दुर्गा जी की आरती हिंदी अंबे गौरी Hindi - Description
नमस्कार पाठकों, इस लेख के माध्यम से आप दुर्गा जी की आरती हिंदी अंबे गौरी PDF के रूप में प्राप्त कर सकते हैं। देवी दुर्गा माता हिन्दू धर्म के सर्वाधिक महत्वपूर्ण देवी – देवताओं में से एक हैं जिन्हें बहुत बड़े स्तर पर पूजा जाता है। देवी माता ने यह स्वरूप दुष्टों के संहार तथा अपने भक्तों के कल्याण हेतु धारण किया था।
कहा जाता है जो व्यक्ति अपने जीवन में चारों ओर से घिर चुका हो तथा अनेक प्रयास करने पर भी उसे कोई समाधान नही सूझ रहा हो तो उसे माता दुर्गा देवी की शरण में चले जाना चाहिए। माता अपने भक्तों की समस्त प्रकार के ज्ञात – अज्ञात शत्रुओं व संकटों से सदैव रक्षा करती हैं तथा उनका उद्धार करती हैं।
दुर्गा जी की आरती हिंदी अंबे गौरी PDF
जय अम्बे गौरी,मैया जय श्यामा गौरी।
तुमको निशिदिन ध्यावत,हरि ब्रह्मा शिवरी॥
जय अम्बे गौरी…
माँग सिन्दूर विराजत,टीको मृगमद को।
उज्जवल से दोउ नैना,चन्द्रवदन नीको॥
जय अम्बे गौरी…
कनक समान कलेवर,रक्ताम्बर राजै।
रक्तपुष्प गल माला,कण्ठन पर साजै॥
जय अम्बे गौरी…
केहरि वाहन राजत,खड्ग खप्परधारी।
सुर-नर-मुनि-जन सेवत,तिनके दुखहारी॥
जय अम्बे गौरी…
कानन कुण्डल शोभित,नासाग्रे मोती।
कोटिक चन्द्र दिवाकर,सम राजत ज्योति॥
जय अम्बे गौरी…
शुम्भ-निशुम्भ बिदारे,महिषासुर घाती।
धूम्र विलोचन नैना,निशिदिन मदमाती॥
जय अम्बे गौरी…
चण्ड-मुण्ड संहारे,शोणित बीज हरे।
मधु-कैटभ दोउ मारे,सुर भयहीन करे॥
जय अम्बे गौरी…
ब्रहमाणी रुद्राणीतुम कमला रानी।
आगम-निगम-बखानी,तुम शिव पटरानी॥
जय अम्बे गौरी…
चौंसठ योगिनी मंगल गावत,नृत्य करत भैरूँ।
बाजत ताल मृदंगा,अरु बाजत डमरु॥
जय अम्बे गौरी…
तुम ही जग की माता,तुम ही हो भरता।
भक्तन की दु:ख हरता,सुख सम्पत्ति करता॥
जय अम्बे गौरी…
भुजा चार अति शोभित,वर-मुद्रा धारी।
मनवान्छित फल पावत,सेवत नर-नारी॥
जय अम्बे गौरी…
कन्चन थाल विराजत,अगर कपूर बाती।
श्रीमालकेतु में राजत,कोटि रतन ज्योति॥
जय अम्बे गौरी…
श्री अम्बेजी की आरती,जो कोई नर गावै।
कहत शिवानन्द स्वामी,सुख सम्पत्ति पावै॥
जय अम्बे गौरी…
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