चंद्रघंटा माता व्रत कथा | Chandraghanta Mata Katha & Pooja Vidhi Hindi PDF Summary
नमस्कार पाठकों, इस लेख के माध्यम से आप चंद्रघंटा माता व्रत कथा / Chandraghanta Mata Katha & Pooja Vidhi PDF प्राप्त कर सकते हैं । नवरात्रि का तीसरा दिन माता चंद्रघंटा को समर्पित होता है । इस दिन माता की तीसरी शक्ति माँ चंद्रघंटा के रूप की विधिवत पूजा की जाती है तथा इस दिन साधक का मन मणिपूर चक्र में प्रविष्ट होता है। माता चंद्रघंटा का यह स्वरूप परम शांतिपूर्ण एवं कृपामयी है।
माता चंद्रघंटा के मस्तक पर घंटे के आकार का अर्धचंद्र सुशोभित होता है, अतः उन्हें चंद्रघंटा देवी के रूप में जाना जाता है। यदि आप भी माता की विशेष कृपा के प्राप्त बनना चाहते हैं तथा बुद्धि, विध्या एवं बल अर्जित करना चाहते हैं तो नवरात्रि के तीसरे दिन श्रद्धाभाव से माता चंद्रघंटा का पूजन अवश्य करें।
नवरात्रि में हर दिन अलग-अलग माताओं की पूजा की जाती हैं। नवरात्रि के पहले दिन शैलपुत्री माता की पूजा की जाती है तो दुसरा दिन ब्रह्मचारिणी माता की पूजा का होता है। वहीं नवरात्रि का तीसरा दिन को चंद्रघंटा माता समर्पित होता है। नवरात्रि के चौथे दिन माँ कुष्मांडा देवी आराधना की जाती है। नवरात्रि के पांचवे दिन स्कंदमाता का ध्यान करते हुए उनका के साथ जाप किया जाता है। नवरात्रि के छठे दिन मां कात्यायनी की पूजा-अर्चना की जाती है। नवरात्रि के सातवें दिन कालरात्रि माता का विधिवत पूजन अवश्य करें तथा कालरात्रि माता की कथा व आरती भी अवश्य गायें। नवरात्रि के आठवें दिन पूर्ण विधि – विधान से महागौरी माता का पूजन करना चाहिए। सिद्धिदात्री माता जी का पूजन नवरात्रि के नवें अथवा अंतिम दिन किया जाता है।
चंद्रघंटा माता की कथा / Chandraghanta Mata Ki Katha PDF
प्राचीन काल में देवताओं और असुरों के बीच लंबे समय तक युद्ध चला। असुरों का स्वामी महिषासुर था और देवताओं के स्वामी भगवान इंद्र देव थे। महिषासुर ने देवतालोक पर विजय प्राप्त कर इंद्र का सिंहासन हासिल कर लिया और स्वर्ग लोक पर राज करने लगा। इसे देख सभी देवी देवता चिंतित हो उठे और त्रिदेवों के पास जा पहुंचे।
देवताओं ने बताया कि महिषासुर ने इंद्र, सूर्य, चंद्र और वायु समेत अन्य देवताओं के सभी अधिकार छीन लिए हैं और देवतागण पृथ्वी लोक पर विचरण कर रहे हैं। देवताओं की बात सुन ब्रह्मा, विष्णु और भगवान शिव अत्यंत क्रोधित हो उठे। क्रोध के कारण तीनों देवों के मुख से ऊर्जा उत्पन्न हुई और देवगणों के शरीर से निकली ऊर्जा भी उस ऊर्जा में जाकर मिल गई।
दसों दिशाओं में व्याप्त होने के बाद इस ऊर्जा से मां भगवती का अवतरण हुआ। शंकर भगवान ने देवी को अपना त्रिशूल भेट किया।भगवान विष्णु ने भी उनको चक्र प्रदान किया। इसी तरह से सभी देवता ने माता को अस्त्र-शस्त्र देकर सजा दिया। इंद्र ने भी अपना वज्र एवं ऐरावत हाथी माता को भेंट किया। सूर्य ने अपना तेज, तलवार और सवारी के लिए शेर प्रदान किया। युद्धभूमि में देवी चंद्रघंटा ने महिषासुर नामक दैत्य का वध किया।
माँ चंद्रघंटा की आरती / Maa Chandraghanta Ki Aarti Lyrics PDF
जय माँ चन्द्रघण्टा सुख धाम।
पूर्ण कीजो मेरे काम॥
चन्द्र समाज तू शीतल दाती।
चन्द्र तेज किरणों में समाती॥
मन की मालक मन भाती हो।
चन्द्रघण्टा तुम वर दाती हो॥
सुन्दर भाव को लाने वाली।
हर संकट में बचाने वाली॥
हर बुधवार को तुझे ध्याये।
श्रद्दा सहित तो विनय सुनाए॥
मूर्ति चन्द्र आकार बनाए।
सन्मुख घी की ज्योत जलाएं॥
शीश झुका कहे मन की बाता।
पूर्ण आस करो जगत दाता॥
कांचीपुर स्थान तुम्हारा।
कर्नाटिका में मान तुम्हारा॥
नाम तेरा रटू महारानी।
भक्त की रक्षा करो भवानी॥
माँ चंद्रघंटा पूजा विधि / Chandraghanta Mata Puja Vidhi
- सर्वप्रथम प्रातः जल्दी उठकर स्नानादि करने के पश्चात पूजा स्थान पर गंगाजल छिड़कें।
- अब माँ चंद्रघंटा माता का ध्यान करें और उनके समक्ष दीपक प्रज्वलित करें।
- अब माता रानी को अक्षत, सिंदूर, पुष्प आदि चीजें अर्पित करें।
- इसके बाद माँ को प्रसाद के रूप में फल और मिष्ठान अर्पित करें।
- अब माँ चंद्रघंटा की आरती करें।
- अंत में देवी माँ से आशीर्वाद ग्रहण करें।
चंद्रघंटा माता का श्लोक / Maa Chandraghanta Shloka
पिण्डजप्रवरारुढा चण्डकोपास्त्रकैर्युता |
प्रसादं तनुते मह्यं चन्द्रघण्टेति विश्रुता ||
माँ चंद्रघंटा बीज मंत्र / Maa Chandraghanta Beej Mantra
या देवी सर्वभूतेषु माँ चंद्रघंटा रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:।।
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