हरछठ व्रत कथा | Harchat Katha Hindi - Description
नमस्कार मित्रों, आज इस लेख के माध्यम से हम आप सभी के लिए हरछठ व्रत कथा / Harchat Katha in Hindi PDF प्रदान करने जा रहे हैं। हरछठ व्रत एक अत्यंत ही महत्वपूर्ण व विशेष फलदायी व्रत माना गया है। हरछठ को विभिन्न जगहों पर हलषष्ठी या ललही छठ जैसे अलग-अलग नामों से भी जाना जाता है। हरछठ के व्रत का पालन केवल सुहागिन स्त्रियाँ कर सकती हैं।
कई मान्यताओं के अनुसार इस व्रत का पालन केवल ऐसी महिलाएं कर सकती हैं जिनके पुत्र हो। ऐसी महिलाएं जिनके पुत्र नहीं है वह हरछठ के व्रत का पालन नहीं कर सकती। इसी के विपरीत इसके अन्य मान्यताओं के अनुसार इस व्रत का पालन गर्भवती और संतान प्राप्ति की इच्छा रखने वालीं महिलाएं भी कर सकती हैं। छत्तीसगढ़ में सुहागिन स्त्रियाँ बड़े भक्ति-भाव से इस व्रत का पालन करती हैं।
वहीं मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश में भी इस व्रत को बहुत अधिक महत्वपूर्ण माना जाता है। यह व्रत भगवान बलराम जी को समर्पित हैं। जो कि श्री कृष्ण के बड़े भाई हैं। इस दिन सुहागिन महिलाएं विशेष रूप से भगवान बलराम जी की पूजा करती हैं तथा व्रत का श्रद्धापूर्वक पालन करती हैं। यह व्रत पुत्रों की दीर्घायु और उनकी सम्पन्नता के लिए किया जाता है। इसीलिए पुत्र की प्राप्ति एवं उनकी दीर्घायु के लिए आप भी इस व्रत का पालन कर सकती हैं। व्रत के दिन हरछठ व्रत की कथा / कहानी अवश्य पढ़ें या सुनें।
हरछठ व्रत की कथा / Harchat Vrat Katha in Hindi PDF
प्राचीन काल में एक ग्वालिन थी। उसका प्रसवकाल अत्यंत निकट था। एक ओर वह प्रसव से व्याकुल थी तो दूसरी ओर उसका मन गौ-रस (दूध-दही) बेचने में लगा हुआ था। उसने सोचा कि यदि प्रसव हो गया तो गौ-रस यूं ही पड़ा रह जाएगा। यह सोचकर उसने दूध-दही के घड़े सिर पर रखे और बेचने के लिए चल दी किन्तु कुछ दूर पहुंचने पर उसे असहनीय प्रसव पीड़ा हुई। वह एक झरबेरी की ओट में चली गई और वहां एक बच्चे को जन्म दिया।
वह बच्चे को वहीं छोड़कर पास के गांवों में दूध-दही बेचने चली गई। संयोग से उस दिन हलषष्ठी थी। गाय-भैंस के मिश्रित दूध को केवल भैंस का दूध बताकर उसने सीधे-सादे गांव वालों में बेच दिया। उधर जिस झरबेरी के नीचे उसने बच्चे को छोड़ा था, उसके समीप ही खेत में एक किसान हल जोत रहा था। अचानक उसके बैल भड़क उठे और हल का फल शरीर में घुसने से वह बालक मर गया।
इस घटना से किसान बहुत दुखी हुआ, फिर भी उसने हिम्मत और धैर्य से काम लिया। उसने झरबेरी के कांटों से ही बच्चे के चिरे हुए पेट में टांके लगाए और उसे वहीं छोड़कर चला गया। कुछ देर बाद ग्वालिन दूध बेचकर वहां आ पहुंची। बच्चे की ऐसी दशा देखकर उसे समझते देर नहीं लगी कि यह सब उसके पाप की सजा है।
वह सोचने लगी कि यदि मैंने झूठ बोलकर गाय का दूध न बेचा होता और गांव की स्त्रियों का धर्म भ्रष्ट न किया होता तो मेरे बच्चे की यह दशा न होती। अतः मुझे लौटकर सब बातें गांव वालों को बताकर प्रायश्चित करना चाहिए।
ऐसा निश्चय कर वह उस गांव में पहुंची, जहां उसने दूध-दही बेचा था। वह गली-गली घूमकर अपनी करतूत और उसके फलस्वरूप मिले दंड का बखान करने लगी। तब स्त्रियों ने स्वधर्म रक्षार्थ और उस पर रहम खाकर उसे क्षमा कर दिया और आशीर्वाद दिया। बहुत-सी स्त्रियों द्वारा आशीर्वाद लेकर जब वह पुनः झरबेरी के नीचे पहुंची तो यह देखकर आश्चर्यचकित रह गई कि वहां उसका पुत्र जीवित अवस्था में पड़ा है।
