आहार पोषण एवं स्वच्छता | Food Nutrition and Hygiene Hindi PDF Summary
नमस्कार पाठकों, इस लेख के माध्यम से आप आहार पोषण एवं स्वच्छता PDF / Food Nutrition and Hygiene PDF in Hindi प्राप्त कर सकते हैं। आहार मानुष्य जीवन की मूलभूत आवश्यकता है तथा इस आहर से मिलने वाले पोषण के आधार पर ही मनुष्य का शरीर अपने संचालन हेतु आवश्यक पोशाक तत्वों को प्राप्त करते हुये इस शरीर को हष्ट – पुष्ट रखता है।
आहार व पोषण न केवल एक मूलभूत आवश्यकता हैं अपितु विभिन्न प्रकार के रोगों से लड़ने में भी यह सहायक सिद्ध होते हैं जिसके माध्यम से आप अपने शरीर को स्वस्थ्य रखते हैं। आहार व पोषण के साथ – साथ एक और अन्य मुख्य आवश्यकता शुद्धता है क्योंकि बिना शुद्धता के आप एक उपयुक्त आहार नही प्राप्त कर सकते हैं।
यदि आप शुद्धता का ध्यान नही रखेंगे तो भिन्न – भिन्न प्रकार के किटाणु व रोगाणु आपके शरीर में प्रवेश कर जाएंगे तथा आपके अनेक प्रकार के रोगों से ग्रसित होकर पीड़ित होने की संभावना बढ़ जाएगी। कोरोना महामारी के समय भी लोगों ने स्वछता के महत्व को समझा तथा यह जाना कि शुद्धता कितनी महत्वपूर्ण है।
आहार पोषण एवं स्वच्छता PDF / Food Nutrition and Hygiene PDF in Hindi
विषय सूची |
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1. | भोजन एवं पोषण की अवधारणा- परिभाषा, कार्य, वर्गीकरण, पोषकतत्व, पोषण एवं स्वास्थ्य |
2. | सन्तुलित आहार और उसको प्रभावित करने वाले कारक |
3. | पोषण एवं इसके प्रकार |
4. | आहार आयोजन |
5. | आहार समूह एवं कार्य |
6. | पोषक तत्व – दीर्घ एवं लघु – प्रोटीन |
7. | कार्बोहाइड्रेट |
8. | वसा या स्निग्ध पदार्थ |
9. | विटामिन |
10. | खनिज लवण |
11. | जल एवं आहारीय रेशे |
12. | बच्चे का विकास और प्रसव पूर्व पोषण |
13. | ब्रेस्ट / फॉर्मूला फीडिंग |
14. | अनुपूरक एवं प्रारम्भिक आहार (6 माह से 2 वर्ष तक) |
15. | सामुदायिक स्वास्थ्य अवधारणा – परिचय |
16. | समाज में प्रचलित सामान्य बीमारियाँ एवं इसके कारण |
17. | आहारीय पोषण- राष्ट्रीय एवं अन्तर्राष्ट्रीय कार्यक्रम एवं नीतियाँ |
18. | मधुमेह की स्थिति में आहार |
19. | उच्च रक्तचाप में आहार |
20. | मोटापा की स्थिति में आहार |
21. | कब्ज |
22. | दस्त सम्बन्धी रोग में आहार |
23. | ज्वर की स्थिति में आहार- टाइफाइड |
24. | प्रतिरक्षा तंत्र प्रणाली एवं प्रतिरक्षा बढ़ाने वाला आहार |
भारत सरकार के कार्यक्रम और पहल
1950-51 में भारत में 50 मिलियन टन खाद्यान्न उत्पादन होता था। 2014-15 में इसमें पांच गुना वृद्धि हुई और यह 250 मिलियन टन हो गया। इसके साथ ही खाद्यान्न के आयात पर निर्भर रहने वाला भारत आज खाद्यान्न निर्यातक देश बन चुका है। 2016 में सरकार ने जिन कार्यक्रमों की शुरुआत की, उनमें 2022 तक किसानों की आय को दुगुना करने के लिए अनेक कार्यक्रम भी शामिल थे।
ये कार्यक्रम विशेष रूप से वर्षा पर निर्भर रहने वाले कृषि क्षेत्रों में उत्पादकता बढ़ाने की दिशा में आने वाली बाधाओं को दूर करते हैं। इनमें राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा मिशन, राष्ट्रीय कृषि विकास योजना (आरकेवीवाई), एकीकृत तिलहन, दलहन, पाम तेल और मक्का योजनाएं (इसोपॉम), प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना, ई-मार्केटप्लेस शामिल हैं। इसके अतिरिक्त 2017 तक कुल सिंचित क्षेत्र को 90 मिलियन से 103 मिलियन करने के लिए व्यापक सिंचाई और मृदा एवं जल संचयन कार्यक्रम भी चलाए गए।
