श्री गोवर्धन महाराज तेरे माथे मुकुट विराज रहो | Govardhan Maharaj Ki Aarti PDF Hindi

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श्री गोवर्धन महाराज तेरे माथे मुकुट विराज रहो | Govardhan Maharaj Ki Aarti Hindi - Description

नमस्कार मित्रों, इस लेख के माध्यम से आप श्री गोवर्धन महाराज की आरती PDF प्राप्त कर सकते हैं। हिन्दू धार्मिक मान्यताओं के अनुसार दीपावली के अगले दिन श्री गोवर्धन महराज की पूजा की जाती है। उत्तरप्रदेश के मथुरा गोवेर्धन पर्वत को श्री गोवर्धन महाराज के रूप में जाना जाता है। श्री गोवेर्धन महराज की सात कोस (२१ किलोमीटर) की परिक्रमा लगाई जाती है।

यदि आप भी अपने घर पर गोवेर्धन महराज की पूजा करते हैं, तो वह वर्ष भर आपके घर में अन्न आदि की कोई कमी नहीं होने देते हैं तथा व्यक्ति की अवांछित घंटनों से रक्षा करते हैं। श्री गोवर्धन महाराज तेरे माथे मुकुट विराज रहो, यह आरती गोवेर्धन भगवान् की सर्वाधिक प्रचलित व लोकप्रिय आरती है। इस आरती को गाकर आप श्री गोवेर्धन देव की विशेष कृपा प्राप्त कर सकते हैं।

श्री गोवर्धन महाराज आरती लिरिक्स PDF | Shri Govardhan Maharaj Tere Mathe Mukut Viraj Raho Lyrics PDF

श्री गोवर्धन महाराज, ओ महाराज,

तेरे माथे मुकुट विराज रहेओ।

तोपे पान चढ़े तोपे फूल चढ़े,

तोपे चढ़े दूध की धार।

तेरे माथे मुकुट विराज रहेओ।

तेरी सात कोस की परिकम्मा,

चकलेश्वर है विश्राम।

तेरे माथे मुकुट विराज रहेओ।

तेरे गले में कण्ठा साज रहेओ,

ठोड़ी पे हीरा लाल।

तेरे माथे मुकुट विराज रहेओ।

तेरे कानन कुण्डल चमक रहेओ,

तेरी झाँकी बनी विशाल।

तेरे माथे मुकुट विराज रहेओ।

गिरिराज धरण प्रभु तेरी शरण,

करो भक्त का बेड़ा पार।

तेरे माथे मुकुट विराज रहेओ।

 

गोवर्धन पूजा मंत्र | Govardhan Puja Mantra

ओम कृष्णाय वासुदेवाय हरये परमात्मने।।

प्रणत: क्लेशनाशय गोविंदाय नमो नम:।।

नम: भगवते वासुदेवाय कृष्णाय

क्लेशनाशाय गोविंदाय नमो नम:।

गोवर्धन धराधार गोकुल त्राणकारक।

विष्णुबाहु कृतोच्छ्राय गवां कोटिप्रभो भव।।

लक्ष्मीर्या लोकपालानां धेनुरूपेण संस्थिता।

घृत वहति यज्ञार्थ मम पापं व्यपोहतु।।

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