आर्थिक सर्वेक्षण 2021-22 | Economic Survey 2021-22 Hindi - Description
दोस्तों आज हम आपके लिए लेकर आयें Economic Survey 2021-2022 PDF in Hindi / आर्थिक सर्वेक्षण 2021-22 PDF। इस पीडीएफ में आपको भारत की आर्थिक स्थिति के बारे में पढ़ने को मिलेगा। यह बहुत ही इम्पोर्टेन्ट पीडीएफ है जिसमे आप अपने देश के आर्थिक हालातों के बारे में जान सकते हैं। यहाँ पर हमने आर्थिक सर्वेक्षण 2021-2022 PDF Hindi भाषा में उपलब्ध कराया है। हाल ही में केंद्रीय वित्त मंत्री ने 1 अप्रैल, 2021 से शुरू होने वाले वित्तीय वर्ष के लिये केंद्रीय बजट से पहले अर्थव्यवस्था की स्थिति का विवरण प्रदान करने वाला आर्थिक सर्वेक्षण प्रस्तुत किया। इस पोस्ट में आप बड़ी आसानी से Economic Survey 2021-2022 Hindi PDF / आर्थिक समीक्षा 2021-22 PDF डाउनलोड कर सकते हैं।
आर्थिक सर्वेक्षण 2021-22 PDF | Economic Survey 2021-22 PDF in Hindi
- भारत का आर्थिक सर्वेक्षण भारत सरकार के वित्त मंत्रालय द्वारा जारी एक वार्षिक दस्तावेज़ है।
- इसमें भारत की अर्थव्यवस्था से संबंधित आधिकारिक और अद्यतन डेटा स्रोत को शामिल किया जाता है।
- यह सरकार द्वारा पिछले एक वर्ष में अर्थव्यवस्था की स्थिति पर प्रस्तुत एक रिपोर्ट है जो कि अर्थव्यवस्था की प्रमुख चुनौतियों और उनके संभावित समाधानों को प्रस्तुत करती है।
- आर्थिक सर्वेक्षण दस्तावेज़ मुख्य आर्थिक सलाहकार के मार्गदर्शन में आर्थिक मामलों के विभाग के वाणिज्य प्रभाग द्वारा तैयार किया जाता है।
- यह आमतौर पर संसद में केंद्रीय बजट पेश किये जाने से एक दिन पहले प्रस्तुत किया जाता है।
- भारत में पहला आर्थिक सर्वेक्षण वर्ष 1950-51 में प्रस्तुत किया गया था। वर्ष 1964 तक इसे केंद्रीय बजट के साथ प्रस्तुत किया गया था। वर्ष 1964 से इसे बजट से अलग कर दिया गया।
राष्ट्रीय उपलब्धि सर्वेक्षण 2021 के बारे में जानकारी लेने के लिए दिए गए लिंक पर क्लिक करें।
शताब्दियों में होने वाले संकट के दौरान जीवन और आजीविका की सुरक्षा
- कोविड-19 महामारी की शुरुआत के बाद भारत ने जीवन और आजीविका की सुरक्षा पर ध्यान केंद्रित किया।
- यह प्रयास उस मानवीय सिद्धांत पर आधारित है, जिसके अंतर्गत
- लोगों की जिंदगी वापस नहीं लायी जा सकती।
- महामारी के कारण जीडीपी में कमी आई। जीडीपी में रिकवरी संभावित।
- शुरुआत में ही कड़े लॉकडाउन के कारण लोगों के जीवन की रक्षा करने तथा आजीविका सुरक्षित करने में सहायता मिली। (मध्य और लम्बी अवधि में आर्थिक रिकवरी)
- हैन्सेन एंड सार्जेंट (2001) की नोबेल पुरस्कार से सम्मानित शोध से भी यह रणनीति प्रेरित थी।
- अत्यधिक अनिश्चितता की स्थिति में कम से कम नुकसान होने की नीति अपनाई गई।
- भारत की रणनीति ने ग्राफ को संरेखीय बनाया और सबसे खराब स्थिति आने की संभावना को सितंबर 2020 तक टाल दिया।
