चैत्र पुर्णिमा व्रत कथा | Chaitra Purnima Vrat Katha PDF Hindi

चैत्र पुर्णिमा व्रत कथा | Chaitra Purnima Vrat Katha Hindi PDF Download

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चैत्र पुर्णिमा व्रत कथा | Chaitra Purnima Vrat Katha Hindi - Description

नमस्कार पाठकों, इस लेख के माध्यम से आप चैत्र पुर्णिमा व्रत कथा pdf / Chaitra Purnima Vrat Katha Hindi PDF प्राप्त कर सकते हैं। चैत्र पुर्णिमा व्रत कथा का पाठ चैत्र माह की पुर्णिमा तिथि के दिन किया जाता है। हिन्दू धर्म में प्रायः दो प्रकार से पंचांग दर्शन किया जाता है एक तो पुर्णिमा तिथि को समाप्त होता है तथा दूसरा अमावस्या तिथि को पूर्ण होता है। पुर्णिमा पर समाप्त होने वाले पंचांग को पूर्णिमान्त तथा अमावस्या को सम्पन्न होने वाले को आमंता पंचांग के नाम से जाना जाता है।

वैसे तो किसी भी माह की पुर्णिमा तिथि को हिन्दू धर्म में अत्यधिक महत्वपूर्ण माना जाता है किन्तु चैत्र पुर्णिमा का अपना विशेष महत्व होता है। इस अवसर पर पूर्ण विधि – विधान से भगवान श्री हरी विष्णु जी का पूजन करने से व्यक्ति के जीवन में आने वाली घोर समस्याएँ टल जाती हैं। विष्णु जी की कृपा से जातक के घर में कभी भी धन – धान्य का अभाव नहीं होता है। आप यहाँ दी गयी चैत्र पुर्णिमा व्रत कथा pdf के माध्यम से इस कथा का पाठ अवश्य करें।

चैत्र पुर्णिमा व्रत कथा pdf / Chaitra Purnima Vrat Katha in Hindi PDF

पैराणिक कथा के अनुसार एक नगर में सेठ-सेठानी रहते थे। सेठानी रोजाना भगवान श्री हरि की पूजा भक्ति-भाव से किया करती, लेकिन सेठानी का पूजा करना उसके पति को बिल्कुल पसंद नहीं था। इस कराण एक दिन सेठ ने उसे घर से निकाल दिया। सेठानी घर से निकलकर जंगल की ओर चल दी। रास्ते में सेठानी ने देखा कि जंगल में चार आदमी मिट्टी खोद रहे हैं, ये देखकर सेठानी ने उनसे बोला कि आप लोग मुझे किसी काम पर रख लो। सेठानी के कहने पर उन्होंने सेठानी को नौकरी पर रख लिया। लेकिन सेठानी बहुत कोमल थी, इस वजह से उसके हाथ पर छाले पड़ गए। यह देख चारों आदमी ने सोठानी से काम छोड़ने की बात कही।

उन्होंने कहा कि इसकी जगह तुम हमारे घर का काम कर दो। सेठानी के मान जाने पर वे उसे अपने घर ले गए। वहां वे चारों आदमी चार मुट्ठी चावल लाते और उसे बांटकर खा लेते। ये देख सेठानी को बहुत बुरा लगता। इसे देख सेठानी ने उन चारों आदमी को 8 मुट्ठी चावल लाने को कहा सेठानी की बात मानकर चारों आदमी 8 मुट्ठी चावल लाए। इन चावलों का सेठानी ने भोजन बनाया और भगवान विष्णु को भोग लगाकर सभी आदमियों को परोस दिया। इस बार चारों आदमियों को भोजन बहुत स्वादिष्ट लगा और सेठानी से खाने की तारीफ करते हुए इसका राज पूछा। तो सेठानी ने कहा कि ये भोजन भगवान विष्णु का झूठा है। इसी वजह से ये आपको स्वादिष्ट लग रहा है। उधर, सेठानी के जाने के बाद से सेठ भूखा रहने लगा। आसपास के लोग उसे ताने मारने लगे कि ये पत्नी की वजह से ही खाना खा रहा था।

लोगों की बातें सुनकर सेठ सेठानी को जंगल में देखने निकल गया। रास्ते में उसे वही चार आदमी मिट्टी खोदते हुए दिखाई दिए। सेठ ने उन्हें कहा कि तुम मुझे काम पर रख लो। तब चारों आदमी ने उसे भी काम पर रख लिया। लेकिन सेठानी की तरह मिट्टी खोदने से सेठ के हाथों में भी छाले पड़ गए। ये देखकर उन्होंने सेठ को भी घर का काम करने की सलाह दी। सेठ भी उनकी बात मानकर उनके घर चल दिया। घर पहुंचकर सेठ ने सेठानी को पहचान लिया, लेकिन सेठानी घूंघट में होने के कारण सेठ को पहचान नहीं पाई। हर दिन की तरह इस बार भी सेठानी ने भगवान विष्णु को भोग लगाकर सभी को खाना परोस दिया। लेकिन जैसे ही सेठानी सेठ को खाना परोसने लगी, तो भगवान विष्णु ने सेठानी का हाथ पकड़ लिया और कहा कि ये तुम क्या कर रही हो।

