गणेश चतुर्थी पूजा विधि | Ganesh Chaturthi Pooja Vidhi/Katha PDF Hindi

गणेश चतुर्थी पूजा विधि | Ganesh Chaturthi Pooja Vidhi/Katha Hindi PDF Download

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गणेश चतुर्थी पूजा विधि | Ganesh Chaturthi Pooja Vidhi/Katha Hindi - Description

दोस्तों इस पोस्ट में हमने आपके लिए गणेश चतुर्थी पूजा विधि PDF / Ganesh Chaturthi Pooja Vidhi/Katha PDF अपलोड किया हैं। श्री गणेश पूजा अपने आपमें बहुत ही महत्वपूर्ण व कल्याणकारी है। चाहे वह किसी कार्य की सफलता के लिए हो या फिर चाहे किसी कामनापूर्ति स्त्री, पुत्र, पौत्र, धन, समृद्धि के लिए या फिर अचानक ही किसी संकट मे पड़े हुए दुखों के निवारण हेतु हो। श्री गणेश की पूजा में गणेश चतुर्थी व्रत कथा PDF का बहुत महत्त्व होता है। जब कभी किसी व्यक्ति को किसी अनिष्ट की आशंका हो या उसे नाना प्रकार के शारीरिक या आर्थिक कष्ट उठाने पड़ रहे हो तो उसे श्रद्धा एवं विश्वासपूर्वक किसी योग्य व विद्वान ब्राह्मण के सहयोग से श्रीगणपति प्रभु व शिव परिवार का व्रत, आराधना व पूजन करना चाहिए। यहाँ से आप गणेश चतुर्थी पूजा विधि PDF / गणेश चतुर्थी व्रत कथा PDF मुफ्त में बड़ी आसानी से डाउनलोड कर सकते हैं।
श्रीगणेश चतुर्थी को पत्थर चौथ और कलंक चौथ के नाम भी जाना जाता है। यह प्रति वर्ष भाद्रपद मास को शुक्ल चतुर्थी के रूप में मनाया जाता है। चतुर्थी तिथि को श्री गणपति भगवान की उत्पत्ति हुई थी इसलिए इन्हें यह तिथि अधिक प्रिय है। जो विघ्नों का नाश करने वाले और ऋद्धि-सिद्धि के दाता हैं। इसलिए इन्हें सिद्धि विनायक भगवान भी कहा जाता है।

गणेश चतुर्थी पूजा विधि PDF / Ganesh Chaturthi Pooja Vidhi Hindi PDF

  • प्रातः स्नान करने के बाद सोने, तांबे, मिट्टी की गणेश प्रतिमा लें।
  • कलश में जल भरकर उसके मुंह पर कोरा वस्त्र बांधकर उसके ऊपर गणेश जी को विराजमान करें।
  • गणेश जी को सिंदूर व दूर्वा अर्पित करके 21 लडडुओं का भोग लगाएं. इनमें से 5 लड्डू गणेश जी को अर्पित करके शेष लड्डू गरीबों या ब्राह्मणों को बाँट दें।
  • शाम के समय गणेश जी का पूजन करना चाहिए. गणेश चतुर्थी की कथा, गणेश चालीसा व आरती पढ़ने के बाद अपनी दृष्टि को नीचे रखते हुए चन्द्रमा को अर्घ्य देना चाहिए।
  • इस दिन गणेश जी के सिद्धिविनायक रूप की पूजा व व्रत किया जाता है।

गणेश पूजा मंत्र PDF | Ganesh Pooja Mantra Hindi PDF

भगवान गणेश जी की पूजन में वेद मंत्र का उच्चारण किया जाता है। जिन्हें वेद मंत्र न आता हो, उनकों नाम-मंत्रों से पूजन करना चाहिए।

