हनुमान जयंती 2023 | Hanuman Jayanti PDF Summary
नमस्कार पाठकों, इस लेख के माध्यम से आप हनुमान जयंती 2023 / Hanuman Jayanti PDF प्राप्त कर सकते हैं। हनुमान जयन्ती का पर्व चैत्र माह की पूर्णिमा को मनाई जाती है। हनुमान जी के जन्म दिवस को हनुमान जयन्ती उत्सव के रूप में मनाया जाता है। भारत के विभिन्न क्षेत्रों में भक्तगण अपनी स्थानीय मान्यताओं एवं पंचांग के आधार पर वर्ष में भिन्न-भिन्न समय पर हनुमान जयन्ती मनाते हैं।
जहाँ तक बात करें उत्तर भारत की तो अधिकांश उत्तर भरतीय क्षेत्रों में हनुमान जयन्ती का पर्व चैत्र पूर्णिमा के दिन मनाया जाता है। यदि आप हनुमान भक्त हैं तथा हनुमान जी की विशेष कृपा प्राप्त करना चाहते हैं तो आपको हनुमान जयन्ती के अवसर पर विशेष रूप से हनुमान जी की पूजा – अर्चना कर सकते हैं ।
हनुमान चालीसा का पाठ करने के बाद हनुमान चालीसा आरती भी अवश्य करनी चाहिए। उत्तर भारत की तो अधिकांश उत्तर भरतीय क्षेत्रों में हनुमान जयंती का पर्व चैत्र पूर्णिमा के दिन मनाया जाता है। श्री हनुमान तांडव स्तोत्र का पाठ करते समय पूर्ण पवित्रता का ध्यान रखना चाहिए तभी हमें बजरंगबली की विशेष कृपा मिलती है। जो भी व्यक्ति श्री हनुमान रक्षा स्तोत्र का पाठ करता है उस पर श्री हनुमान जी की कृपा के साथ-साथ भगवान् श्री राम जी की कृपा भी बनी रहती है।भक्तजन हनुमान जी के 108 नाम पढ़ कर उन्हें आसानी से प्रसन्न कर सकते हैं तथा उनकी दया-दृष्टि पाकर अपने जीवन को उत्तम बन सकते हैं। श्री हनुमान वंदना का नियमित पाठ करने से घर में किसी भी प्रकार की भूत-प्रेत की बाधा का निवारण किया जा सकता है। हनुमान साठिका तुलसीदास जी की ही एक अत्यधिक महत्वपूर्ण रचना है। इसका पाठ करने से हनुमान जी बहुत ही जल्दी कृपा करते हैं।
Hanuman Jayanti PDF / हनुमान जयंती 2023
- हनुमान जी को प्रसन्न करने के लिए चौमुखी दीपक जलाएं. इसके अलावा हनुमान चालीसा और सुंदरकांड का पाठ करें।
- हनुमान जी की पूजा में गेंदे, हजारा, कनेर, गुलाब के फूल चढ़ाएं जबकि जूही, चमेली, चम्पा, बेला इत्यादि फूलों को चढ़ाने से परहेज करें।
- मालपुआ, लड्डू, चूरमा, केला, अमरूद आदि का भोग लगाएं।
- हनुमान जी की प्रतिमा के सामने घी का दीपक जलाएं।
- दोपहर तक इस दिन कोई भी नमकीन चीज खाने से बचें।
- इस दिन हनुमान जी को सिंदूर का चोला चढ़ाने से शीघ्र मनोकामना की पूर्ति होती है।
श्री हनुमानजी आरती / Shri Hanuman Ji Ki Aarti Lyrics
आरती कीजै हनुमान लला की।
दुष्ट दलन रघुनाथ कला की॥
जाके बल से गिरिवर कांपे।
रोग दोष जाके निकट न झांके॥
अंजनि पुत्र महा बलदाई।
सन्तन के प्रभु सदा सहाई॥
दे बीरा रघुनाथ पठाए।
लंका जारि सिया सुधि लाए॥
लंका सो कोट समुद्र-सी खाई।
जात पवनसुत बार न लाई॥
लंका जारि असुर संहारे।
सियारामजी के काज सवारे॥
लक्ष्मण मूर्छित पड़े सकारे।
आनि संजीवन प्राण उबारे॥
पैठि पाताल तोरि जम-कारे।
अहिरावण की भुजा उखारे॥
बाएं भुजा असुरदल मारे।
दाहिने भुजा संतजन तारे॥
सुर नर मुनि आरती उतारें।
जय जय जय हनुमान उचारें॥
कंचन थार कपूर लौ छाई।
आरती करत अंजना माई॥
जो हनुमानजी की आरती गावे।
बसि बैकुण्ठ परम पद पावे॥
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