सरकार ने पिछले दो दशकों में अल्प पोषण और कुपोषण पर काबू पाने के लिए उल्लेखनीय कदम भी उठाए हैं जैसे स्कूलों में दोपहर के भोजन (मिड डे मील) की शुरुआत, आंगनवाड़ियों में गर्भवती और स्तनपान करने वाली माताओं को राशन एवं सार्वजनिक वितरण प्रणाली के जरिए गरीबी की रेखा से नीचे जीवनयापन करने वालों को सबसिडी पर अनाज उपलब्ध कराना। राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा एक्ट (एनएफएसए), 2013 का लक्ष्य सहायक योजनाओं और कार्यक्रमों के माध्यम से सर्वाधिक कमजोर तबकों को भोजन एवं पोषण सुरक्षा प्रदान कराना और भोजन को कानूनी अधिकार के रूप में उपलब्ध कराना है।
खाद्य और स्वच्छता के चार नियम:
भोजन के विषाक्त होने के सबसे बड़े कारणों में से एक क्रॉस-कंटामिनेशन या भोजन का अनजाने में दूषित होना है। आम तौर पर एक व्यक्ति के हाथ या किचन के बर्तन से – यह जब भोजन पर मौजूद हानिकारक रोगाणु गलती से अन्य खाद्य पदार्थों पर चले जाते हैं। लेकिन इन स्वास्थ्य जोखिमों को आसानी से रोका जा सकता है:
भोजन को छूने से पहले और कच्चे खाद्य (जैसे मांस, अंडे) और डिब्बों की हैंडलिंग के तुरंत बाद, पालतू पशुओं को छूने, या शौचालय में जाने के बाद साबुन और साफ पानी से अपने हाथ धो लें। डेटॉल नो टच हैंड सोप क्रॉस-कंटामिनेशन को रोकने का एक शानदार तरीका है। बस अपने हाथ आगे बढ़ाएं और रोगाणुरोधी साबुन स्वचालित रूप से बाहर आ जाता है।
- खाना बनाने के तुरंत बाद सभी सतहों को साफ और रोगाणुरहित करें।
- आदर्श रूप में, कच्चे और खाने के लिए तैयार खाद्य पदार्थों के लिए अलग-अलग रंग कोड वाले चॉपिंग बोर्डों का उपयोग करें।
- रोगाणुओं को रोकने के लिए खाद्य पदार्थ को ढकें या उनको सीलबंद कंटेनरों में रखें|
- कच्चे खाद्य को पकाये जा चुके और खाने के लिए तैयार खाद्य पदार्थों से दूर रखें।
- किसी भी पालतू जानवर या जानवरों के भोजन तैयार करने और खाने क्षेत्रों से दूर रखें।
स्वच्छता
- हानिकारक रोगाणुओं को दूर करने और उन्हें भोजन में फैलने से रोकने के लिए सही समय पर सही तरीके से चीजों को संक्रमणरहित करें।
- सुनिश्चित करें कि सभी बर्तन और उपकरण उपयोग करने से पहले बेदाग और साफ हों।
- अक्सर लोगों के स्पर्श में आने वाली चीजों को नियमित रूप से साफ करें और रोगाणुरहित बनाएं जैसे नल / हौदी, अलमारी के हत्थे और स्विच।
- खाना बनाने के तुरंत बाद भोजन तैयार की वाली सभी सतहों को डेटॉल हाइजिन लिक्विड या वाइप्स से साफ करें।
- संभव हो तो कागज के तौलिए या डिस्पोजेबल कपड़ों का उपयोग करें और यदि आप कपड़ें फिर से इस्तेमाल करते हों तो उन्हें प्रत्येक कार्य के बीच साफ करें (और उस दौरान कहीं भी उसी कपड़े का उपयोग नहीं करें)।
भोजन बनाना
भोजन में विषाक्तता पैदा करने वाले हानिकारक रोगाणुओं को मारने के लिए मांस को अच्छी तरह से पकाएं। यह देखने के लिएकि आपका मांस पक गया है, मोटे भाग में चाकू घुसाएं – उसमें गुलाबी मांस के कोई संकेत नहीं मिलना चाहिए और कोई भी रस स्पष्ट बहना चाहिए। जब भोजन को फिर से गर्म करें तो यह सुनिश्चित कर लें कि यह पुरी तरह से गर्म हो गया है, और भोजन को कभी एक बार से अधिक गरम नहीं करें।
ठंडा करना
खाद्य पदार्थों को ठंडा रखना (0-5 डिग्री सेल्सियस, 32-41 ° फारेहाइट) या जमाना हानिकारक जीवाणुओं के विकास को धीमा कर देता है। हमेशा अपने भोजन की पैकेजिंग पर दिए गए भंडारण निर्देश और ‘ उपयोग’ की अंतिम तारीख की जांच करें। यदि आपके पास भोजन बचा हो तो उसे खाना पकाने के दो घंटे के भीतर फ्रिज या फ्रीजर में रख दें। सुनिश्चित करें कि रखने से पहले वह पूरी तरह से ठंडा हो चुका है। यदि आवश्यक हो तो कूलिंग में तेजी लाने के लिए उन्हें छोटे कंटेनरों में रखें।
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Aahar and poshad mein anter