नेताजी सुभाष चंद्र बोस पर निबंध हिंदी में pdf | Essay on Subhash Chandra Bose in Hindi PDF Summary
नमस्कार पाठकों, इस लेख के माध्यम से आप नेताजी सुभाष चंद्र बोस पर निबंध हिंदी में pdf / Essay on Subhash Chandra Bose in Hindi PDF प्राप्त कर सकते हैं। नेताजी सुभाष चंद्र बोस जी का जन्म 23 जनवरी 1897 को हुआ था। उनके पिता जी का नाम श्री जानकीनाथ बोस तथा माता का नाम प्रभावती बोस है।
नेताजी सुभाष चंद्र बोस जी भारत के सर्वाधिक प्रसिद्ध व्यक्तित्वों में से एक हैं। नेताजी ने भारत की स्वतन्त्रता में बहुत महत्वपूर्ण योगदान दिया था। उन्होने आजाद हिन्द फौज की स्थापना की थी। “तुम मुझे खून दो, मैं तुम्हें आजादी दूंगा” यह उनके सर्वाधिक प्रसिद्ध वक्तव्यों में से एक है जिससे उन्हे आज भी पहचाना जाता है।
Essay on Subhash Chandra Bose in Hindi PDF / नेताजी सुभाष चंद्र बोस पर निबंध 250 शब्द हिंदी में pdf 2023
1. | टॉपिक | सुभाष चंद्र बोस |
2. | लेख प्रकार | निबंध |
3. | साल | 2023 |
4. | पराक्रम दिवस | 23 जनवरी |
5. | पराक्रम दिवस कब से मनाया जा रहा है | 2021 |
6. | 2023 में सुभाष चंद्र बोस की कौन सी जयंती मनाई जाएगी | 126 वीं |
7. | सुभाष चंद्र बोस का जन्म | 23 जनवरी 1897 |
8. | सुभाष चंद्र बोस का जन्मस्थान | कटक, उड़ीसा |
9. | सुभाष चंद्र बोस पिता नाम | जानकीनाथ बोस |
10. | सुभाष चंद्र बोस पिता का पेशा | वकील |
11. | सुभाष चंद्र बोस प्रसिद्ध भाषण | तुम मुझे खून दो, मैं तुम्हें आजादी दूंगा |
12. | सुभाष चंद्र बोस मृत्यु | 18 अगस्त 1945 |
13. | सुभाष चंद्र बोस मृत्यु स्थान | जापान |
- भारतीय इतिहास में सुभाष चन्द्र बोस एक सबसे महान व्यक्ति और बहादुर स्वतंत्रता सेनानी थे। भारत के इतिहास में स्वतंत्रता संघर्ष के लिये दिया गया उनका महान योगदान अविस्मरणीय हैं। वो वास्तव में भारत के एक सच्चे बहादुर हीरो थे जिसने अपनी मातृभूमि की खातिर अपना घर और आराम त्याग दिया था।
- वो हमेशा हिंसा में भरोसा करते थे और ब्रिटिश शासन से स्वतंत्रता पाने के लिये सैन्य विद्रोह का रास्ता चुना।उनका जन्म एक समृद्ध हिन्दू परिवार में 23 जनवरी 1897 को उड़ीसा के कटक में हुआ था।
- उनके पिता जानकी नाथ बोस थे जो एक सफल बैरिस्टर थे और माँ प्रभावती देवी एक गृहिणी थी। एक बार उन्हें ब्रिटिश प्रिसिंपल के ऊपर हमले में शामिल होने के कारण कलकत्ता प्रेसिडेंसी कॉलेज से निकाल दिया गया था।
- उन्होंने प्रतिभाशाली ढंग से आई.सी.एस की परीक्षा को पास किया था लेकिन उसको छोड़कर भारत की स्वतंत्रता की लड़ाई से जुड़ने के लिये 1921 में असहयोग आंदोलन से जुड़ गये। नेताजी ने चितरंजन दास के साथ काम किया जो बंगाल के एक राजनीतिक नेता, शिक्षक और बंगलार कथा नाम के बंगाल सप्ताहिक में पत्रकार थे।
- बाद में वो बंगाल कांग्रेस के वालंटियर कमांडेंट, नेशनल कॉलेज के प्रिंसीपल, कलकत्ता के मेयर और उसके बाद निगम के मुख्य कार्यकारी अधिकारी के रुप में नियुक्त किये गये।
- अपनी राष्ट्रवादी क्रियाकलापों के लिये उन्हें कई बार जेल जाना पड़ा लेकिन वो इससे न कभी थके और ना ही निराश हुए। नेताजी कांग्रेस के अध्यक्ष के रुप में चुने गये थे लेकिन कुछ राजनीतिक मतभेदों के चलते गांधी जी के द्वारा उनका विरोध किया गया था।
- वो पूर्वी एशिया की तरफ चले गये जहाँ भारत को एक स्वतंत्र देश बनाने के लिये उन्होंने अपनी “आजाद हिन्द फौज” को तैयार किया।
नेताजी सुभाष चंद्र बोस पर निबंध 400 शब्द हिंदी में pdf
नेताजी सुभाष चन्द्र बोस भारत के एक महान देशभक्त और बहादुर स्वतंत्रता सेनानी थे। वो स्वदेशानुराग और जोशपूर्ण देशभक्ति के एक प्रतीक थे। हर भारतीय बच्चे को उनको और भारत की स्वतंत्रता के लिये किये गये उनके कार्यों के बारे में जरुर जानना चाहिये। इनका जन्म 23 जनवरी 1897 को उड़ीसा के कटक में एक हिन्दू परिवार में हुआ था। उनकी प्रारंभिक शिक्षा उनके अपने गृह-नगर में पूरी हुयी थी जबकि उन्होंने अपना मैट्रिक कलकत्ता के प्रेसिडेंसी कॉलेज से किया और कलकत्ता विश्वविद्यालय के स्कॉटिश चर्च कॉलेज से दर्शनशास्त्र में ग्रेज़ुएशन पूरा किया। बाद में वो इंग्लैंड गये और चौथे स्थान के साथ भारतीय सिविल सेवा की परीक्षा को पास किया।
अंग्रेजों के क्रूर और बुरे बर्ताव के कारण अपने देशवासियों की दयनीय स्थिति से वो बहुत दुखी थे। भारत की आजादी के माध्यम से भारत के लोगों की मदद के लिये सिविल सेवा के बजाय उन्होंने राष्ट्रीय आंदोलन से जुड़ने का फैसला किया। देशभक्त देशबंधु चितरंजन दास से नेताजी बहुत प्रभावित थे और बाद में बोस कलकत्ता के मेयर के रुप में और उसके बाद भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के अध्यक्ष चुने गये। बाद में गांधी जी से वैचारिक मतभेदों के कारण उन्होंने पार्टी छोड़ दी। कांग्रेस पार्टी छोड़ने के बाद इन्होंने अपनी फारवर्ड ब्लॉक पार्टी की स्थापना की। वो मानते थे कि अंग्रेजों से आजादी पाने के लिये अहिंसा आंदोलन काफी नहीं है इसलिये देश की आजादी के लिये हिंसक आंदोलन को चुना।
नेताजी भारत से दूर जर्मनी और उसके बाद जापान गये जहाँ उन्होंने अपनी भारतीय राष्ट्रीय सेना बनायी, ‘आजाद हिन्द फौज’। ब्रिटिश शासन से बहादुरी से लड़ने के लिये अपनी आजाद हिन्द फौज में उन देशों के भारतीय रहवासियों और भारतीय युद्ध बंदियों को उन्होंने शामिल किया। सुभाष चन्द्र बोस ने अंग्रेजी शासन से अपनी मातृभूमि को मुक्त बनाने के लिये “तुम मुझे खून दो, मैं तुम्हें आजादी दूंगा” के अपने महान शब्दों के द्वारा अपने सैनिकों को प्रेरित किया। ऐसा माना जाता है कि 1945 में नेताजी सुभाष चन्द्र बोस की मृत्यु एक प्लेन दुर्घटना में हुयी थी। ब्रिटिश शासन से लड़ने के लिये उनकी भारतीय राष्ट्रीय सेना की सभी उम्मीदें उनकी मृत्यु की बुरी खबर के साथ समाप्त हो गयी थी।
उनकी मृत्यु के बाद भी, कभी न खत्म होने वाली प्रेरणा के रुप में भारतीय लोगों के दिलों में अपनी जोशपूर्ण राष्ट्रीयता के साथ वो अभी-भी जिदा हैं। वैज्ञानिक विचारों के अनुसार, अतिभार जापानी प्लेन दुर्घटना के कारण थर्ड डिग्री बर्न की वजह से उनकी मृत्यु हुयी। एक अविस्मरणीय वृतांत के रुप में भारतीय इतिहास में नेताजी का महान कार्य और योगदान चिन्हित रहेगा।
Essay on NetaJi Subhash Chandra Bose in Hindi 200 Words 2023
- नेताजी सुभाष चंद्र बोस का जन्म 23 जनवरी 1897 को बंगाल प्रांत के उड़ीसा प्रभाग के कटक शहर में हुआ था, इस दौरान पूरे भारत में ब्रिटिश राज्य था।
