हरियाली तीज | Hariyali Teej Vrat Katha & Puja Vidhi Hindi PDF Summary
नमस्कार पाठकों, इस लेख के माध्यम से आप हरियाली तीज व्रत कथा PDF / Hariyali Teej Vrat Katha & Puja Vidhi PDF प्राप्त कर सकते हैं। हिन्दू पंचांग में श्रावण माह की तीज को अत्यधिक महत्वपूर्ण माना जाता है। सावन (श्रावण) और भादव (भाद्रपद) के मास में आने वाली तीन तीज (हरियाली तीज, कजरी तीज, तथा हरतालिका तीज) का विशेष आध्यात्मिक महत्व होता है।
नाग पंचमी से दो दिवस पूर्व श्रावण माह की शुक्ल पक्ष तृतीया को हरियाली तीज के रूप में मनाया जाता है। इस अवसर पर महिलाओं द्वारा भगवान शिव व माता पार्वती का विधि – विधान से पूजन किया जाता है। श्रावण माह को भगवान शिव के पूजन के लिए सर्वाधिक उपयुक्त व शीघ्र फलदायी माना जाता है।
अतः श्रावण माह में आने के कारण हरियाली तीज को भगवान शिव व माता पार्वती की उपासना के लिए सर्वोत्तम है। हरियाली तीज के अवसर पर स्त्रियाँ सुखी दांपत्य जीवन की कामना से माता पार्वती की पूजा – अर्चना करती हैं। हरियाली तीज को छोटी तीज व श्रावण तीज भी हैं के नाम से भी जाना जाता है।
हरियाली तीज व्रत कथा पीडीएफ / Hariyali Teej Vrat Katha Book In Hindi PDF
- माता पार्वती ने किया था कठोर तप
भगवान शिव माता पार्वती को पूर्वजन्म का स्मरण कराते हुए कहते हैं ‘हे पार्वती तुमने मुझे पति के रूप में पाने के लिए हिमालय पर जल का त्याग कर सभी ऋतु का कष्ट सहकर बहुत कठिन तपस्या किया था। तुम्हारे पिताजी तुम्हें इस तरह से देख कर बहुत दुखी थे। एक दिन नारद जी भी तुम्हारे घर पधारे और तुमने उन्होंने तुम्हारे पिता से कहा कि मैं विष्णु जी के भेजने पर आया है। विष्णु जी आपकी कन्या की तपस्या से प्रसन्न है और वह उनके साथ विवाह करना चाहते हैं।
- पर्वतराज ने किया अपनी पुत्री का विवाह तय
नारद मुनि की बात सुनकर माता पार्वती के पिता पर्वतराज हिमालय अत्यंत प्रसन्न हुए और उन्होंने नारद जी का प्रस्ताव स्वीकार कर लिया यानी वह अपनी पुत्री पार्वती का विवाह भगवान विष्णु के साथ करने के लिए तैयार हो गए। यह सुन बात नारद मुनि ने भगवान विष्णु के पास जाकर कहें।
- माता पार्वती ने जंगल में की कठिन तपस्या
तब भगवान शिव माता पार्वती से कहते हैं,जब तुम्हारे पिता ने यह खबर तुम्हें सुनाईं,तो तुम्हें बहुत दुख हुआ। क्योंकि तुम मन ही मन मुझे अपना परमेश्वर मान चुकी थी। तब तुमने अपनी मन की पीड़ा अपनी एक सखी से कहीं। उस सखी ने तुम्हें एक घनघोर जंगल में रहने का सुझाव दिया। तुम उस जंगल में चली गई और उस जगह तुमने मुझे पाने के लिए कठोर तपस्या करना शुरू कर दिया। जब तुम्हारे पिता को तुम्हारे जाने की बात पता चलीं, तो वह बहुत दुखी हुए और तुम्हारी चिंता करने लगें। वह सोचनें लगें इस बीच यदि भगवान विष्णु बारात लेकर हमारे दरवाजे आएंगे,तो मैं क्या करूंगा।
- तपस्या हुई सफल
शिव जी ने माता पार्वती से कहा कि तुम्हारे पिता पर्वतराज हिमालय ने तुम्हारी खोज में धरती पताल एक कर दिया,लेकिन तू उन्हें कहीं नहीं मिलीं। क्योंकि तुम एक गुफा में रेत से शिवलिंग बनाकर मेरी आराधना करने में लीन हो चुकी थी। तुम्हारी इस कठोर तपस्या से मैं बहुत प्रसन्न हुआ और तुम्हारी मनोकामना पूरा करने के लिए तुम्हें दर्शन दिया। इस बीच तुम्हारे पिता भी तुम्हें ढूंढते उस गुफा में पहुंच गए। तब तुमने अपने पिता को सारी बात बताईं। तुम्हारे तुमने अपने पिता से कहा,कि मैं घर तभी चलूंगी जब आप मेरी मेरा विवाह शिवजी से कराएंगें।
- अखंड सौभाग्य की होगी प्राप्ति
तब शिवजी ने माता पार्वती से कहे, तुम्हारी यह बात सुनकर तुम्हारे पिता मान गए और तुम्हारा विवाह मेरे से कराया। शिवजी कहें’ हे पार्वती तुमने जो कठोर तप किया है उसी के फलस्वरूप तुम्हारा विवाह मेरे साथ हुआ है। इसलिए जो भी स्त्री इस व्रत को पूरी निष्ठा से करेगीं मैं उसे मनचाहा फल अवश्य दूंगा। इस व्रत को करने वाली हर स्त्री को अखंड सौभाग्य का वरदान प्राप्त होगा।
हरियाली तीज पूजा विधि / Hariyali Teej Puja Vidhi in Hindi PDF
- हरियाली तीज के दिन ब्रह्ममुहूर्त में उठकर स्नान आदि करके शुद्ध हो जाएँ।
- अब पूजा के लिए हरे रंग के वस्त्र धारण करें।
- पूजा स्थल या चौकी को गंगाजल से पवित्र करें।
- इसके बाद चौकी पर श्वेत या लाल रंग का वस्त्र बीच दें।
- इसके बाद मिट्टी से भगवान शिव, देवी पार्वती और भगवान गणेश की मूर्तियां बनाएं।
- चौकी पर भगवान शिव और पार्वती की मूर्ति रखें।
- तेल या घी का दीपक जलाकर देवताओं के दाहिनी ओर रखें।
- इसके बाद भगवान गणेश का आह्वान करें और उनका आशीर्वाद लें।
- इसके बाद भगवान शिव-माता पार्वती के सामने कुछ अक्षत् रखें और फिर कलश में मौली लपेट कर रखें।
- इसके बाद कलश में सुपारी, हल्दी, कुमकुम और पानी डालें।
- अब पान या आम के पेड़ के पत्तों को कलश में डाल दें।
- इसके बाद भगवान शिव और पार्वती के चरणों में जल चढ़ाकर पूजा शुरू करें।
- भगवान भोलेनाथ को चंदन, धतूरा और सफेद मुकुट के फूल और बेलपत्र अर्पित करें।
- देवी पार्वती को गुलाब का फूल और सुहाग सामग्री अर्पित करें।
- इसके पश्चात भोग अर्पित करें।
- हरियाली तीज व्रत कथा का पाठ करें।
- अब अंत में तीज माता की आरती का गायन करते हुये पूजन सम्पन्न करें।
हरियाली तीज पूजा सामग्री / Hariyali Teej Puja Samagri List in Hindi PDF
1. | काली मिट्टी या रेत, |
2. | चौकी, |
3. | लाल कपड़ा, |
4. | केले के पत्ते, |
5. | कच्चा सूत, |
6. | धतूरा, |
7. | शमी पत्र, |
8. | बेलपत्र, |
9. | फूल, |
10. | भांग, |
11. | दूर्वा, |
12. | तांबे का कलश, |
13. | गंगाजल, |
14. | दूध, |
15. | दही, |
16. | घी, |
17. | शहद, |
18. | चीनी, |
19. | पंचामृत, |
20. | अक्षत, |
21. | जनेऊ, |
22. | सुपारी, |
23. | अबीर, |
24. | गुलाल, |
25. | नारियल, |
26. | सफेद चंदन, |
27. | तेल, |
28. | कपूर, |
29. | फल, |
30. | मिठाई, |
31. | दीपक, |
सोलह श्रृंगार में | |
32. | हरे रंग की साड़ी, |
33. | बिंदी, |
34. | सिंदूर, |
35. | कुमकुम, |
36. | हरी चूड़ियां, |
37. | मेहंदी, |
38. | शीशा, |
39. | कंघी, |
40. | काजल, |
41. | बिछिया |
42. | इत्र |
तीज माता पार्वती की आरती / Mata Parvati Aarti in Hindi PDF
जय पार्वती माता, जय जय पार्वती माता।
ब्रह्म सनातन देवी, शुभ फल की दाता।।
जय पार्वती माता…
अरिकुल पद्मा विनासनी, जय सेवक त्राता।
जग जीवन जगदम्बा, हरिहर गुण गाता।
जय पार्वती माता…
सिंह को वाहन साजे, कुंडल है साथा।
देव वंधु जस गावत, नृत्य करत ताथा।
जय पार्वती माता…
सतयुग रूप शील अति सुन्दर, नाम सती कहलाता।
हेमांचल घर जन्मी, सखियन रंगराता।
जय पार्वती माता…
शुम्भ निशुम्भ विदारे, हेमांचल स्थाता।
सहस्त्र भुज तनु धरिके, चक्र लियो हाथा।
जय पार्वती माता…
सृष्टि रूप तुही जननी, शिव संग रंगराता।
नंदी भृंगी बीन लाही, हथान मदमाता।
जय पार्वती माता…
देवन अरज करत, तव चित को लाता।
गावत दे दे ताली, मन में रंगराता।
जय पार्वती माता…
श्री प्रताप आरती मैया की जो कोई गाता।
सदा सुखी रहता, सुख संपति पाता।
जय पार्वती माता…
जय पार्वती माता, जय जय पार्वती माता।
ब्रह्म सनातन देवी, शुभ फल की दाता।।
जय पार्वती माता…
तीज में शिव जी की आरती / Shiv Ji Teej Aarti in Hindi PDF
ॐ जय शिव ओंकारा ।
ब्रह्मा विष्णु सदा शिव अर्द्धांगी धारा
।।ॐ जय शिव..॥
एकानन चतुरानन पंचानन राजे
हंसानन गरुड़ासन वृषवाहन साजे
।।ॐ जय शिव..॥
दो भुज चार चतुर्भुज दस भुज अति सोहे।
त्रिगुण रूपनिरखता त्रिभुवन जन मोहे
॥ ॐ जय शिव..॥
अक्षमाला बनमाला रुण्डमाला धारी ।
चंदन मृगमद सोहै भाले शशिधारी
॥ ॐ जय शिव..॥
श्वेताम्बर पीताम्बर बाघम्बर अंगे ।
सनकादिक गरुणादिक भूतादिक संगे
॥ ॐ जय शिव..॥
कर के मध्य कमंडलु चक्र त्रिशूल धर्ता ।
जगकर्ता जगभर्ता जगसंहारकर्ता
॥ ॐ जय शिव..॥
ब्रह्मा विष्णु सदाशिव जानत अविवेका ।
प्रणवाक्षर मध्ये ये तीनों एका
॥ ॐ जय शिव..॥
काशी में विश्वनाथ विराजत नन्दी ब्रह्मचारी ।
नित उठि भोग लगावत महिमा अति भारी
॥ ॐ जय शिव..॥
त्रिगुण शिवजीकी आरती जो कोई नर गावे ।
कहत शिवानन्द स्वामी मनवांछित फल पावे
॥ ॐ जय शिव..।।