भाई दूज की कहानी | Bhai Dooj Story Hindi - Description
नमस्कार दोस्तों, इस लेख के माध्यम से हम आपको भाई दूज की कहानी PDF / Bhai Dooj Ki Katha in Hindi PDF के लिए डाउनलोड लिंक दे रहे हैं। हिंदुओं के लिए, प्रत्येक त्योहार के पीछे की कहानी उनकी संस्कृति के निर्माण में बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है और इसका बहुत गहरा महत्व और मूल्य है। अधिकांश भारतीय त्योहार विशिष्ट पात्रों और व्यक्तित्वों से जुड़े होते हैं जो जनता को त्योहार के वास्तविक महत्व को समझने और जानने में मदद करते हैं।
सभी महत्वपूर्ण भारतीय त्योहारों की तरह, भाई दूज की भी एक कहानी है, जिसने अपनी अनूठी उपस्थिति और ताकत के साथ एक जगह बनाई है। यहाँ से आप Bhai Dooj Story PDF in Hindi बड़ी आसानी से डाउनलोड कर सकते हैं वो भी बिना किसी परेशानी के।
पीढ़ियों से, भाई दूज की कहानी पीढ़ी दर पीढ़ी या तो मुंह से बोलकर या ध्यान से संग्रहीत शास्त्रों के माध्यम से पारित की गई है। कहानी का वर्णन भाई दूज पूजा के अंत का प्रतीक है।
भाई दूज की कहानी PDF | Bhai Dooj Story PDF in Hindi
भाई दूज की पौराणिक कथा कुछ इस प्रकार है, सूर्य देव की पत्नी संज्ञा की दो संतान उत्पन्न हुई थी। एक पुत्र यमराज तथा एक पुत्री यमुना। जब संज्ञा सूर्य देव के तेज़ को सहन नहीं कर पाई तो उन्होंने अपनी छायामूर्ति का निर्माण किया तथा उस छायामूर्ति को अपनी दोनों संताने सौंप कर चली गईं। उधर, यमुना जो अपने भाई यमराज से बेहद स्नेह करती थीं, वह सदैव अपने भाई यमराज के घर जाती थी। प्रत्येक सुख दुःख में उसका साथ देती थी। फिर विवाह के बाद यमुना अपने भाई यमराज को अपने घर आने के लिए भी आमंत्रित करती थी, लेकिन व्यस्तता के कारण यमराज उसके घर नहीं जा पाते थे। एक बार की बात है जब कार्तिक शुक्ल की द्वितीया को यमराज अपनी बहन के घर पहुंच गए।
अपनी बहन के घर जाने से पहले यमराज ने नरक में निवास करने वाले जीवों को भी मुक्त कर दिया था। इसके बाद जब यमराज अपनी बहन के घर गए तो उनकी बहन यमुना ने उनका खुशी से स्वागत तथा आदर सत्कार किया और उनके मस्तक पर तिलक लगाया। अपने भाई के आगे भोजन व पकवान आदि प्रस्तुत किए। जब यमराज अपनी बहन यमुना के घर से चलने के लिए उठे, तब उन्होंने अपनी बहन से मनोवांछित वरदान मांगने का अनुरोध किया।
अपने भाई यमराज के अधिक अनुरोध करने पर यमुना जी बोली, “भैया, यदि आप मुझे वर देना चाहते हैं तो मुझे आज यह वर दीजिए कि आज के दिन प्रत्येक वर्ष आप मेरे घर पधारेंगे तथा मेरा आतिथ्य सत्कार स्वीकार करेंगे। इसके साथ ही आज के दिन जो भाई अपनी बहन के घर जाकर आतिथ्य सत्कार स्वीकार करेगा तथा अपनी बहन के हाथों से तिलक आदि करवाकर मिष्ठान स्वीकार करेगा, उसे कभी आपका भय नहीं रहेगा। इसके साथ ही यमुना ने अपने भाई यमराज से यह भी वरदान मांगा कि जो भाई बहन आज के दिन यमुना जी में डुबकी लगाएंगे, वो स्वयं यमराज के प्रकोप से बचने की क्षमता प्राप्त करेंगे। यमराज जी ने अपनी बहन यमुना जी की सारी बातें स्वीकार कर ली और उन्हें उनकी इच्छानुसार वरदान दिया। कहते हैं कि तभी से हिन्दू समाज में भाई बहन का यह पवित्र त्योहार भाई दूज मनाया जाने लगा।
भाई दूज पूजा विधि PDF | Bhai Dooj Puja Vidhi PDF in Hindi
सनातन हिंदु धर्म में रक्षाबंधन की तरह ही भाईदूज का भी विशेष महत्व होता है। इस दिन बहनें अपने भाई को तिलक लगाती हैं। इस दिन भाई की लंबी उम्र और उज्जवल भविष्य के लिए पहले पूजा की थाली, फल, फूल, दीपक, अक्षत, मिठाई, सुपारी आदि चीजों से सजाना लें। इसके पश्चात, घी का दीपक जलाकर भाई की आरती करें और शुभ मुहूर्त देखकर तिलक लगाएं। तिलक लगाने के बाद भाई को पान, मिठाई आदि चीज खिलाएं।
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