हनुमान चालीसा गीता प्रेस गोरखपुर | Hanuman Chalisa Gita Press Gorakhpur Hindi - Description
नमस्कार मित्रों, इस पोस्ट के माध्यम से हम आपको हनुमान चालीसा गीता प्रेस गोरखपुर PDF / Hanuman Chalisa Gita Press Gorakhpur PDF in Hindi के लिए डाउनलोड लिंक दे रहे हैं। दोस्तों, हनुमान वंदना और हनुमान चालीसा का रोजाना नियमित पाठ करने से भगवान बजरंगबली प्रसन्न होते हैं तथा अपने भक्त को मनचाहा वरदान देते हैं और साथ ही उनके सरे दुखों और कष्टों को भी हर लेते हैं। आपने यह भी सुना होगा की हनुमान चालीसा का पाठ करने से भूत विशाच और बुरी आत्माएं हमारे पास कभी नहीं आती है। अत: जिन लोगों पर भूतों का साया या काले जादू का साया होता है उन्हें हनुमान चालीसा का ही पाठ करना चाहिए।
हर प्रकार के दुखों के निवारण, भय से मुक्ति और अपने आराध्य हनुमानजी को प्रसन्न करने के लिए हनुमान जी की पूजा और हनुमान चालीसा(संस्कृत) नियमित पाठ अवश्य किया जाता है। गोस्वामी तुलसीदास जी द्वारा रचित हनुमान चालीसा में चमत्कारी शक्तियों का वर्णन किया गया है, जिनका पाठ करने से हनुमंत कृपा जरूर मिलती है।
हनुमान चालीसा गीता प्रेस गोरखपुर PDF | Hanuman Chalisa Gita Press Gorakhpur PDF
दोहा
बरनउँ रघुबर बिमल जसु जो दायकु फल चारि।।
बुद्धिहीन तनु जानिके, सुमिरौं पवन-कुमार।
बल बुधि बिद्या देहु मोहिं, हरहु कलेस बिकार।।
चौपाई
जय कपीस तिहुं लोक उजागर।।
रामदूत अतुलित बल धामा।
अंजनि-पुत्र पवनसुत नामा।।महावीर विक्रम बजरंगी।
कुमति निवार सुमति के संगी।।
कंचन वरन विराज सुवेसा।
कानन कुण्डल कुंचित केसा।।हाथ बज्र औ ध्वजा बिराजै।
काँधे मूँज जनेऊ साजै।
शंकर सुवन केसरीनंदन।
तेज प्रताप महा जग वन्दन।।विद्यावान गुणी अति चातुर।
राम काज करिबे को आतुर।।
प्रभु चरित्र सुनिबे को रसिया।
राम लखन सीता मन बसिया।।सूक्ष्म रूप धरि सियहिं दिखावा।
विकट रूप धरि लंक जरावा।।
भीम रूप धरि असुर संहारे।
रामचंद्र के काज संवारे।।लाय सजीवन लखन जियाये।
श्रीरघुबीर हरषि उर लाये।।
रघुपति कीन्ही बहुत बड़ाई।
तुम मम प्रिय भरतहि सम भाई।।सहस बदन तुम्हरो जस गावैं।
अस कहि श्रीपति कंठ लगावैं।।
सनकादिक ब्रह्मादि मुनीशा।
नारद सारद सहित अहीसा।।जम कुबेर दिगपाल जहां ते।
कवि कोविद कहि सके कहाँ ते।।
तुम उपकार सुग्रीवहिं कीन्हा।
राम मिलाय राज पद दीन्हा।।तुम्हरो मंत्र विभीषन माना।
लंकेश्वर भये सब जग जाना।।
जुग सहस्र योजन पर भानू।
लील्यो ताहि मधुर फल जानू।।प्रभु मुद्रिका मेलि मुख माहीं।
जलधि लांघि गये अचरज नाहीं।।
दुर्गम काज जगत के जेते।
सुगम अनुग्रह तुम्हरे तेते।।
राम दुआरे तुम रखवारे।
होत न आज्ञा बिनु पैसारे।।
सब सुख लहै तुम्हारी सरना।
तुम रक्षक काहू को डरना।।
आपन तेज सम्हारो आपै।
तीनों लोक हांक तें कांपै।।
भूत पिसाच निकट नहिं आवै।
महाबीर जब नाम सुनावै।।
नासै रोग हरै सब पीरा।
जपत निरंतर हनुमत बीरा।।
संकट तें हनुमान छुड़ावै।
मन क्रम वचन ध्यान जो लावै।।
सब पर राम तपस्वी राजा।
तिनके काज सकल तुम साजा।
और मनोरथ जो कोई लावै।
सोई अमित जीवन फल पावै।।
चारों युग परताप तुम्हारा।
है परसिद्ध जगत उजियारा।।
साधु-संत के तुम रखवारे।
असुर निकंदन राम दुलारे।।
अष्ट सिद्धि नौ निधि के दाता।
अस वर दीन जानकी माता।।
राम रसायन तुम्हरे पासा।
सदा रहो रघुपति के दासा।।
तुम्हरे भजन राम को भावै।
जनम-जनम के दुख बिसरावै।।
अन्त काल रघुबर पुर जाई।
जहाँ जन्म हरि-भक्त कहाई।।
और देवता चित्त न धरई।
हनुमत सेई सर्व सुख करई।।
संकट कटै मिटै सब पीरा।
जो सुमिरै हनुमत बलबीरा।।
जै जै जै हनुमान गोसाईं।
कृपा करहु गुरुदेव की नाईं।।
जो सत बार पाठ कर कोई।
छूटहिं बंदि महा सुख होई।।
जो यह पढ़ै हनुमान चालीसा।
होय सिद्धि साखी गौरीसा।।
तुलसीदास सदा हरि चेरा।
कीजै नाथ हृदय महँ डेरा।।
राम लखन सीता सहित, हृदय बसहु सुर भूप।।
You may also like:
पंचमुखी हनुमान चालीसा | Panchmukhi Hanuman Chalisa
हनुमान चालीसा गीता प्रेस गोरखपुर | Hanuman Chalisa Gita Press Gorakhpur
हनुमान अष्टक | Sankat Mochan Hanuman Ashtak
यंत्रोद्धारक हनुमान स्तोत्र | Yantrodharaka Hanuman Stotra
हनुमान शाबर मंत्र संग्रह | Hanuman Shabar Mantra
संकटमोचन हनुमान अष्टक | Hanuman Ashtak
श्री बजरंग बाण | Shri Bajrang Baan
नीचे दिए गए लिंक पर क्लिक करके आप हनुमान चालीसा गीता प्रेस गोरखपुर PDF / Hanuman Chalisa Gita Press Gorakhpur PDF in Hindi मुफ्त में डाउनलोड कर सकते हैं।