दुर्गा सप्तशती कवच हिंदी में | Durga Saptashati Kavach PDF Hindi

दुर्गा सप्तशती कवच हिंदी में | Durga Saptashati Kavach Hindi PDF Download

Free download PDF of दुर्गा सप्तशती कवच हिंदी में | Durga Saptashati Kavach Hindi using the direct link provided at the bottom of the PDF description.

DMCA / REPORT COPYRIGHT

दुर्गा सप्तशती कवच हिंदी में | Durga Saptashati Kavach Hindi - Description

दोस्तों आज हम आपके लिए लेकर आये हैं दुर्गा सप्तशती कवच हिंदी में PDF | Durga Saptashati Kavach PDF in Hindi जिसके नियमित पाठ करने से माँ दुर्गा प्रसन्न होती हैं। हिन्दू धार्मिक ग्रंथों में श्री दुर्गा सप्तशती का बहुत अधिक महत्व है। देवी दुर्गा की कृपा से व्यक्ति के सभी बिगड़े काम बन जाते हैं। नवरात्रि के समय देवी आराधना का विशेष महत्व होता है। यदि आप प्रतिदिन देवी माँ की पूजा करने में समर्थ नहीं हैं, तो कम से कम नवरात्रि के दौरान तो नौ दिनों तक नित्य देवी पूजन करना चाहिए।
श्री दुर्गा सप्तशती की तरह ही श्री दुर्गा सप्तशती कवच भी बहुत अधिक शक्तिशाली एवं प्रभावशाली है। देवी दुर्गा के इस दिव्य पाठ को प्रतिदिन करने से व्यक्ति बहुत से ज्ञात – अज्ञात संकटों से बच जाता है। आप भी इस नवरात्रि क्र दौरान इस दिव्य कवच का पाठ करिये तथा अपने जीवन को सुन्दर व सार्थक बनाइये।

