बृहस्पति कवच | Brihaspati Kavacham Sanskrit PDF Summary
नमस्कार मित्रों, प्रस्तुत लेख में हम आपको बृहस्पति कवच pdf के विषय में बताने जा रहे हैं। बृहस्पति कवच, देव गुरु बृहस्पति को समर्पित एक अत्यधिक मधुर व चमत्कारी स्तोत्र है। जिन जातकों की कुण्डली में बृहस्पति की महादशा या अन्तर्दशा चल रही है, उन्हें इस बृहस्पति कवच का पाठ अवश्य करना चाहिए।
बृहस्पति कवच के प्रभाव से अविवाहितों के विवाह में उत्पन्न होने वाली समस्याओं का निवारण होता है। यदि आप लम्बे समय से किसी असाध्य रोग से पीड़ित हैं, तो कवच का नियमित पाठ करने से आपके स्वस्थ्य में सुधार होगा। यदि आप श्री बृहस्पति कवच pdf प्राप्त करना चाहते हैं, तो इस लेख के अन्त में दिए गए डाउनलोड बटन पर क्लिक करके प्राप्त कर सकते हैं।
बृहस्पति कवच स्तोत्र लिरिक्स / Brihaspati Kavacham Lyrics
श्रीगणेशाय नमः ।
अस्य श्रीबृहस्पतिकवचस्तोत्रमन्त्रस्य ईश्वर ऋषिः,
अनुष्टुप् छन्दः, गुरुर्देवता, गं बीजं, श्रीशक्तिः,
क्लीं कीलकं, गुरुप्रीत्यर्थं जपे विनियोगः ।
अभीष्टफलदं देवं सर्वज्ञं सुरपूजितम् ।
अक्षमालाधरं शान्तं प्रणमामि बृहस्पतिम् ॥ १॥
बृहस्पतिः शिरः पातु ललाटं पातु मे गुरुः ।
कर्णौ सुरगुरुः पातु नेत्रे मेऽभीष्टदायकः ॥ २॥
जिह्वां पातु सुराचार्यो नासां मे वेदपारगः ।
मुखं मे पातु सर्वज्ञो कण्ठं मे देवतागुरुः ॥ ३॥
भुजावाङ्गिरसः पातु करौ पातु शुभप्रदः ।
स्तनौ मे पातु वागीशः कुक्षिं मे शुभलक्षणः ॥ ४॥
नाभिं देवगुरुः पातु मध्यं पातु सुखप्रदः ।
कटिं पातु जगद्वन्द्य ऊरू मे पातु वाक्पतिः ॥ ५॥
जानुजङ्घे सुराचार्यो पादौ विश्वात्मकस्तथा ।
अन्यानि यानि चाङ्गानि रक्षेन्मे सर्वतो गुरुः ॥ ६॥
इत्येतत्कवचं दिव्यं त्रिसन्ध्यं यः पठेन्नरः ।
सर्वान्कामानवाप्नोति सर्वत्र विजयी भवेत् ॥ ७॥
॥ इति श्रीब्रह्मयामलोक्तं बृहस्पतिकवचं सम्पूर्णम् ॥
बृहस्पति कवच के पाठ से होने वाले लाभ / Brihaspati Kavacham Benefits in Hindi
- बृहस्पति कवच का पाठ करने से जातक को बृहस्पति की महादशा तथा अन्तर्दशा में लाभ होता है।
- इस कवच के नियमित पाठ से विवाह सम्बन्धी समस्याओं का निवारण होता है।
- बृहस्पति कवच का दैनिक पाठ करने से घर में धन – धान्य की पूर्ति होती है।
- यदि आपकी कुण्डली में बृहस्पति दुर्बल है, तो इसका पाठ करने से लाभ होता है।
- बृहस्पति कवच के प्रभाव से हाथ में गुरु पर्वत प्रबल होता है।
बृहस्पति कवच का पाठ करने की विधि
- सर्वप्रथम स्नान आदि कर स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
- अब एक लकड़ी की चौकी पर पीला कपड़ा बिछाएं।
- तत्पश्चात भगवान् बृहस्पति का छायाचित्र अथवा मूर्ति स्थापित करें।
- अब श्री बृहस्पति कवच का पाठ करें।
- पाठ सम्पूर्ण होने पर श्री बृहस्पति देव की आरती करें।
- अन्त में गुरुदेव का आशीर्वाद ग्रहण करें।
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