अपरा (अचला) एकादशी व्रत कथा | Apara Ekadashi Vrat Katha PDF Hindi

अपरा (अचला) एकादशी व्रत कथा | Apara Ekadashi Vrat Katha Hindi PDF Download

Free download PDF of अपरा (अचला) एकादशी व्रत कथा | Apara Ekadashi Vrat Katha Hindi using the direct link provided at the bottom of the PDF description.

DMCA / REPORT COPYRIGHT

अपरा (अचला) एकादशी व्रत कथा | Apara Ekadashi Vrat Katha Hindi - Description

हिन्‍दू पंचांग के अनुसार ज्येष्ठ मास में कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि को अपरा एकादशी के रूप में मनाया जाता है। इस दिन भगवान विष्णु की विशेष पूजा की जाती है। इस बार अपरा एकादशी 6 जून दिन रविवार को मनाई जाएगी। माना जाता है कि इस दिन पूरे विधि-विधान से पूजा करने से भगवान विष्णु की असीम कृपा मिलती है। इस पोस्ट में हमने आपके लिए Apara Ekadashi  Vrat katha Hindi PDF Pooja Vidhi / अपरा (अचला) एकादशी व्रत कथा हिंदी पीडीऍफ़ पूजा विधि डाउनलोड करने के लिए लिंक भी दिया है।
पौराणिक कथाओं के अनुसार, अपरा एकादशी के दिन अनजाने में हुई गलतियों और पापों को नष्ट के लिए भगवान विष्णु की पूजा की जाती है।कहा जाता है कि इस एकादशी का व्रत करने से मनुष्य के जीवन के सभी संकट दूर हो जाते हैं तथा उसे मोक्ष की प्राप्ति होती है।
अपरा एकादशी पर विष्णु यंत्र की पूजा अर्चना करने का भी महत्व है। इस एकादशी पर श्रद्धालु पूरा दिन व्रत रहकर शाम के समय भगवान विष्णु की पूजा अर्चना करते है जिससे उसको मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है।

अपरा (अचला) एकादशी व्रत कथा | Apara Ekadashi Vrat Katha in Hindi

भगवान श्रीकृष्ण कहने लगे कि हे राजन! यह एकादशी ‘अचला’ तथा’ अपरा दो नामों से जानी जाती है। पुराणों के अनुसार ज्येष्ठ कृष्ण पक्ष की एकादशी अपरा एकादशी है, क्योंकि यह अपार धन देने वाली है। जो मनुष्य इस व्रत को करते हैं, वे संसार में प्रसिद्ध हो जाते हैं।
इस दिन भगवान त्रिविक्रम की पूजा की जाती है। अपरा एकादशी के व्रत के प्रभाव से ब्रह्म हत्या, भू‍त योनि, दूसरे की निंदा आदि के सब पाप दूर हो जाते हैं। इस व्रत के करने से परस्त्री गमन, झूठी गवाही देना, झूठ बोलना, झूठे शास्त्र पढ़ना या बनाना, झूठा ज्योतिषी बनना तथा झूठा वैद्य बनना आदि सब पाप नष्ट हो जाते हैं।
जो क्षत्रिय युद्ध से भाग जाए वे नरकगामी होते हैं, परंतु अपरा एकादशी का व्रत करने से वे भी स्वर्ग को प्राप्त होते हैं। जो शिष्य गुरु से शिक्षा ग्रहण करते हैं फिर उनकी निंदा करते हैं वे अवश्य नरक में पड़ते हैं। मगर अपरा एकादशी का व्रत करने से वे भी इस पाप से मुक्त हो जाते हैं।
जो फल तीनों पुष्कर में कार्तिक पूर्णिमा को स्नान करने से या गंगा तट पर पितरों को पिंडदान करने से प्राप्त होता है, वही अपरा एकादशी का व्रत करने से प्राप्त होता है। मकर के सूर्य में प्रयागराज के स्नान से, शिवरात्रि का व्रत करने से, सिंह राशि के बृहस्पति में गोमती नदी के स्नान से, कुंभ में केदारनाथ के दर्शन या बद्रीनाथ के दर्शन, सूर्यग्रहण में कुरुक्षेत्र के स्नान से, स्वर्णदान करने से अथवा अर्द्ध प्रसूता गौदान से जो फल मिलता है, वही फल अपरा एकादशी के व्रत से मिलता है।
यह व्रत पापरूपी वृक्ष को काटने के लिए कुल्हाड़ी है। पापरूपी ईंधन को जलाने के लिए ‍अग्नि, पापरूपी अंधकार को मिटाने के लिए सूर्य के समान, मृगों को मारने के लिए सिंह के समान है। अत: मनुष्य को पापों से डरते हुए इस व्रत को अवश्य करना चाहिए। अपरा एकादशी का व्रत तथा भगवान का पूजन करने से मनुष्य सब पापों से छूटकर विष्णु लोक को जाता है।
इसकी प्रचलित कथा के अनुसार प्राचीन काल में महीध्वज नामक एक धर्मात्मा राजा था। उसका छोटा भाई वज्रध्वज बड़ा ही क्रूर, अधर्मी तथा अन्यायी था। वह अपने बड़े भाई से द्वेष रखता था। उस पापी ने एक दिन रात्रि में अपने बड़े भाई की हत्या करके उसकी देह को एक जंगली पीपल के नीचे गाड़ दिया। इस अकाल मृत्यु से राजा प्रेतात्मा के रूप में उसी पीपल पर रहने लगा और अनेक उत्पात करने लगा।
एक दिन अचानक धौम्य नामक ॠषि उधर से गुजरे। उन्होंने प्रेत को देखा और तपोबल से उसके अतीत को जान लिया। अपने तपोबल से प्रेत उत्पात का कारण समझा। ॠषि ने प्रसन्न होकर उस प्रेत को पीपल के पेड़ से उतारा तथा परलोक विद्या का उपदेश दिया।
दयालु ॠषि ने राजा की प्रेत योनि से मुक्ति के लिए स्वयं ही अपरा (अचला) एकादशी का व्रत किया और उसे अगति से छुड़ाने को उसका पुण्य प्रेत को अर्पित कर दिया। इस पुण्य के प्रभाव से राजा की प्रेत योनि से मुक्ति हो गई। वह ॠषि को धन्यवाद देता हुआ दिव्य देह धारण कर पुष्पक विमान में बैठकर स्वर्ग को चला गया।
हे राजन! यह अपरा एकादशी की कथा मैंने लोकहित के लिए कही है। इसे पढ़ने अथवा सुनने से मनुष्य सब पापों से छूट जाता है।

अपरा एकादशी की पूजन विधि | Apara Ekadashi Pooja Vidhi

एकादशी से एक दिन पूर्व ही व्रत के नियमों का पालन करें।
– अपरा एकादशी के दिन ब्रह्म मुहूर्त में उठकर घर की साफ-सफाई करें।
– इसके बाद स्‍नान करने के बाद स्‍वच्‍छ वस्‍त्र धारण करें व्रत का संकल्‍प लें।
– अब घर के मंदिर में भगवान विष्‍णु और बलराम की प्रतिमा, फोटो या कैलेंडर के सामने दीपक जलाएं।
– इसके बाद विष्‍णु की प्रतिमा को अक्षत, फूल, मौसमी फल, नारियल और मेवे चढ़ाएं।
– विष्‍णु की पूजा करते वक्‍त तुलसी के पत्ते अवश्‍य रखें।
– इसके बाद धूप दिखाकर श्री हरि विष्‍णु की आरती उतारें।
– अब सूर्यदेव को जल अर्पित करें।
– एकादशी की कथा सुनें या सुनाएं।
– व्रत के दिन निर्जला व्रत करें।
– शाम के समय तुलसी के पास गाय के घी का एक दीपक जलाएं।
– रात के समय सोना नहीं चाहिए. भगवान का भजन-कीर्तन करना चाहिए।
– अगले दिन पारण के समय किसी ब्राह्मण या गरीब को यथाशक्ति भोजन कराए और दक्षिणा देकर विदा करें।
– इसके बाद अन्‍न और जल ग्रहण कर व्रत का पारण करे।
इस Apara Ekadashi Vrat Katha PDF में निम्न्लिखित जानकारी उपलब्ध है:
1) अपरा एकादशी का महत्‍व
2) अपरा एकादशी व्रत कथा
3) अपरा एकादशी क्या है
नीचे दिए गए लिंक पर क्लिक करके आप अपरा (अचला) एकादशी व्रत कथा हिंदी पीडीऍफ़ डाउनलोड क्र सकते हैं।

Download अपरा (अचला) एकादशी व्रत कथा | Apara Ekadashi Vrat Katha PDF using below link

REPORT THISIf the download link of अपरा (अचला) एकादशी व्रत कथा | Apara Ekadashi Vrat Katha PDF is not working or you feel any other problem with it, please Leave a Comment / Feedback. If अपरा (अचला) एकादशी व्रत कथा | Apara Ekadashi Vrat Katha is a copyright material Report This by sending a mail at [email protected]. We will not be providing the file or link of a reported PDF or any source for downloading at any cost.

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *