, फिर व्रत के नियमों को भक्तिपूर्वक ग्रहण करता हुआ प्रतिज्ञा करें कि ‘मैं आज संपूर्ण भोगों को त्याग कर निराहार एकादशी का व्रत करूँगा।
हे अच्युत! हे पुंडरीकाक्ष! मैं आपकी शरण हूँ, आप मेरी रक्षा कीजिए, इस प्रकार नियमपूर्वक शालिग्राम की मूर्ति के आगे विधिपूर्वक श्राद्ध करके योग्य ब्राह्मणों को फलाहार का भोजन कराएँ और दक्षिणा दें। पितरों के श्राद्ध से जो बच जाए उसको सूँघकर गौ को दें तथा ध़ूप, दीप, गंध, पुष्प, नैवेद्य आदि सब सामग्री से ऋषिकेश भगवान का पूजन करें। रात में भगवान के निकट जागरण करें। इसके पश्चात द्वादशी के दिन प्रात:काल होने पर भगवान का पूजन करके ब्राह्मणों को भोजन कराएँ। भाई-बंधुओं, स्त्री और पुत्र सहित आप भी मौन होकर भोजन करें।
नारदजी कहने लगे कि हे राजन! इस विधि से यदि तुम आलस्य रहित होकर इस एकादशी का व्रत करोगे तो तुम्हारे पिता अवश्य ही स्वर्गलोक को जाएँगे। इतना कहकर नारदजी अंतर्ध्यान हो गए। नारदजी के कथनानुसार राजा द्वारा अपने बाँधवों तथा दासों सहित व्रत करने से आकाश से पुष्पवर्षा हुई और उस राजा का पिता गरुड़ पर चढ़कर विष्णुलोक को गया। राजा इंद्रसेन भी एकादशी के व्रत के प्रभाव से निष्कंटक राज्य करके अंत में अपने पुत्र को सिंहासन पर बैठाकर स्वर्गलोक को गया। हे युधिष्ठिर! यह इंदिरा एकादशी के व्रत का माहात्म्य मैंने तुमसे कहा। इसके पढ़ने और सुनने से मनुष्य सब पापों से छूट जाते हैं और सब प्रकार के भोगों को भोगकर बैकुंठ को प्राप्त होते हैं। इति शुभम्
Indira Ekadashi Vrat Puja Vidhi in Hindi PDF / इंदिरा एकादशी पूजा विधि PDF
- सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि से निवृत्त हो जाएं।
- घर के मंदिर में दीप प्रज्वलित करें।
- भगवान विष्णु का गंगा जल से अभिषेक करें।
- भगवान विष्णु को पुष्प और तुलसी दल अर्पित करें।
- अगर संभव हो तो इस दिन व्रत भी रखें।
- भगवान की आरती करें।
- भगवान को भोग लगाएं। इस बात का विशेष ध्यान रखें कि भगवान को सिर्फ सात्विक चीजों का भोग लगाया जाता है।
- भगवान विष्णु के भोग में तुलसी को जरूर शामिल करें।
- ऐसा माना जाता है कि बिना तुलसी के भगवान विष्णु भोग ग्रहण नहीं करते हैं।
- इस पावन दिन भगवान विष्णु के साथ ही माता लक्ष्मी की पूजा भी करें।
- इस दिन भगवान का अधिक से अधिक ध्यान करें।
इंदिरा एकादशी व्रत पूजा सामग्री लिस्ट PDF
कर्मांक |
सामग्री |
1. | श्री विष्णु जी का चित्र अथवा मूर्ति |
2. | पुष्प |
3. | नारियल |
4. | सुपारी |
5. | फल |
6. | लौंग |
7. | धूप |
8. | दीप |
9. | घी |
10. | पंचामृत |
11. | अक्षत |
12. | तुलसी दल |
13. | चंदन |
14. | मिष्ठान |
इंदिरा एकादशी शुभ मुहूर्त / Indira Ekadashi Shubh Muhurt
इन्दिरा एकादशी बुधवार, सितम्बर 21, 2022 को
22वाँ सितम्बर को, पारण (व्रत तोड़ने का) समय – 06:07 ए एम से 08:33 ए एम
पारण तिथि के दिन द्वादशी समाप्त होने का समय – 01:17 ए एम, सितम्बर 23
एकादशी तिथि प्रारम्भ – सितम्बर 20, 2022 को 09:26 पी एम बजे
एकादशी तिथि समाप्त – सितम्बर 21, 2022 को 11:34 पी एम बजे
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