गोवत्स द्वादशी व्रत कथा | Govatsa Dwadashi Vrat Katha PDF in Hindi

गोवत्स द्वादशी व्रत कथा | Govatsa Dwadashi Vrat Katha Hindi PDF Download

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गोवत्स द्वादशी व्रत कथा | Govatsa Dwadashi Vrat Katha Hindi PDF Summary

नमस्कार पाठकों, इस लेख के माध्यम से आप गोवत्स द्वादशी व्रत कथा PDF प्राप्त कर सकते हैं। गोवत्स द्वादशी को कई क्षेत्रों में बछ बारस के नाम से भी जाना जाता है। गोवत्स द्वादशी के दिन गाय-बछड़े की पूजा करने का ‍महत्व माना गया है तथा इस अवसर पर गाय और बछड़ों की सेवा व पूजा की जाती है।
यह दिन हमें प्रकृति के प्रति आभार व्यक्त करने की शिक्षा देता है। गौ माता तथा उनके बछड़े को हिन्दू धर्म में अत्यधिक महत्वपूर्ण माना जाता है। गाय दूध देती है जो की विभिन्न आहार का श्रोत होता है तथा बैल खेत में हल चलाकर किसान की सहायता करता है। यदि आप भी गोवत्स द्वादशी का व्रत रख रहे हैं, तो निम्नलिखित गोवत्स द्वादशी व्रत कथा को अवश्य पढ़ें।
 

बछ बारस व्रत कथा / Bach Baras Vrat Katha in Hindi

गोवत्स द्वादशी/बछ बारस की पौराणिक कथा के अनुसार प्राचीन समय में भारत में सुवर्णपुर नामक एक नगर था। वहां देवदानी नाम का राजा राज्य करता था। उसके पास एक गाय और एक भैंस थी। उनकी दो रानियां थीं, एक का नाम ‘सीता’ और दूसरी का नाम ‘गीता’ था। सीता को भैंस से बड़ा ही लगाव था। वह उससे बहुत नम्र व्यवहार करती थी और उसे अपनी सखी के समान प्यार करती थी। राजा की दूसरी रानी गीता गाय से सखी-सहेली के समान और बछडे़ से पुत्र समान प्यार और व्यवहार करती थी।
यह देखकर भैंस ने एक दिन रानी सीता से कहा- गाय-बछडा़ होने पर गीता रानी मुझसे ईर्ष्या करती है। इस पर सीता ने कहा- यदि ऐसी बात है, तब मैं सब ठीक कर लूंगी। सीता ने उसी दिन गाय के बछडे़ को काट कर गेहूं की राशि में दबा दिया। इस घटना के बारे में किसी को कुछ भी पता नहीं चलता। किंतु जब राजा भोजन करने बैठा तभी मांस और रक्त की वर्षा होने लगी। महल में चारों ओर रक्त तथा मांस दिखाई देने लगा। राजा की भोजन की थाली में भी मल-मूत्र आदि की बास आने लगी। यह सब देखकर राजा को बहुत चिंता हुई।
उसी समय आकाशवाणी हुई- ‘हे राजा! तेरी रानी ने गाय के बछडे़ को काटकर गेहूं की राशि में दबा दिया है। इसी कारण यह सब हो रहा है। कल ‘गोवत्स द्वादशी’ है। इसलिए कल अपनी भैंस को नगर से बाहर निकाल दीजिए और गाय तथा बछडे़ की पूजा करें। इस दिन आप गाय का दूध तथा कटे फलों का भोजन में त्याग करें। इससे आपकी रानी द्वारा किया गया पाप नष्ट हो जाएगा और बछडा़ भी जिंदा हो जाएगा। अत: तभी से गोवत्स द्वादशी के दिन गाय-बछड़े की पूजा करने का ‍महत्व माना गया है तथा गाय और बछड़ों की सेवा की जाती है।

गौ माता की आरती  / Gau Mata Ki Aarti in Hindi Lyrics

ॐ जय जय गौमाता, मैया जय जय गौमाता

जो कोई तुमको ध्याता, त्रिभुवन सुख पाता

सुख समृद्धि प्रदायनी, गौ की कृपा मिले

जो करे गौ की सेवा, पल में विपत्ति टले

आयु ओज विकासिनी, जन जन की माई

शत्रु मित्र सुत जाने, सब की सुख दाई

सुर सौभाग्य विधायिनी, अमृती दुग्ध दियो

अखिल विश्व नर नारी, शिव अभिषेक कियो

ममतामयी मन भाविनी, तुम ही जग माता

जग की पालनहारी, कामधेनु माता

संकट रोग विनाशिनी, सुर महिमा गाई

गौ शाला की सेवा, संतन मन भाई

गौ मां की रक्षा हित, हरी अवतार लियो

गौ पालक गौपाला, शुभ संदेश दियो

श्री गौमाता की आरती, जो कोई सुत गावे

पदम् कहत वे तरणी, भव से तर जावे

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गोवत्स द्वादशी व्रत कथा | Govatsa Dwadashi Vrat Katha pdf

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