- सितंबर में सबसे अधिक मामलों के दर्ज होने के बाद भारत में प्रतिदिन नए मामलों की संख्या में कमी दर्ज की गई है, जबकि आवागमन बढ़ा है।
- पहली तिमाही में जीडीपी पर 23.9 प्रतिशत की कमी, जबकि दूसरी तिमाही में जीडीपी में 7.5 प्रतिशत की कमी। यह वी-शेप रिकवरी को दर्शाती है।
- कोविड महामारी ने मांग और आपूर्ति दोनों को प्रभाविक किया।
- भारत एक मात्र देश था जिसने आपूर्ति बढ़ाने के लिए संरचनात्मक सुधार घोषित किए ताकि उत्पादन क्षमताओं का कम से कम नुकसान हो।
- आर्थिक गतिविधियों पर लगी रोक को हटाने के साथ मांग बढ़ाने को लेकर नीतियां बनाई गईं।
- नेशनल इंफ्रास्ट्रकचर पाइपलाइन में सार्वजनिक निवेश ताकि मांग में वृद्धि हो।
- महामारी संक्रमण के दूसरे दौर को रोकने में सफलता, अर्थव्यवस्था में तेजी
अर्थव्यवस्था परिदृश्य 2021-22: प्रमुख तथ्य
- कोविड-19 महामारी के कारण पूरे विश्व को आर्थिक मंदी का सामना करना पड़ा। यह वैश्विक वित्तीय संकट से भी अधिक गंभीर।
- लॉकडाउन तथा एक-दूसरे से आवश्यक दूरी बनाए रखने के नियमों के कारण
- अर्थव्यवस्था को गंभीर मंदी का सामना करना पड़ा।
- आकलन के अनुसार वैश्विक आर्थिक उत्पादन 2020 में 3.5 प्रतिशत की कमी दर्ज की जाएगी। (आईएमएफ, जनवरी 2021 अनुमान)
- पूरी दुनिया में सरकारों और केंद्रीय बैंकों ने विभिन्न नीतियों के माध्यम से अर्थव्यवस्थाओं को समर्थन दिया।
- भारत ने चार आयामों वाली रणनीति को अपनाया-महामारी पर नियंत्रण, वित्तीय नीति और लम्बी अवधि के संरचनात्मक सुधार।
- वित्तीय और मौद्रिक समर्थन दिया गया। लॉकडाउन के दौरान कमजोर वर्ग को राहत दी गई। अनलॉक के दौरान खपत और निवेश को प्रोत्साहन।
- मौद्रिक नीति ने नकदी की उपलब्धता सुनिश्चित की। कर्ज लेने वालों को राहत दी गई।
- एनएसओ के अग्रिम नुकसान के अनुसार भारत की जीडीपी की विकास दर वित्त वर्ष 2021 (-) 7.7 प्रतिशत रहेगी। वित्त वर्ष 2021 की पहली छमाही की तुलना में दूसरी छमाही में 23.9 प्रतिशत की वृद्धि।
- वित्त वर्ष 2021-22 में भारत की वास्तविक जीडीपी की विकास दर 11.0 प्रतिशत रहेगी तथा सांकेतिक जीडीपी की विकास दर 15.4 प्रतिशत रहेगी, जो स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद सर्वाधिक होगी।
- कोविड-19 वैक्सीन की शुरुआत के बाद से आर्थिक गतिविधियां और भी सामान्य हुई हैं।
- सरकारी खपत और निर्यात ने विकास दर में और कमी नहीं आने दी, जबकि निवेश और निजी क्षेत्र खपत ने विकास दर को कम किया।
- वित्त वर्ष 2020-21 की दूसरी छमाही में रिकवरी सरकारी खपत के कारण होगी। 17 प्रतिशत वृद्धि का अनुमान लगाया गया है।
- वित्त वर्ष 2021 की दूसरी छमाही में निर्यात में 5.8 प्रतिशत और आयात में 11.3 प्रतिशत की कमी आने का अनुमान है।