- नेताजी की माता का नाम प्रभावती देवी और पिता का नाम जानकीनाथ बोस था। इनके पिता पेशे से वकील थे और उन्हें रायबहादुर की उपाधि प्राप्त थी। जनवरी 1902 में सुभाष चंद्र बोस ने प्रोटोस्टेट यूरोपियन स्कूल में एडमिशन लिया था।
- इसके बाद इन्होंने रेनवेर्शा कॉलेजिएट स्कूल और फिर प्रेसिडेंसी कॉलेज में साल 1913 में मैट्रिक की परीक्षा में द्वितीय श्रेणी प्राप्त करने के बाद प्रवेश लिया ।
- इनका राष्ट्रवादी चरित्र नेताजी की पढ़ाई के बीच में आ गया, जिस वजह से इन्हें स्कूल से निष्काषित कर दिया गया।
- इसके बाद इन्होंने स्कॉटिश चर्च कॉलेज और फिर कैम्ब्रिज स्कूल में सिविल की परीक्षा में शामिल होने के लिए गए।
- इसके बाद उन्होंने सिविल परीक्षा में चौथा स्थान प्राप्त किया, लेकिन इन्होंने ब्रिटिश सरकार के अधीन रहकर काम करने से मना कर दिया।
- अंत में सिविल की नौकरी से इस्तीफा दे दिया और भारत आ गए, जहां इन्होंने बंगाल प्रांत की कांग्रेस समिति के प्रमोशन के लिए स्वराज्य समाचार पत्र का प्रकाशन शुरू किया।
नेताजी सुभाष चंद्र बोस के बारे में 10 लाइन
- महान क्रन्तिकारी सुभाषचंद्र का जन्म उड़ीसा राज्य के कटक में 23 जनवरी 1897 को हुआ. इनके पिताजी एक प्रसिद्ध वकील थे, इनके पिता जानकीनाथ तथा माता का नाम प्रभावती था।
- सुभाषचंद्र ने कलकत्ता विश्वविद्यालय से शिक्षा पूर्ण की ये एक आदर्श छात्र थे इन्होने भारत की सर्वोच्च परीक्षा प्रशासनिक सेवा में चतुर्थ स्थान प्राप्त किया इन्होने 1921 में देश की आजादी की लड़ाई के लिए इस नौकरी को छोड़कर अंग्रेजो का विरोध शुरू किया।
- अपनी प्रतिभा के लिए 1923 में इन्हें ऑल इंडिया युथ का प्रेसिडेंट के रूप में चुना गया।
- नेताजी ने गांधीजी की धारणा का समर्थन किया पर आजादी न मिलने और भगत की फांसी के कारण नेताजी ने गांधीजी का समर्थ छोड़कर अलग रास्ता अपनाया।
- सुभाषचंद्र ने 3 मई 1939 को फॉरवर्ड ब्लॉक पार्टी की स्थापना की और आजादी के लिए हिंसात्मक लड़ाई शुरू की। 1942 में नेताजी ने आस्ट्रेलिया में एमिली शेंकल से विवाह किया आज भी नेताजी का परिवार आस्ट्रेलिया में रहता है।
- सुभाष द्वारा अंग्रेजो का विरोध करने पर अंग्रेजो ने इन्हें घर में नजरबंद कर दिया, पर नेताजी घर से भाग गए। और 1943 में जापान देश के सहयोग से आज़ाद हिन्द फौज की स्थापना की, इसमे 40000 भारतीय क्रन्तिकारी थे।
- सुभाषचंद्र को जीवन में अंग्रेजो द्वारा 11 बार गिरफ्तार किया गया, नेताजी की विमान यात्रा के समय ताइवान में 18 अगस्त 1945 को दुर्घटना के कारण मृत्यु हो गई पर आज भी नेताजी का शव हमें नहीं मिल पाया है।
- देश के लिए बलिदान करने वाले महानायक सुभाषचंद्र बोस को मरणोपरांत 1992 में भारत रत्न पुरस्कार दिया गया तथा उनके जन्म दिन के अवसर पर 23 जनवरी को पराक्रम दिवस की शुरुआत की।
- देश के इस महानायक ने “तुम मुझे खून दो, मैं तुम्हें आज़ादी दूंगा” और दिल्ली चलो जैसे नारे देकर देशभक्ति की भावना का संचार किया तथा देश की आजादी में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
- नेताजी और गांधीजी का लक्ष्य एक ही था, पर उनके रास्ते अलग अलग थे कई लोग इन्हें एक दुसरे के विरोधी मानते है, नेताजी ने ही गांधीजी को राष्ट्रपिता से संबोधित किया था।
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