बृहस्पति मंत्र | Brihaspati Mantra Sanskrit PDF Summary
प्रिय पाठकों, प्रस्तुत लेख में हम आपके लिए बृहस्पति मंत्र PDF / Brihaspati Mantra PDF in Hindi उपलब्ध करवा रहे हैं। यदि आप देव गुरु बृहस्पति को प्रसन्न कर लेते हैं, तो आपके जीवन में धन – वैभव की वर्षा होने लगती है। जिस घर में नित्य पूजा स्थल पर श्री बृहस्पति मन्त्रों का उच्चारण किया जाता है, उस घर में सदैव मांगलिक कार्य होते रहते हैं तथा उसमे निवास करने वाले सभी प्राणी सुखी जीवन व्यतीत करते हैं।
बृहस्पति देव न केवल आपको भौतिक सुखों का ज्ञान देते हैं अपितु समाज में आपकी छवि को भी अधिक प्रभावशाली बना देते हैं। यदि आप दैनिक रूप से श्री बृहस्पति पूजन करने में असमर्थ हैं, तो मात्र गुरुवार को ही उनकी पूजा – अर्चना कर सुबह परिणाम प्राप्त कर सकते हैं। हमने अपने प्रिय पाठकों के हित को ध्यान में रखते हुए श्री बृहस्पति देव के दिव्य मन्त्रों की एक पीडीऍफ़ निर्मित की है जिसमे ब्रहस्पति गायत्री मंत्र को भी सम्मिलित किया गया है। बृहस्पति गायत्री मंत्र pdf को बहुत से लोग गुरु गायत्री मंत्र pdf के नाम से भी जानते हैं।
बृहस्पति मंत्र PDF | Brihaspati Mantra PDF in Hindi
विभिन्न गायत्री मन्त्रों में श्री गुरु गायत्री मंत्र का एक विशेष स्थान है। आईये पढ़ते हैं श्री बृहस्पति गायत्री मंत्र।
ॐ अंशगिरसाय विद्महे दिव्यदेहाय धीमहि तन्नो जीव: प्रचोदयात्।
बृहस्पति देव का बीज मंत्र / Brihaspati Beej Mantra pdf
बृहस्पति देव का बीज मंत्र निम्नलिखित है –
ॐ ग्रां ग्रीं ग्रौं स: गुरवे नम:।
बृहस्पति ध्यान मंत्र
निम्नलिखित मंत्र का प्रयोग श्री देव गुरु बृहस्पति का ध्यान करने हेतु किया जाता है।
ॐ बृं बृहस्पतये नमः
बृहस्पति मंत्र फॉर मैरिज
विवाह में उत्पन्न होने वाली समस्याओं के निवारण हेतु बृहस्पति देव के इस मंत्र का जाप करना चाहिए –
देवानां च ऋषीणां च गुरुं का चनसन्निभम।
बृहस्पति वैदिक मंत्र
बुद्धि भूतं त्रिलोकेशं तं नमामि बृहस्पितम।
बृहस्पति भगवान को कैसे खुश करें?
- बृहस्पतिवार का व्रत पूरे विधि-विधान से रखें।
- यदि आप बहुत कठिन उपाय नहीं कर सकते हैं, तो बृहस्पति देव की कृपा पाने के लिए तोते को चने की दाल खिलाएं।
- गुरुओं व मंदिर के पुजारी आदि का सम्मान और उनकी तमाम तरह से सेवा करने से बृहस्पति देव की कृपा प्राप्त होती है।
बृहस्पति के जाप कितने होते हैं?
मंत्र कैसे सिद्ध होता है?
उत्तर अथवा पूर्व दिशा की ओर मुख करके एक आसान पर बैठ जाएं तथा अपने समक्ष एक दीप प्रज्जवलित कर लें। तत्पश्चात जिस मंत्र को सिद्ध करना है, उस मंत्र की २१ माला जप करें । जाप संपन्न होने पर सुगन्धित हवन सामग्री की धूनी करें तथा आहुति दें।
गुरुवार को क्या दान करना चाहिए?
गुरुवार का उद्यापन कब करना चाहिए?
सोलह गुरुवार तक निरन्तर व्रत करें तथा 17वें गुरुवार को उद्यापन करें।
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