- वित्त वर्ष 2021 में चालू खाता सरप्लस, जीडीपी के 2 प्रतिशत के बराबर होने का अनुमान। 17 वर्षों के बाद ऐसी स्थिति।
- आपूर्ति में वित्त वर्ष 21 के लिए ग्रॉस वैल्यू एडेड (जीवीए) की विकास दर -7.2 प्रतिशत रहने का अनुमान, यह वित्त वर्ष 20 में 3.9 प्रतिशत थी।
- कोविड-19 के कारण भारतीय अर्थव्यवस्था को हुए नुकसान को कम करने में कृषि महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा, जिसकी विकास दर वित्त वर्ष 21 के लिए 3.4 प्रतिशत आंकी गई है।
- वित्त वर्ष 21 के दौरान उद्योग और सेवा क्षेत्र में क्रमशः 9.6 प्रतिशत और 8.8 प्रतिशत की कमी आने का अनुमान है।
- सेवा क्षेत्र, विनिर्माण और निर्माण क्षेत्रों को सबसे अधिक नुकसान उठाना पड़ा। ये क्षेत्र अब तेजी से सामान्य होने की स्थिति में आगे बढ़ रहे हैं। कृषि क्षेत्र ने बेहतर परिणाम दिए हैं।
- वित्त वर्ष 20-21 के दौरान भारत निवेश के लिए सबसे पसंदीदा देश रहा।
- नवम्बर 2020 में कुल एफपीआई प्रवाह 9.8 बिलियन डॉलर रहा, जो महीने के संदर्भ में सर्वाधिक है।
- उभरते हुए बाजारों में भारत एक मात्र देश है जिसे 2020 में इक्विटी के रूप में एफआईआई प्राप्त हुआ।
- सेंसेक्स और निफ्टी भारत के बाजार पूंजी तथा जीडीपी अनुपात के 100 प्रतिशत को पार कर लिया, ऐसा अक्तूबर 2010 के बाद पहली बार हुआ।
- सीपीआई महंगाई दर में हाल में कमी दर्ज की गई है। आपूर्ति में अवरोधों को समाप्त किया गया है।
- निवेश में 0.8 प्रतिशत की मामूली कमी आने का अनुमान। पहली छमाही में 29 प्रतिशत की गिरावट।
- राज्य के अंदर और दो राज्यों के बीच आवागमन में बढ़ोतरी से जीएसटी संग्रह रिकॉर्ड स्तर पर। औद्योगिक और वाणिज्यिक गतिविधियां को अनलॉक किया गया।
- वित्त वर्ष 2021 की पहली छमाही में चालू खाता खाता सरप्लस जीडीपी का 3.1 प्रतिशत।
- सेवा क्षेत्र के निर्यात में तेजी और मांग में कमी से निर्यात (वाणिज्यिक निर्यात में 21.2 प्रतिशत की कमी) की तुलना में आयात (वाणिज्यिक आयात में 39.7 प्रतिशत की कमी) में कमी आई।
- दिसंबर 2020 में विदेशी मुद्रा भंडार अगले 18 महीनों के आयात के लिए पर्याप्त।
- जीडीपी के अनुपात में विदेशी कर्ज मार्च 2020 के 20.6 प्रतिशत से बढ़कर सितंबर 2020 में 21.6 प्रतिशत हुआ।
- विदेशी मुद्रा भंडार में वृद्धि से विदेशी मुद्रा और कुल एवं लघु अवधि कर्ज का अनुपात बेहतर हुआ।
- वी (V) आकार में सुधार जारी है, जैसा कि बिजली की मांग, इस्पात की खपत ई-वे बिल, जीएसटी संग्रह आदि तेज उतार-चढ़ाव वाले संकेतकों में निरंतर बढ़ोतरी के रूप में प्रदर्शित हुआ है।
- भारत 6 दिन में सबसे तेजी से 10 लाख टीके लगाने वाला देश बन गया है और साथ ही अपने पड़ोसी देशों और ब्राजील को टीकों के अग्रणी आपूर्तिकर्ता के रूप में भी उभरा है।
