एकोदिष्ट श्राद्ध विधि | Ekodishta Shraddha Vidhi PDF in Hindi

एकोदिष्ट श्राद्ध विधि | Ekodishta Shraddha Vidhi Hindi PDF Download

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एकोदिष्ट श्राद्ध विधि | Ekodishta Shraddha Vidhi Hindi PDF Summary

प्रिय मित्रों, प्रस्तुत लेख में हम आपके लिए एकोदिष्ट श्राद्ध विधि pdf के सन्दर्भ में जानकारी उपलब्ध करवा रहे हैं। हिंदू संस्कृति एवं समाज में अपने पूर्वजों एवं दिवंगत माता – पिता का स्मरण श्राद्ध पक्ष में करके उनके प्रति असीम श्रद्धा के साथ तर्पण, पिंडदान, यज्ञ तथा ब्राह्मणों के लिए भोजन का प्रावधान किया गया है।
पितरों के लिए किए जाने वाले श्राद्ध दो तिथियों पर किए जाते हैं, प्रथम मृत्यु या क्षय तिथि पर और दूसरा पितृ पक्ष में। जिस मास और तिथि को पितृ की मृत्यु हुई है अथवा जिस तिथि को उनका दाह संस्कार हुआ है, वर्ष में उस तिथि को एकोदिष्ट श्राद्ध किया जाता है।
 

एकोदिष्ट श्राद्ध क्या है?

एकोदिष्ट श्राद्ध में केवल एक पितर की संतुष्टि के लिए श्राद्ध किया जाता है। इसमें एक पिंड का दान और एक ब्राह्मण को भोजन कराया जाता है। यदि किसी को अपने पूर्वजों की मृत्यु की तिथियां याद नहीं है, तो वह अमावस्या के दिन ज्ञात-अज्ञात पूर्वजों का विधि – विधान से पिंडदान तर्पण, श्राद्ध कर सकता है।
 

एकोदिष्ट के क्या लाभ हैं ?

इस दिन किए गए तर्पण से 15 दिन के बराबर का पुण्य फल मिलता है और घर परिवार, व्यवसाय तथा आजीविका में विशेष उन्नति होती है। धार्मिक मान्यता है कि अमावस्या को किया गया श्राद्ध, तर्पण, पिंडदान पूर्वजों को संतुष्टि एवं ऊर्जा प्रदान करता है ।
 

एकोदिष्ट किस व्यक्ति किया जाता है ?

जिस मास और तिथि को पितृ की मृत्यु हुई है अथवा जिस तिथि को उनका दाह संस्कार हुआ है, वर्ष में उम्र उस तिथि को एकोदिष्ट श्राद्ध किया जाता है।
 

एकोदिष्ट श्राद्ध और पार्वण श्राद्ध में क्या भेद है?

पर्वे भवति पार्वणः जो त्रैपूरूषात्मक श्राद्ध पर्व पर हो वह पार्वण श्राद्ध होता है।

एकमुदिष्टं ऐकोदिष्टं जो एक के उद्देश्य से हो वह एकोदिष्ट श्राद्ध। इसको प्रेतश्राद्ध के रूप में भी जाना जाता है।

एकोदिष्ट श्राद्ध में केवल एक पितर की संतुष्टि के लिए श्राद्ध किया जाता है। इसमें एक पिण्ड का दान और एक ब्राह्मण को भोजन कराया जाता है।

पूर्वजों की मृत्यु की तिथि याद न होने पर श्राद्ध कैसे करें ?

यदि किसी को अपने पूर्वजों की मृत्यु की तिथियाँ याद नहीं है, तो वह अमावस्या के दिन ज्ञात-अज्ञात पूर्वजों का विधि-विधान से पिंडदान तर्पण, श्राद्ध कर सकता है।
 
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