Hanuman Chalisa Hindi PDF Summary
नमस्कार दोस्तों, आज हम आपके लिए लेकर आये हैं हनुमान चालीसा हिंदी में PDF / Hanuman Chalisa PDF in Hindi जिसके रोजाना नियमित पाठ करने से आपके सरे कष्ट दूर हो जायेंगे। बजरंगबली कलयुग के सबसे बड़े भगवानों में माने जाते हैं। हनुमान जी अपने भक्तों को हमेसा मन चाहा वरदान देते हैं। जो कोई भी भक्त हनुमान जी की दिल से पूजा अर्चना करता है बजरंगबली उसके सारे दुखों का निवारण कर देते हैं। हनुमान जी के कई नाम हैं जैसे की अंजनी पुत्र, बजरंगबली, मारुती, पवन देव, आदि। कुल मिलाकर हनुमान जी के 108 नाम हैं जो भी इन नामो का उच्च्चारण करते है वे अपने जीवन में सभी सुखो का अनुभव करते हैं। गोस्वामी तुलसीदासजी द्वारा रचित हनुमान चालीसा में चमत्कारी शक्तियों का वर्णन किया गया है, जिनका पाठ करने से हनुमंत कृपा जरूर मिलती है।
हनुमान जी भगवान राम के सबसे बड़े और प्रिय भक्त थे। कलयुग के समय में हनुमान जी की आराधना शीघ्र फलदायी मानी गई है। हिंदू धर्म में भगवान हनुमानजी की पूजा, आराधना और वंदना बड़े ही श्रद्धा व भक्ति भाव से की जाती है। हिंदू मान्यता के अनुसार हनुमानजी ऐसे देवता हैं, जो बहुत जल्द प्रसन्न होकर अपने भक्तों के कष्टों को दूर करते हैं। धर्म शास्त्रों में बताया गया है कि हनुमानजी ऐसे एक देवता हैं जो कलयुग समय में भी पृथ्वी लोक पर मौजूद हैं और अपने भक्तों के ऊपर आने वाली हर विपदा को दूर करते रहते हैं। इसके अलावा ये भी कहा जाता है कि जो लोग हनुमान गीता और बजरंग बाण का पाठ करते है उनके जीवन में सुख-शांति हमेशा बनी रहती है।
हनुमान न चालीसा हिंदी में PDF | Hanuman Chalisa PDF
दोहा
बरनउँ रघुबर बिमल जसु जो दायकु फल चारि।।
बुद्धिहीन तनु जानिके, सुमिरौं पवन-कुमार।
बल बुधि बिद्या देहु मोहिं, हरहु कलेस बिकार।।
चौपाई
जय कपीस तिहुं लोक उजागर।।
रामदूत अतुलित बल धामा।
अंजनि-पुत्र पवनसुत नामा।।महावीर विक्रम बजरंगी।
कुमति निवार सुमति के संगी।।
कंचन वरन विराज सुवेसा।
कानन कुण्डल कुंचित केसा।।हाथ बज्र औ ध्वजा बिराजै।
काँधे मूँज जनेऊ साजै।
शंकर सुवन केसरीनंदन।
तेज प्रताप महा जग वन्दन।।विद्यावान गुणी अति चातुर।
राम काज करिबे को आतुर।।
प्रभु चरित्र सुनिबे को रसिया।
राम लखन सीता मन बसिया।।सूक्ष्म रूप धरि सियहिं दिखावा।
विकट रूप धरि लंक जरावा।।
भीम रूप धरि असुर संहारे।
रामचंद्र के काज संवारे।।लाय सजीवन लखन जियाये।
श्रीरघुबीर हरषि उर लाये।।
रघुपति कीन्ही बहुत बड़ाई।
तुम मम प्रिय भरतहि सम भाई।।सहस बदन तुम्हरो जस गावैं।
अस कहि श्रीपति कंठ लगावैं।।
सनकादिक ब्रह्मादि मुनीशा।
नारद सारद सहित अहीसा।।जम कुबेर दिगपाल जहां ते।
कवि कोविद कहि सके कहाँ ते।।
तुम उपकार सुग्रीवहिं कीन्हा।
राम मिलाय राज पद दीन्हा।।तुम्हरो मंत्र विभीषन माना।
लंकेश्वर भये सब जग जाना।।
जुग सहस्र योजन पर भानू।
लील्यो ताहि मधुर फल जानू।।
प्रभु मुद्रिका मेलि मुख माहीं।
जलधि लांघि गये अचरज नाहीं।।
दुर्गम काज जगत के जेते।
सुगम अनुग्रह तुम्हरे तेते।।
राम दुआरे तुम रखवारे।
होत न आज्ञा बिनु पैसारे।।
सब सुख लहै तुम्हारी सरना।
तुम रक्षक काहू को डरना।।
आपन तेज सम्हारो आपै।
तीनों लोक हांक तें कांपै।।
भूत पिसाच निकट नहिं आवै।
महाबीर जब नाम सुनावै।।
नासै रोग हरै सब पीरा।
जपत निरंतर हनुमत बीरा।।
संकट तें हनुमान छुड़ावै।
मन क्रम वचन ध्यान जो लावै।।
सब पर राम तपस्वी राजा।
तिनके काज सकल तुम साजा।
और मनोरथ जो कोई लावै।
सोई अमित जीवन फल पावै।।
चारों युग परताप तुम्हारा।
है परसिद्ध जगत उजियारा।।
साधु-संत के तुम रखवारे।
असुर निकंदन राम दुलारे।।
अष्ट सिद्धि नौ निधि के दाता।
अस वर दीन जानकी माता।।
राम रसायन तुम्हरे पासा।
सदा रहो रघुपति के दासा।।
तुम्हरे भजन राम को भावै।
जनम-जनम के दुख बिसरावै।।
अन्त काल रघुबर पुर जाई।
जहाँ जन्म हरि-भक्त कहाई।।
और देवता चित्त न धरई।
हनुमत सेई सर्व सुख करई।।
संकट कटै मिटै सब पीरा।
जो सुमिरै हनुमत बलबीरा।।
जै जै जै हनुमान गोसाईं।
कृपा करहु गुरुदेव की नाईं।।
जो सत बार पाठ कर कोई।
छूटहिं बंदि महा सुख होई।।
जो यह पढ़ै हनुमान चालीसा।
होय सिद्धि साखी गौरीसा।।
तुलसीदास सदा हरि चेरा।
कीजै नाथ हृदय महँ डेरा।।
दोहा
पवनतनय संकट हरन, मंगल मूरति रूप।
राम लखन सीता सहित, हृदय बसहु सुर भूप।।
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