स्नान करने के पश्चात अपने पास समस्त सामग्री रख लें फिर आसन पर पूर्व दिशा की ओर मुख करके आसन पर बैठकर तीन बार निम्न मंत्र बोलकर आचमन करें।
ॐ केशवाय नम:
ॐ नारायणाय नम:
ॐ माधवाय नम:

आचमन के पश्चात हाथ में जल लेकर ‘ॐ ऋषिकेशाय नम: बोलकर हाथ धो लें।
हाथ धोने के बाद पवित्री धारण करें, पवित्री के बाद बाएं हाथ में जल लेकर दाहिने हाथ से अपने ऊपर और पूजन सामग्री पर छिड़क ले।
ॐ पुण्डरीकाक्ष पुनातु, ॐ पुण्डरीकाक्ष पुनातु, ॐ पुण्डरीकाक्ष पुनातु बोलकर गणेश जी एवं अम्बिका (सुपारी में मौली लपेटकर) को स्थापित करें निम्न मंत्र बोलकर आवाहन करें।

ॐ गणेशाम्बिकाभ्यां नम:!!
फिर कामना-विशेष का नाम लेकर संकल्प ले लें, अर्थात दाहिने हाथ में जल, सुपारी, सिक्का, फूल एवं चावल लेकर जिस निमित्त पूजन कर रहे है उसका मन में उच्चारण करके थाली या गणेश जी के सामने छोड़ दें।
अब हाथ में चावल लेकर गणेश अम्बिका का ध्यान करें।
ॐ भूर्भुव:स्व: सिध्दिबुध्दिसहिताय गणपतये नम:,
गणपतिमावाहयामि, स्थापयामि, पूजयामि च!
ॐ भूर्भुव:स्व:गौर्ये नम:,गौरीमावाहयामि, स्थापयामि, पूजयामि च!
आसन के लिए चावल चढ़ाएं,
ॐ गणेश-अम्बिके नम:आसनार्थे अक्षतान समर्पयामि!
फिर स्नान के लिए जल चढ़ाएं,
ॐ गणेशाम्बिकाभ्यां नम:स्नानार्थ जलं समर्पयामि!
फिर दूध चढ़ाएं
ॐ भूर्भुव:स्व:गणेशाम्बिकाभ्यां नम:,पय:स्नानं समर्पयामि!
फिर दही चढ़ाएं
ॐ भूर्भुव:स्व:गणेशाम्बिकाभ्यां नम:, दधिस्नानं समर्पयामि!
फिर घी चढ़ाएं
ॐ भूर्भुव:स्व:गणेशाम्बिकाभ्यां नम:,घृतस्नानं समर्पयामि!
फिर शहद चढ़ाएं।
ॐ भूर्भुव:स्व:गणेशाम्बिकाभ्यां नम:,मधुस्नानं समर्पयामि।
फिर शक्कर चढ़ाएं।
ॐ भूर्भुव:स्व:गणेशाम्बिकाभ्यां नम:,शर्करास्नानं समर्पयामि।
फिर पंचामृत चढ़ाएं। (दूध, दही, शहद, शक्कर एवं घी को मिलाकर)
ॐ भूर्भुव:स्व:गणेशाम्बिकाभ्यां नम:,पंचामृतस्नानं समर्पयामि!
फिर चंदन घोलकर चढ़ाएं।
ॐ भूर्भुव:स्व:गणेशाम्बिकाभ्यां नम:,गंधोदकस्नानं समर्पयामि!
फिर शुद्ध जल डालकर शुद्ध करें।
ॐ भूर्भुव:स्व:गणेशाम्बिकाभ्यां नम:,शुध्दोदकस्नानं समर्पयामि!
फिर उनको आसन पर विराजमान करें।
फिर वस्त्र चढ़ाएं।