- व्यापक टीकाकरण अभियान की शुरुआत के साथ अर्थव्यवस्था सामान्य स्थिति की ओर लौट रही है :
- सेवा क्षेत्र, खपत और निवेश में मजबूती के साथ सुधार की उम्मीद बढ़ी
- भारत को अपनी विकास की संभावनाओं के अहसास में सक्षम बनाने और महामारी के विपरीत प्रभाव को खत्म करने तक सुधार जारी रहने चाहिए
- ‘सदी के पहले’ संकट से निपटने के लिए भारत की परिपक्व नीतिगत प्रतिक्रिया से लोकतंत्रों को सीमित नीतिगत निर्माण से बचने और दीर्घकालिक लाभों पर ध्यान केंद्रित करने के फायदों के प्रदर्शन के लिए अहम सबक मिले हैं।
भारतीय अर्थव्यवस्था और COVID-19
- महामारी का सामना करने की रणनीति:
- मानवीय सिद्धांत द्वारा उपजी एक प्रतिक्रिया के अनुसार वर्तमान में निम्नलिखित स्थितियाँ विद्यमान हैं:
- खोया हुआ मानव जीवन वापस नहीं लाया जा सकता है।
- कोविड-19 महामारी के कारण प्रभावित सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में वृद्धि अस्थायी आघात से उबर जाएगी।
- भारत की नीतियों एवं प्रतिक्रियाओं को महामारी विज्ञान पर व्यापक शोध करके प्राप्त किया गया है, जो कि विशेष रूप से वर्ष 1918 के स्पैनिश फ्लू से प्रभावित हैं।
- इस पर किये गए प्रमुख शोधों में से एक यह था कि महामारी उच्च और घनी आबादी में तेज़ी से फैलती है और इसकी शुरुआत में लॉकडाउन संबंधी निर्णय लेने की सर्वाधिक आवश्यकता होती है।
- मानवीय सिद्धांत द्वारा उपजी एक प्रतिक्रिया के अनुसार वर्तमान में निम्नलिखित स्थितियाँ विद्यमान हैं:
विदेशी निवेश:
- अप्रैल-अक्तूबर 2020 के दौरान 27.5 बिलियन अमेरिकी डॉलर का कुल प्रत्यक्ष विदेशी निवेश आया, जो कि वित्त वर्ष 2019-20 के पहले सात महीने की तुलना में 14.8 प्रतिशत अधिक है।
- नवंबर 2020 में कुल विदेशी पोर्टफोलियो निवेश प्रवाह 9.8 बिलियन डॉलर रहा, जो कि किसी महीने में सर्वाधिक है।
कृषि:
- वृद्धि:
- कोविड-19 के कारण भारतीय अर्थव्यवस्था को हुए नुकसान को कम करने में कृषि क्षेत्र महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाएगा, जिसकी विकास दर वित्त वर्ष 2021 के लिये 3.4 प्रतिशत आँकी गई है।
- देश के सकल मूल्यवर्द्धन (GVA) में कृषि और सहायक क्षेत्रों की हिस्सेदारी वर्ष 2019-20 के लिये स्थिर मूल्यों पर 17.8 प्रतिशत रही (सीएसओ के राष्ट्रीय आय का अनंतिम अनुमान, 29 मई,2020)।
- निर्यात:
- वर्ष 2019-20 में प्रमुख कृषि और संबद्ध उत्पादों के प्रमुख निर्यात गंतव्य यूएसए, सऊदी अरब, ईरान, नेपाल और बांग्लादेश थे।
- भारत से निर्यात किये जाने वाले शीर्ष कृषि और संबंधित उत्पाद-समुद्री उत्पाद, बासमती चावल, भैंस का मांस, मसाले, गैर-बासमती चावल, कच्चा कपास, तेल, भोज्य पदार्थ, चीनी, अरंडी का तेल और चाय आदि थे।
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