गोवर्धन पूजा व्रत कथा | Govardhan Puja Vrat Katha Hindi PDF Summary
नमस्कार दोस्तों, इस लेख के माध्यम से आप गोवर्धन पूजा व्रत कथा PDF / Govardhan Puja Vrat Katha PDF in Hindi भाषा में प्राप्त कर सकते हैं। हिन्दू धर्म ग्रन्थों में गोवर्धन पूजा से संबन्धित अनेक व्रतांत प्राप्त होते हैं। ब्रज तथा उसके समीपवर्ती सभी क्षेत्रों में तो गोवर्धन पूजा का उत्सव अत्यधिक धूमधाम से मानया जाता है।
गोवर्धन पूजा दीपावली पर्व के पाँच दिनों तक चलने वाले उत्सव का एक महत्वपूर्ण भाग है। गोवर्धन पूजा के अंतर्गत गाय के गोबर से गोवेर्धन भगवान के स्वरूप की रचना शुद्ध भूमि पर की जाती है तथा उसका विधि – विधान से पूजन किया जाता है। यदि आप भी गोवेर्धन महाराज का पूजन करना चाहते हैं तो गोवर्धन पूजा व्रत कथा का पाठ अवश्य करें।
गोवर्धन पूजा व्रत कथा PDF | Govardhan Puja Vrat Katha PDF in Hindi
एक बार सभी बृजवासी मिलकर भगवान इंद्र देव की उपासना करने जा रहे थे। उस समय भगवान विष्णु के परमावतार श्री कृष्ण बृज में ही बाल लीलाएं कर रही थे। जब श्रीकृष्ण को इंद्र देव की पूजा के बारे में पता चला तो उन्होंने सभी बृजवासियों से कहा कि आप इंद्र देव की पूजा ना करके गोवर्धन पर्वत की पूजा कीजिए। क्योंकि इस पर्वत की छत्रछाया में ही समस्त बृजवासी सुख से अपना जीवन व्यतीत कर पा रहे हैं।
बृजवासियों को भगवान श्री कृष्ण की यह बात बहुत अच्छी लगी और उन्होंने यह निश्चय किया कि वह अब से हर साल कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि को श्री गोवर्धन पर्वत की पूजा किया करेंगें। जब इस बारे में भगवान इंद्र को पता चला तो उन्होंने क्रोधित हो बृज में खूब वर्षा की।
ऐसी मान्यता है कि तब बृजवासियों की रक्षा करने के लिए भगवान श्री कृष्ण ने अपनी सबसे छोटी उंगली यानी कनिष्ठा उंगली पर सात दिन के लिए गोवर्धन पर्वत को धारण किया था और समस्त बृजवासियों की रक्षा की थी। इसलिए तब से ही गोवर्धन पूजा करने की परंपरा चली आ रही है। क्योंकि ऐसा कहा जाता है कि भगवान गोवर्धन अपने सभी शरणागत भक्तों की रक्षा करते हैं। कहते हैं कि गोवर्धन पर्वत भगवान श्री कृष्ण का ही एक स्वरूप है।
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