ॐ भूर्भुव:स्व:गणेशाम्बिकाभ्यां नम:,वस्त्रं समर्पयामि!
फिर आचमनी जल छोड़ दें,
उसके बाद उपवस्त्र (मौली) चढ़ाएं।
ॐ भूर्भुव:स्व:गणेशाम्बिकाभ्यां नम:, उपवस्त्रं समर्पयामि!
फिर आचमनी जल छोड़ दे,
फिर गणेश जी को यज्ञोपवित (जनेऊ) चढ़ाएं!
ॐ भूर्भुव:स्व:गणेशाभ्यां नम:यज्ञोपवितं समर्पयामि!
फिर आचमनी जल छोड़ दें।
फिर चन्दन लगाएं।
ॐ भूर्भुव:स्व:गणेशाम्बिकाभ्यां नम:,चंदनानुलेपनं समर्पयामि!
फिर चावल चढ़ाएं।
ॐ भूर्भुव:स्व:गणेशाम्बिकाभ्यां नम:,अक्षतान समर्पयामि!
फिर फूल-फूलमाला चढ़ाएं।
ॐ भूर्भुव:स्व:गणेशाम्बिकाभ्यां नम:,पुष्पमालां समर्पयामि!
फिर दूर्वा चढ़ाएं।
ॐ भूर्भुव:स्व:गणेशाम्बिकाभ्यां नम:, दुर्वाकरान समर्पयामि।
फिर सिन्दूर चढ़ाएं!
ॐ भूर्भुव:स्व:गणेशाम्बिकाभ्यां नम:, सिन्दूरं समर्पयामि!
फिर अबीर, गुलाल, हल्दी आदि चढ़ाएं।
ॐ भूर्भुव:स्व:गणेशाम्बिकाभ्यां नम:, नानापरिमलद्रव्याणि समर्पयामि!
फिर सुगंधित (इत्र) चढ़ाएं।
ॐ भूर्भुव:स्व:गणेशाम्बिकाभ्यां नम:, सुंगधिद्रव्यं समर्पयामि!
फिर धूप-दीप दिखाएं।
ॐ भूर्भुव:स्व:गणेशाम्बिकाभ्यां नम:,धूप-दीपं दर्शयामि!
फिर ऋषि केशाय नम: बोलकर हाथ धोकर नैवेद्य लगाए।
ॐ प्राणाय स्वाहा! ॐ अपानाय स्वाहा! ॐ समानाय स्वाहा!
ॐ भूर्भुव:स्व:गणेशाम्बिकाभ्यां नम:, नैवेद्यं निवेदयामि!
फिर ऋतुफल चढ़ाएं।
ॐ भूर्भुव:स्व:गणेशाम्बिकाभ्यां नम:,ऋतुफलानि समर्पयामि!
फिर लौंग-इलायची, सुपारी अर्पित करें।
फिर दक्षिणा चढ़ाकर भगवान गणेश जी की आरती करें।
फिर परिक्रमा करें! तत्पश्चात भगवान गणेश-अम्बिका से प्रार्थना करें!
फिर दाहिने हाथ में जल लेकर पृथ्वी पर छोड़ दें।
यह बोलकर अन्य पूज्य गणेशाम्बिके प्रीयेताम न मम!
इस प्रकार श्री गणेश जी की पूजन कर अपने संपूर्ण मनोरथ पूर्ण करें।

गणेश चतुर्थी का मुहूर्त

  • मध्याहन गणेश पूजा मुहूर्त – 11 बजकर 06 मिनट सुबह से दोपहर 01 बजकर 42 मिनट तक
  • वर्जित चंद्र दर्शन का समय – सुबह 09 बजकर 07 मिनट से रात 09:26 तक
  • चतुर्थी तिथि आरंभ – 21 अगस्त, शुक्रवार – रात 11 बजकर 02 मिनट से
  • चतुर्थी तिथि समाप्त – 22 अगस्त, शनिवार – शाम 07 बजकर 57 मिनट तक

गणेश चतुर्थी पूजा सामग्री लिस्ट PDF | Ganesh Chaturthi Pooja Samagri List PDF

  • दीपक
  • ज्योत
  • घी
  • अगरबत्ती
  • नारियल
  • कलश
  • फूलों की माला
  • जनेऊ
  • कुमकुम
  • चावल
  • कलावा
  • दुर्वा घास
  • पांच तरह की मिठाई
  • पांच तरह के मेवे
  • पांच तरह के फल
  • पान का पत्ता
  • सुपारी
  • लौंग
  • इलायची
  • आम के पत्ते
  • गंगाजल

गणेश चतुर्थी व्रत कथा PDF | Ganesh Chaturthi Vrat Katha Hindi PDF

एक समय भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी के विवाह की तैयारियां चल रही थीं, इसमें सभी देवताओं को निमंत्रित किया गया लेकिन विघ्नहर्ता गणेश जी को निमंत्रण नहीं भेजा गया। सभी देवता अपनी पत्नियों के साथ विवाह में आए लेकिन गणेश जी उपस्थित नहीं थे, ऐसा देखकर देवताओं ने भगवान विष्णु से इसका कारण पूछा। उन्होंने कहा कि भगवान शिव और पार्वती को निमंत्रण भेजा है, गणेश अपने माता-पिता के साथ आना चाहें तो आ सकते हैं। हालांकि उनको सवा मन मूंग, सवा मन चावल, सवा मन घी और सवा मन लड्डू का भोजन दिनभर में चाहिए। यदि वे नहीं आएं तो अच्छा है। दूसरे के घर जाकर इतना सारा खाना-पीना अच्छा भी नहीं लगता।
इस दौरान किसी देवता ने कहा कि गणेश जी अगर आएं तो उनको घर के देखरेख की जिम्मेदारी दी जा सकती है। उनसे कहा जा सकता है कि आप चूहे पर धीरे-धीरे जाएंगे तो बाराज आगे चली जाएगी और आप पीछे रह जाएंगे, ऐसे में आप घर की देखरेख करें। योजना के अनुसार, विष्णु जी के निमंत्रण पर गणेश जी वहां उपस्थित हो गए। उनको घर के देखरेख की जिम्मेदारी दे दी गई। बारात घर से निकल गई और गणेश जी दरवाजे पर ही बैठे थे, यह देखकर नारद जी ने इसका कारण पूछा तो उन्होंने कहा कि विष्णु भगवान ने उनका अपमान किया है। तब नारद जी ने गणेश जी को एक सुझाव दिया।
गणपति ने सुझाव के तहत अपने चूहों की सेना बारात के आगे भेज दी, जिसने पूरे रास्ते खोद दिए। इसके फलस्वरूप देवताओं के रथों के पहिए रास्तों में ही फंस गए। बारात आगे नहीं जा पा रही थी। किसी के समझ में कुछ भी नहीं आ रहा था कि क्या किया जाए, तब नारद जी ने गणेश जी को ​बुलाने का उपाय दिया ताकि देवताओं के विघ्न दूर हो जाएं। भगवान शिव के आदेश पर नंदी गजानन को लेकर आए। देवताओं ने गणेश जी का पूजन किया, तब जाकर रथ के पहिए गड्ढों से निकल तो गए लेकिन कई पहिए टूट गए थे।
उस समय पास में ही एक लोहार काम कर रहा था, उसे बुलाया गया। उसने अपना काम शुरू करने से पहले गणेश जी का मन ही मन स्मरण किया और देखते ही देखते सभी रथों के पहियों को ठीक कर दिया। उसने देवताओं से कहा कि लगता है आप सभी ने शुभ कार्य प्रारंभ करने से पहले विघ्नहर्ता गणेश जी की पूजा नहीं की है, तभी ऐसा संकट आया है। आप सब गणेश जी का ध्यान कर आगे जाएं, आपके सारे काम हो जाएंगे। देवताओं ने गणेश जी की जय जयकार की और बारात अपने गंतव्य तक सकुशल पहुंच गई। भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी का विवाह संपन्न हो गया।
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