दुर्गा सप्तशती कवच हिंदी में PDF | Durga Saptashati Devi Kavach PDF in Hindi

श्रीगणेशाय नमः ।

अस्य श्रीचण्डीकवचस्य ब्रह्मा ऋषिः , अनुष्टुप् छन्दः ,

चामुण्डा देवता , अङ्गन्यासोक्तमातरो बीजम् ,

दिग्बन्धदेवतास्तत्त्वम् , श्रीजगदम्बाप्रीत्यर्थे जपे विनियोगः ।

ॐ नमश्चण्डिकायै ।

ॐ मार्कण्डेय उवाच ।

ॐ यद्गुह्यं परमं लोके सर्वरक्षाकरं नृणाम् ।

यन्न कस्यचिदाख्यातं तन्मे ब्रूहि पितामह ॥ १॥

ब्रह्मोवाच ।

अस्ति गुह्यतमं विप्र सर्वभूतोपकारकम् ।

देव्यास्तु कवचं पुण्यं तच्छृणुष्व महामुने ॥ २॥

प्रथमं शैलपुत्रीति द्वितीयं ब्रह्मचारिणी ।

तृतीयं चन्द्रघण्टेति कूष्माण्डेति चतुर्थकम् ॥ ३॥

पञ्चमं स्कन्दमातेति षष्ठं कात्यायनीति च ।

सप्तमं कालरात्रिश्च महागौरीति चाष्टमम् ॥ ४॥

नवमं सिद्धिदात्री च नवदुर्गाः प्रकीर्तिताः ।

उक्तान्येतानि नामानि ब्रह्मणैव महात्मना ॥ ५॥

अग्निना दह्यमानस्तु शत्रुमध्ये गतो रणे ।

विषमे दुर्गे चैव भयार्ताः शरणं गताः ॥ ६॥

न तेषां जायते किञ्चिदशुभं रणसङ्कटे ।

नापदं तस्य पश्यामि शोकदुःखभयं नहि ॥ ७॥

यैस्तु भक्त्या स्मृता नूनं तेषां सिद्धिः प्रजायते ।

ये त्वां स्मरन्ति देवेशि रक्षसे तान्न संशयः । ८॥

प्रेतसंस्था तु चामुण्डा वाराही महिषासना ।

ऐन्द्री गजसमारुढा वैष्णवी गरुडासना ॥ ९॥

माहेश्वरी वृषारुढा कौमारी शिखिवाहना ।

लक्ष्मीः पद्मासना देवी पद्महस्ता हरिप्रिया ॥ १०॥

श्वेतरूपधरा देवी ईश्वरी वृषवाहना ।

ब्राह्मी हंससमारुढा सर्वाभरणभूषिता ॥ ११॥

इत्येता मातरः सर्वाः सर्वयोगसमन्विताः ।

नानाभरणशोभाढ्या नानारत्नोपशोभिता ॥ १२॥

दृश्यन्ते रथमारुढा देव्यः क्रोधसमाकुलाः ।

शङ्खं चक्रं गदां शक्तिं हलं च मुसलायुधम् ॥ १३॥

खेटकं तोमरं चैव परशुं पाशमेव च ।

कुन्तायुधं त्रिशूलं च शार्ङ्गमायुधमुत्तमम् ॥ १४॥

दैत्यानां देहनाशाय भक्तानामभयाय च ।

धारयन्त्यायुधानीत्थं देवानां च हिताय वै ॥ १५॥

नमस्तेऽस्तु महारौद्रे महाघोरपराक्रमे ।

महाबले महोत्साहे महाभयविनाशिनी ॥ १६॥

त्राहि मां देवि दुष्प्रेक्ष्ये शत्रूणां भयवर्धिनि ।

प्राच्यां रक्षतु मामैन्द्री आग्नेयामग्निदेवता ॥ १७॥

दक्षिणेऽवतु वाराही नैरृत्यां खड्गधारिणी ।

प्रतीच्यां वारुणी रक्षेद्वायव्यां मृगवाहिनी ॥ १८॥

उदीच्यां रक्ष कौबेरि ईशान्यां शूलधारिणी ।

ऊर्ध्वं ब्रह्माणी मे रक्षेदधस्ताद्वैष्णवी तथा ॥ १९॥

एवं दश दिशो रक्षेच्चामुण्डा शववाहना ।

जया मे अग्रतः स्थातु विजया स्थातु पृष्ठतः ॥ २०॥

अजिता वामपार्श्वे तु दक्षिणे चापराजिता ।

शिखां मे द्योतिनी रक्षेदुमा मूर्ध्नि व्यवस्थिता ॥ २१॥

मालाधरी ललाटे च भ्रुवौ रक्षेद्यशस्विनी ।

त्रिनेत्रा च भ्रुवोर्मध्ये यमघण्टा च नासिके ॥ २२॥

शङ्खिनी चक्षुषोर्मध्ये श्रोत्रयोर्द्वारवासिनी ।

कपोलौ कालिका रक्षेत्कर्णमूले तु शाङ्करी ॥ २३॥

नासिकायां सुगन्धा च उत्तरोष्ठे च चर्चिका ।

अधरे चामृतकला जिह्वायां च सरस्वती ॥ २४॥

दन्तान् रक्षतु कौमारी कण्ठमध्ये तु चण्डिका ।

घण्टिकां चित्रघण्टा च महामाया च तालुके ॥ २५॥

कामाक्षी चिबुकं रक्षेद्वाचं मे सर्वमङ्गला ।

ग्रीवायां भद्रकाली च पृष्ठवंशे धनुर्धरी ॥ २६॥

नीलग्रीवा बहिःकण्ठे नलिकां नलकूबरी ।

स्कन्धयोः खड्गिनी रक्षेद् बाहू मे वज्रधारिणी ॥ २७॥ खड्गधारिण्युभौ स्कन्धौ

हस्तयोर्दण्डिनी रक्षेदम्बिका चाङ्गुलीस्तथा ।

नखाञ्छूलेश्वरी रक्षेत् कुक्षौ रक्षेन्नलेश्वरी ॥ २८॥

स्तनौ रक्षेन्महालक्ष्मीर्मनःशोकविनाशिनी ।

हृदये ललितादेवी उदरे शूलधारिणी ॥ २९॥

नाभौ च कामिनी रक्षेद्गुह्यं गुह्येश्वरी तथा ।

पूतना कामिका मेढ्रं गुदे महिषवाहिनी ॥ ३०॥ भूतनाथा च मेढ्रं च

कट्यां भगवती रक्षेज्जानुनी विन्ध्यवासिनी ।

जङ्घे महाबला प्रोक्ता सर्वकामप्रदायिनी ॥ ३१॥

(यह अधूरा दुर्गा सप्तशती कवच है, पूरा दुर्गा सप्तशती कवच पढ़ने के लिए पीडीऍफ़ फाइल डाउनलोड करें। )

दुर्गा सप्तशती कवच के लाभ

श्री दुर्गा सप्तशती कवच के पाठ से होने वाले लाभ निम्नलिखित हैं –

  • इसके पाठ से घर में किसी भी प्रकार की नकारात्मक शक्ति नहीं रहती।
  • यह कवच व्यक्ति को संकटों से बचता है।
  • देवी दुर्गा कवच का नित्य प्रतिदिन पाठ करने से देवी माँ की कृपा होती है।
  • जिस घर में इस कवच का पाठ होता है, वहां मांगलिक कार्य होते रहते हैं।
  • दुर्गा माँ की आराधना से व्यक्ति आयुष्मान होता है।

You may also like :

You can download दुर्गा सप्तशती कवच हिंदी में PDF | Durga Saptashati Kavach PDF in Hindi by clicking on the following download button.

Download दुर्गा सप्तशती कवच हिंदी में | Durga Saptashati Kavach PDF using below link

REPORT THISIf the download link of दुर्गा सप्तशती कवच हिंदी में | Durga Saptashati Kavach PDF is not working or you feel any other problem with it, please Leave a Comment / Feedback. If दुर्गा सप्तशती कवच हिंदी में | Durga Saptashati Kavach is a copyright material Report This by sending a mail at [email protected]. We will not be providing the file or link of a reported PDF or any source for downloading at any cost.

RELATED PDF FILES

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *