अहोई अष्टमी माता की आरती / Ahoi Ashtami Mata Ki Aarti PDF Hindi

अहोई अष्टमी माता की आरती / Ahoi Ashtami Mata Ki Aarti Hindi PDF Download

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अहोई अष्टमी माता की आरती / Ahoi Ashtami Mata Ki Aarti Hindi - Description

नमस्कार पाठकों, इस लेख के माध्यम से आप अहोई अष्टमी माता की आरती PDF / Ahoi Ashtami Mata Aarti PDF in Hindi प्राप्त कर सकते हैं। अहोई अष्टमी माता का पूजन हिन्दू महिलाओं के बीच अत्यधिक प्रचलित होता है। यह व्रत माताओं द्वारा अपने शिशुओं की दीर्घायु के लिए किया जाता है। इस व्रत में पुरे दिन के उपवास के पश्चात रात्रि में तारों को अर्घ्य अर्पित किया जाता है।

अहोई माता के पूजन में अहोई अष्टमी व्रत कथा को पढ़ना भी बहुत अधिक महत्वपूर्ण होता है। कहा जाता है की किसी भी प्रकार का पूजन व अनुष्ठान बिना आरती किये संपन्न नहीं माना जाता है। अतः पूजन के अंत में सम्बंधित देवी – देवताओं की आरती करना भी अत्यधिक आवश्यक है। आप भी अहोई अष्टमी पूजन के उपरांत अहोई अष्टमी माता की आरती अवश्य करें।

अहोई माता जी की आरती PDF / Ahoi Mata Ki Aarti PDF in Hindi

जय अहोई माता, मइया जय अहोई माता।

तुमको निसदिन ध्यावत हर विष्णु विधाता॥

जय अहोई माता॥

ब्रह्माणी, रुद्राणी, कमला तू ही है जगमाता।

सूर्य-चंद्रमा ध्यावत नारद ऋषि गाता॥

जय अहोई माता॥

माता रूप निरंजन सुख-सम्पत्ति दाता।

जो कोई तुमको ध्यावत नित मंगल पाता॥

जय अहोई माता॥

तू ही पाताल बसंती, तू ही है शुभदाता।

कर्म-प्रभाव प्रकाशक जगनिधि से त्राता॥

जय अहोई माता॥

जिस घर तुम्हरो वासा, ताहि घर गुण आता।

कर न सके सोई कर ले, मन नहीं घबराता॥

जय अहोई माता॥

तुम बिन सुख न होवे न कोई पुत्र पाता।

खान-पान का वैभव तुम बिन नहीं आता॥

जय अहोई माता॥

शुभ गुण सुंदर युक्ता, क्षीर निधि की जाता।

रतन चतुर्दश तुम बिन कोई नहीं पाता॥

जय अहोई माता॥

श्री अहोई मां की आरती जो कोई जन गाता।

उर उमंग अति उपजे पाप उतर जाता॥

जय अहोई माता॥

अहोई माता की कहानी PDF / Ahoi Mata Ki Kahani PDF in Hindi

प्राचीन काल में एक साहुकार था, जिसके सात बेटे और सात बहुएं थी। इस साहुकार की एक बेटी भी थी जो दीपावली के अवसर पर ससुराल से मायके आई थी I दीपावली पर घर को लीपने के लिए सातों बहुएं मिट्टी लाने जंगल में गई तो ननद भी उनके साथ जंगल की ओर चल पड़ी। साहुकार की बेटी जहां से मिट्टी ले रही थी उसी स्थान पर स्याहु (साही) अपने साथ बेटों से साथ रहती थी। खोदते हुए ग़लती से साहूकार की बेटी ने खुरपी से स्याहू का एक बच्चा मर गया। स्याहू इस पर क्रोधित होकर बोली मैं तुम्हारी कोख बांधूंगी।

स्याहू की यह बातसुनकर साहूकार की बेटी अपनी सातों भाभीयों से एक एक करके विनती करती हैं कि वह उसके बदले अपनी कोख बंधवा लें। सबसे छोटी भाभी ननद के बदले अपनी कोख बंधवाने के लिए तैयार हो जाती है। इसके बाद छोटी भाभी के जो भी बच्चे थे वह सभी सात दिन बाद मर जाते हैं। सात पुत्रों की इस प्रकार मृत्यु होने के बाद उसने पंडित को बुलवाकर इसका कारण पूछा। पंडित ने सुरही गाय की सेवा करने की सलाह दी।

सुरही सेवा से प्रसन्न होती है और उसे स्याहु के पास ले जाती है। रास्ते में थक जाने पर दोनों आराम करने लगते हैं। अचानक साहुकार की छोटी बहू की नज़र एक ओर जाती हैं, वह देखती है कि एक सांप गरूड़ पंखनी के बच्चे को डंसने जा रहा है और वह सांप को मार देती है। इतने में गरूड़ पंखनी वहां आ जाती है और खून बिखरा हुआ देखकर उसे लगता है कि छोटी बहु ने उसके बच्चे के मार दिया है। इस पर वह छोटी बहू को चोंच मारना शुरू कर देती है। छोटी बहू इस पर कहती है कि उसने तो उसके बच्चे की जान बचाई है।

गरूड़ पंखनी इस पर खुश होती है और सुरही सहित उन्हें स्याहु के पास पहुंचा देती है। स्याहु छोटी बहू की सेवा से प्रसन्न होकर उसे सात पुत्र और सात बहुएं होने का अशीर्वाद देती है। स्याहु के आशीर्वाद से छोटी बहु का घर पुत्र और पुत्र की वधुओं से हरा भरा हो जाता है। अहोई अष्टमी का अर्थ एक प्रकार से यह भी होता है “अनहोनी को होनी बनाना” जैसे साहुकार की छोटी बहू ने कर दिखाया था।
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