अनघा लक्ष्मी व्रत कथा | Anagha Laxmi Vrat Katha Hindi - Description
नमस्कार पाठकों, इस लेख के माध्यम से आप अनघा लक्ष्मी व्रत कथा / Anagha Laxmi Vrat Katha PDF प्राप्त कर सकते हैं। अनघा लक्ष्मी व्रत माता लक्ष्मी जी को समर्पित एक दिव्य व्रत है जिसके माध्यम से आप देवी लक्ष्मी जी को सरलता से प्रसन्न कर सकते हैं। श्री लक्ष्मी जी को धन, संपत्ति तथा वैभव की देवी माना जाता है।
देवी लक्ष्मी जी भगवान् श्री विष्णु जी को परम प्रिय हैं इसलिए जी भी व्यक्ति अनघा लक्ष्मी व्रत का पालन करता है उस पर श्री लक्ष्मी जी की कृपा तो होती ही है साथ ही साथ भगवान् श्री विष्णु जी भी उस व्यक्ति पर प्रसन्न होते हैं और उसके जीवन में आने वाले विभिन्न प्रकार के संकटों को भी उसके जीवन से हर लेते हैं।
महालक्ष्मी अष्टकम तथा श्री महालक्ष्मी कवच का ध्यान करने से लक्ष्मी माता अत्यंत प्रशन्न हो जाती है और खूब कृपा बरसाती हैं। भक्तजनों को महालक्ष्मी मंत्र का जाप करते रहना चाहिए। सच्चे मन से माता की पूजा- अर्चना कर के लक्ष्मी जी की आरती भी अवश्य करनी चाहिए। श्री लक्ष्मी सहस्रनाम स्तोत्र तथा सिद्ध लक्ष्मी स्तोत्र का नियमित पाठ करने से लक्ष्मी जी खुश होकर अपने भक्तों की हर मनोकामना पूरी करती हैं। जो भी भक्तजन आर्थिक रूप से परेशान है उन्हें वैभव लक्ष्मी का व्रत रखना चाहिए और वैभव लक्ष्मी व्रत कथा सुननी चाहिए ऐसा करने से मैया अपने भक्तों पर खूब धनवर्षा करती हैं।
अनघा लक्ष्मी व्रत कथा PDF | Anagha Laxmi Vrat Katha PDF
एक बार दत्तात्रेय जी पाच साल के उम्र में ही एक तालाब के अंदर चले गए । उनके आसपास जो उनके अनुयायी थे वो उनकी राह देखते देखते उसी तालाब के किनारे रुक गए ।
ऐसे में काफी साल गुजर गए और जब समाधि रूप त्याग करके दत्तात्रेय जी को तलाब से बहार आना था । तब उन्होंने देखा कि उनके अनुयायी अभीतक वैसे ही किनारे पर हैं ।
अनुयाइयों का वही भाव अभीतक हैं अथवा नहीं , इसका परीक्षण करने के लिए उन्होंने अपनी यौगिक शक्ति को प्रगट करके भेजा । जब वो तालाब से बाहर आई तो शराब के धुन में नाचने लगी । कुछ लोगो ने उसे मधुमती कहा , कुछ ने तो नदी का नाम दिया । क्योंकि वो शराब के धुंद में नाच रही थी । कुछ ने तो उसे दत्तात्रेय जी की स्त्री रचना कही ।
जब कि दत्तात्रेय जी तलाब से बहार आए , तब उनोने उस स्त्री का नाम ” अनघा ” रखा । अनघा का अर्थ पापरहीत हैं ।
वह बहुत अनुयायियों ने उस स्त्री का मूल स्वरूप न समझके पाप रूपी नामो से बोला था , वह दत्तात्रेय जी ने सुना । तथा जिन लोगों ने उसे पापरहीत समझा , वह लोग सुख समृद्धि को प्राप्त हो गए ।
अनघा का अर्थ ही पापरहीत हैं । वह सभी पाप और दुःख को भगा सकती हैं ।
अगर दत्तात्रेय जी अनघा देव हैं , तो उनकी यौगिक शक्ति दत्तात्रेयी अनघा देवी हैं ।
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