दंतेवाड़ा जिला सामान्य ज्ञान PDF

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दंतेवाड़ा जिला सामान्य ज्ञान PDF Summary

नमस्कार पाठकों, इस लेख के माध्यम से आप दंतेवाड़ा जिला सामान्य ज्ञान PDF प्राप्त कर सकते हैं। जिला दक्षिण बस्तर दंतेवाड़ा का गठन बस्तर जिले से पृथकीकरण के पश्चात २५ मई १९९८ को हुआ। यह स्थान घने वनों, सुंदर घाटियों तथा स्वच्छ नदियों से घिरा हुआ है। हिन्दू धर्म ग्रन्थों में वर्णित कथाओं के अनुसार माता सती के बावन अंगों में से एक अंग यहाँ गिरा था जिसके कारण इस शक्तिपीठ का निर्माण स्थापित हुआ था।
दंतेवाड़ा भारत देश के सर्वाधिक पुराने आबादी क्षेत्रों में से एक है। यहाँ के मूल निवासियों ने अपना जीवन जीने का ढंग अभी तक नहीं बदला है। यहाँ के लोग अपनी परम्पराओं एवं रीति – रिवाजों से आज तक जुड़े हुये हैं क्योंकि न ही उन्होने अपने लोक नृत्य छोड़े और न ही वहाँ गाये जाने वाले अपने मधुर लोक गीतों को भुलाया।
इस क्षेत्र को यहाँ की आराध्य देवी माँ दंतेश्वरी के नाम के कारण दंतेवाड़ा के नाम से जाना जाता है। माँ दंतेश्वरी के ऐतिहासिक मंदिर के अतिरिक्त भी दंतेवाड़ा में पौराणिक और ऐतिहासिक महत्व के अनेक मंदिर और स्थापत्य हैं। दंतेवाड़ा में माड़िया, मुड़िया, धुरवा, हल्बा, भतरा, गोंड जैसे अनेक जनजातीय समूह है। जनजातीय समूहों को गौर का सिंग धारण कर दंडामी माड़िया या गौर नृत्य करते देखकर आप प्रसन्न हो उठेंगे।

दंतेवाड़ा जिला सामान्य ज्ञान PDF

जिला का गठन – 1998
पुराना नाम – द‍ंतेवाडा़ (2003 में नाम का परिवर्तन)
मातृ जिला – बस्‍तर
विधानसभा क्षेत्र – दंतेवाड़ा अनुसुचित जनजाति क्षेत्र
भाषा तथा बोली – हिन्दी, छत्तीसगढ़ी, गोंड़ी, हलबी
नया नाम – दक्षिण बस्‍तर दंतेवाड़ा
जिला मुख्‍यालय दंतेवाड़ा
जिले की स्‍थापना 25 मई 1998
क्षेत्रफल 3410.50 वर्ग किलोमीटर
जनसंख्‍या 2011 2,83,479
जनसंख्‍या पुरूष 1,40,094
जनसंख्‍या महिला –  143385
सीमावर्ती जिले सुकमा, बीजापुर, बस्‍तर, नारायणपुर ।
सीमावर्ती राज्‍य नहीं
तहसील दंतेवाड़ा, गीदम, कटेकल्‍याण, कुआकोण्‍डा, बड़े बचेली
विकासखण्‍ड 4 गीदम, दंतेवाड़ा, कटेकल्‍याण, कुआकोण्‍डा
नगर पालिका दंतेवाड़ा, बचेली, किरंदुल
नगर पंचायत बारसुर, गीदम
ग्राम पंचायतें 143
कुल ग्राम 239
बैंक – 28
सार्वजनिक वितरण प्रणाली – 145
कॉलेज / विश्वविद्यालय – 6
बिजली – 10
अस्पताल – 95
नगरीय निकाय – 5
गैर सरकारी संगठन – 23
डाक – 71
स्कूल – 1014
तहसील – 5
पुलिस स्टेशन – 11

दंतेवाड़ा का सामान्‍य परिचय-
दन्‍तेश्‍वरी माता का मंदिर जिले में अवस्थित हैं। दन्‍तेश्‍वरी माता के मंदिर का निर्माण रानी भाग्‍येश्‍वरी देवी ने कराया था। यहां एशिया की सबसे उंची वालटेयर, रेल्‍वे लाईन स्थित है। विश्‍व प्रसिद्ध लौह अयस्‍क, किरंदुल और बैला‍डीला की खदाने इसी जिले में हैं।

  • पुराना नाम– तरलाग्राम
  • नया नाम– दक्षिण बस्‍तर दंतेवाड़ा राजपत्र
  • जनजातिया– गोंड, मुरिया, माडि़या, हल्‍बस, धुरबा, भतरा
  • भाषा बोली– गोंडी, हल्‍बी, दोरली,भतरी, और हिन्‍दी।
  • पर्यटन स्‍थल– दंतेश्‍वरी मंदिर, ढोलकाल, गणेश मंदिर, मामा-भांजा मंदिर बारसुर, बत्तीसा मंदिर, बैलाडीला की लौह अयस्‍क पहाडि़या ।
  • पर्व– जिले में फागुन मड़ई, नवरात्र आदि।
  • शिल्‍प– बांसशिल्‍प, काष्‍ठशिल्‍प, घड़वा शिल्‍प, मिट्टी के शिल्‍प।
  • उपज– धान, मक्‍का, कोदी-कुटकी ।
  • वनोपज– महुआ, टोरा, इमलीख्‍ तेंदूपत्‍ता गोंद, और चिंरोजी।
  • खनिज– लौह अयस्‍क हेमेटाइट, बाक्‍साइट, टिन, कैसेटेराइड, स्‍कार्ट्ज, संगमरमर, ग्रेनाइट।
  • नदियां-जिले में शंकनी, डंकनी, इंद्रावती, शबरी नदी।