तभी उसने स्वार्थ के लिए झूठ बोलने को ब्रह्म हत्या के समान समझा और कभी झूठ न बोलने का प्रण कर लिया।
हलछठ व्रत पूजा विधि / Harchat Pooja Vidhi in Hindi
- हल छठ व्रत में हल से जुती हुई अनाज और सब्जियों का इस्तेमाल नहीं किया जाता।
- इस व्रत में उन्हीं चीजों का सेवन किया जाता है जो तालाब या मैदान में पैदा होती हैं। जैसे तिन्नी का चावल, केर्मुआ का साग, पसही के चावल आदि।
- हल छठ व्रत में भैंस का दूध, दही और घी का प्रयोग किया जाता है।
- इस व्रत में गाय के किसी भी उत्पाद जैसे दूध, दही, गोबर आदि का इस्तेमाल वर्जित माना जाता है।
- हरछठ व्रत के दिन घर या बाहर कहीं भी दीवाल पर भैंस के गोबर से छठ माता का चित्र बनाते हैं।
- तत्पश्चात गणेश और माता गौरी की श्रद्धापूर्वक पूजा करते हैं।
- इसके बाद महिलाएं घर में ही तालाब बनाकर, उसमें झरबेरी, पलाश और कांसी के पेड़ लगाती हैं।
- तत्पश्चात वहां पर बैठकर पूजा अर्चना करती हैं और हल षष्ठी की कथा सुनती हैं।
- अंत में सुहागिन स्त्रियाँ भगवान को प्रणाम करके पूजा समाप्त करती हैं एवं आशीर्वाद ग्रहण करती हैं।
हरछठ व्रत की आरती / Harchat Vrat Aarti
जय छठी मैया
ऊ जे केरवा जे फरेला खबद से, ओह पर सुगा मंडराए।
मारबो रे सुगवा धनुख से, सुगा गिरे मुरझाए॥जय॥
ऊ जे सुगनी जे रोएली वियोग से, आदित होई ना सहाय।
ऊ जे नारियर जे फरेला खबद से, ओह पर सुगा मंडराए॥जय॥
मारबो रे सुगवा धनुख से, सुगा गिरे मुरझाए।
ऊ जे सुगनी जे रोएली वियोग से, आदित होई ना सहाय॥जय॥
अमरुदवा जे फरेला खबद से, ओह पर सुगा मंडराए।
मारबो रे सुगवा धनुख से, सुगा गिरे मुरझाए॥जय॥मंडराए।
ऊ जे सुगनी जे रोएली वियोग से, आदित होई ना सहाय।
शरीफवा जे फरेला खबद से, ओह पर सुगा मंडराए॥जय॥
मारबो रे सुगवा धनुख से, सुगा गिरे मुरझाए।
ऊ जे सुगनी जे रोएली वियोग से, आदित होई ना सहाय॥जय॥
ऊ जे सेववा जे फरेला खबद से, ओह पर सुगा मेड़राए।
मारबो रे सुगवा धनुख से, सुगा गिरे मुरझाए॥जय॥
हरछठ व्रत 2023 / Harchat Vrat 2023 Date
इस वर्ष हलछठ या हरछठ व्रत 17 अगस्त को मनाया जाएगा। हलछठ के दिन सुहागिन महिलाएं पुत्र के अनुसार ही छह छोटे मिट्टी के बर्तन या पात्र में पांच या सात अनाज या मेवा भरती हैं। हिंदू पंचांग के अनुसार, प्रति व्रश भाद्रपद या भादो मास की कृष्ण पक्ष की पष्ठी तिथि को हलछठ या ललही छठ का त्योहार बड़ी धूम-धाम से मनाया जाता है।
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इस दिन श्रीकृष्ण के बड़े भाई बलराम का जन्म हुआ था इसीलिए इस दिन सुहागिन स्त्रियाँ अपने पुत्र की लंबी आयु और समृद्धि की कामना के लिए हलछठ का उपवास रखती हैं।
हरछठ व्रत का शुभ मुहूर्त
भाद्रपद कृष्ण षष्ठी तिथि प्रारम्भ – 4 सितम्बर 2023 सोमवार को 04:41 पी एम से
षष्ठी तिथि समाप्त – 5 सितम्बर 2023 मंगलवार को 03:46 पी एम बजे तक
हरछठ कब है और कब मनाया जाता है?
हरछठ भाद्रपद की छठ के दिन मनाया जाता है अर्थात रक्षाबंधन के 6 दिन बाद इस व्रत का पालन बड़े ही विधि-विधान से किया जाता है।
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