सेठानी बोली, मैं कुछ नहीं कर रही, मैं तो भोजन परोस रही हूं। चारों भाइयों ने सेठानी से कहा कि हमें भी भगवान विष्णु के दर्शन कराओ। सेठानी के अनुरोध करने पर भगवान विष्णु उन सभी के सामने प्रकट हो गए। यह देख सेठ ने सेठानी से क्षमा मांगी और उसे हाथ पकड़कर घर चलने को कहा। तब चारों भाइयों ने बहन को बहुत सारा धन देकर विदा किया। तब से सेठ भी भगवान विष्णु का भक्त बन गया और पूरी श्रद्धा से उनकी पूजा करने लगा। इससे उसके घर में फिर से धन की बरसात होने लगी। ऐसी मान्यता है कि इस दिन व्रत रखने से सत्यनारायण भगवान के साथ हनुमान जी, प्रभु श्री राम और माता सीता की कृपा भी प्राप्त होती है।

चैत्र पुर्णिमा व्रत पूजा विधि | Chaitra Purnima Vrat Puja Vidh

  • भगवान सत्यनारायण की पूजा करें धर्मसिंधु ग्रंथ और ब्रह्मवैवर्त पुराण के अनुसार चैत्र माह की पूर्णिमा तिथि पर तीर्थ स्नान, दान, व्रत और भगवान श्रीहरी की पूजा करने से सभी तरह के पाप नष्ट हो जाते हैं।
  • इस दिन श्रीहरी और देवी लक्ष्मी की पूजा करने से अखंड लक्ष्मी की प्राप्ति होती है। इस दिन चंद्रमा अपनी सोलह कलाओं के साथ आसमान में अपनी निराली छटा और स्वच्छ चांदनी के साथ चमकता रहता है।
  • पूर्णिमा का व्रत कर भगवान सत्यनारायण की कथा करने से धन, संपदा और एश्वर्य की प्राप्ति होती है।
  • इस दिन हनुमान जयंती होने से श्रीराम भक्त हनुमान की आराधना की जाती है।
  • इसी दिन से वैशाख मास के स्नान का भी आरंभ हो जाता है।
  • सूर्योदय के समय सूर्य को अर्घ्य देकर दान करने से देवताओं की कृपा प्राप्त होती है।

श्री जगदीशजी की आरती | Shri Vishnu Ji Ki Aarti Lyrics

॥ आरती श्री जगदीशजी ॥

ॐ जय जगदीश हरे, स्वामी ! जय जगदीश हरे।

भक्त जनों के संकट, क्षण में दूर करे॥

ॐ जय जगदीश हरे।

जो ध्यावे फल पावे, दुःख विनसे मन का।

स्वामी दुःख विनसे मन का।

सुख सम्पत्ति घर आवे, कष्ट मिटे तन का॥

ॐ जय जगदीश हरे।

मात-पिता तुम मेरे, शरण गहूँ मैं किसकी।

स्वामी शरण गहूँ मैं किसकी।

तुम बिन और न दूजा, आस करूँ जिसकी॥

ॐ जय जगदीश हरे।

तुम पूरण परमात्मा, तुम अन्तर्यामी।

स्वामी तुम अन्तर्यामी।

पारब्रह्म परमेश्वर, तुम सबके स्वामी॥

ॐ जय जगदीश हरे।

तुम करुणा के सागर, तुम पालन-कर्ता।

स्वामी तुम पालन-कर्ता।

मैं मूरख खल कामी, कृपा करो भर्ता॥

ॐ जय जगदीश हरे।

तुम हो एक अगोचर, सबके प्राणपति।

स्वामी सबके प्राणपति।

किस विधि मिलूँ दयामय, तुमको मैं कुमति॥

ॐ जय जगदीश हरे।

दीनबन्धु दुखहर्ता, तुम ठाकुर मेरे।

स्वामी तुम ठाकुर मेरे।

अपने हाथ उठा‌ओ, द्वार पड़ा तेरे॥

ॐ जय जगदीश हरे।

विषय-विकार मिटा‌ओ, पाप हरो देवा।

स्वमी पाप हरो देवा।

श्रद्धा-भक्ति बढ़ा‌ओ, सन्तन की सेवा॥

ॐ जय जगदीश हरे।

श्री जगदीशजी की आरती, जो कोई नर गावे।

स्वामी जो कोई नर गावे।

कहत शिवानन्द स्वामी, सुख संपत्ति पावे॥

ॐ जय जगदीश हरे।

चैत्र पुर्णिमा पूजन लाभ

इस दिन भगवान सत्यनारायण की कथा सुनने से जन्म – जन्मांतर के पाप नष्ट हो जाते हैं। इस दिन चंद्रमा को जल देने से कुंडली में चंद्र ग्रह कि स्थिति बेहतर होती है। चैत्र पूर्णिमा को जरूरतमंद व्यक्ति या विद्वान ब्राह्मण को दान करने से उस दान का कई गुना फल प्राप्त होता है। इस दिन भगवान श्रीकृष्ण की उपासना करने से उनकी कृपा प्राप्त होती है।

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