दंतेवाड़ा का इतिहास / Hinstory of Dantewada

  • दंतेवाड़ा का नाम बदल कर दक्षिण बस्‍तर दंतेवाड़ा कर दिया गया क्‍यों कि यह बस्‍तर क्षेत्र में दक्षिण दिशा में स्थित है।
  • मां दन्‍तेश्‍वरी के नाम यह क्षेत्र का नाम रखा गया दन्‍तेश्‍वरी इस्‍ट देवी के रूप में यहां पूज्‍यनीय है।मां दन्‍तेश्‍वरी मंदिर 52 शक्ति पीठ में से एक मानी जाती है। जो कि भारत में माता का प्रमुख शक्ति केन्‍द्र है।
  • ऐतिहासिक रूप से यह क्षेत्र दण्‍डकारण्‍य का हिस्‍सा है जो बस्‍तर एवं कांकेर में फैला था।
  • रामायण एवं महाभारत कालीन यह क्षेत्र दक्षिण कौशल का हिस्‍सा रहा। प्राचीन मान्‍यता के अनुसार दंतेवाड़ा से होकर राम लक्षण एवं मां सीता इस रास्‍ते से वनवान गमन में नी‍कले थे।
  • दंतेवाड़ा शहर का ऐतिहासिक निर्माण अधिक पुराना नहीं है। दंतेश्‍वरी मंदिर का निर्माण छत्तीसगढ़ के प्रथम डिप्‍टी कमिश्‍नर चाल्‍स इलियट द्वारा किया गया।जिसे आगे चलकर पुरोषोत्‍म देव एवं कुछ समय बाद राजा द्रीगपाल ने मंदिर का जीर्णोद्धार किया ।
  • दंतेवाड़ा में इतिहास रूप से यहां अनेक बड़े राजवंश का प्रभाव रह नंदवंश, मौर्य, सातवाहन, गुप्‍त वंश, शरभपुरीय, चालुक्‍य एवं नागवंश जो कि यहां का पूर्णत: स्‍थानीय वंश था।
  • इन राजवंश के बाद कुछ समय के लिए मराठा/भोसला शासन एवं ब्रिटिश का शासन एवं राज रहा।
  • दंतेवाड़ा जिला का निर्माण 22 मई 1998 को हुआ।
  • दंतेवाडा़ में सर्वाधिक चालुक्‍या राजवंश एवं काकतीय राजवंश का प्रभुत्‍व रहा जिन्‍हें गोंड के रूप में भी जाना जाता है।दंतेवाड़ा गोंड संस्‍कृति का केन्‍द्र है।

विभिन्न शासन /  Dantewada Under Different Dynasties – Rulers

विभिन्न राजवंशों / राज्यों के कार्यकाल मे दंतेवाड़ा

कर्मांक

राजवंश/राज्य

अवधि

1. नल 350 – 760 ईसवींं
2. नाग 760 – 1324 ईसवींं
3. चालुक्य 1324 – 1777 ईसवींं
4. भोंसले 1777 – 1853 ईसवीं
5. ब्रिटीश 1853 – 1947 ईसवीं
  • दंतेवाडा जिला प्राकृतिक रूप से अति धनि है यहां की सुन्‍दरता अत्‍यंन्‍त मनमोहक है।
  • वन क्षेत्र से घिरी हुई भूमि नागवंश की ऐतिहासिकता बया करती है।
  • दंतेवाड़ा के बारसुर क्षेत्र ऐतिहासिक राजाओं की नगरी हुआ करती थी।
  • यह क्षेत्र को आर्किलोज्किल सर्वे द्वारा संरक्षित किया गया है।बारसुर में चालुक्‍य राजा का शासन था। उस समय दण्‍डकारण्‍य क्षेत्र के अंतर्गत बारसुर एवं दन्‍तेवाड़ा वहां के की राजधानी हुआ करती थी।यहा क्षेत्र अबुझमाड़ का दॉर कहलाता है।

दंतेवाड़ा का मौसम

दंतेवाड़ा जिला चट्टाने वन एवं पहाड पठार नदि झरनें से घिरा हुआ है।बंगाल की खाड़ी से मानसुन की बारिस होती है। यहां गर्मियों मे अधिक गर्म होती है। बाकी मौसम सुहाना होता है।सर्दी का समय दिसम्‍बर एवं फरवरी तथा गर्म सीजन मार्च से जुन अंतिम तक रहता है। मानसुन जुन से सितम्‍बर तक रहता है।
सिंचाई की प्रर्यात सुविधा चूंकि यह ठाल वाला पठारी क्षेत्र है तो बारिस का पानी रूकता नहीं नदियो से आगे निकल जाता है।
तापमान यहां के तापमान गर्मियों मे अधिकतम 41से 43 तक तक हो सकता है एवं न्‍युनतम तापमान 6से 7 डिग्री सेल्सियस रहता है। एवं मई का माह सर्वाधिक गर्म एवं जनवरी सर्वाधिक कम तापमान वाला होता है।
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