Ahoi Ashtami Vrat Ki Kahani PDF in Hindi

Ahoi Ashtami Vrat Ki Kahani Hindi PDF Download

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Ahoi Ashtami Vrat Ki Kahani Hindi PDF Summary

नमस्कार मित्रों, इस पोस्ट के माध्यम से हम आपको अहोई अष्टमी की कहानी PDF / Ahoi Ashtami Vrat Ki Kahani PDF in Hindi के लिए डाउनलोड लिंक दे रहे हैं। इस बार अहोई अष्टमी का व्रत 17 अक्टूबर, सोमवार को रखा जाएगा। इसमें महिलाएं बिना अन्न जल ग्रहण किए निर्जल व्रत रखती हैं। उत्थान ज्योतिष संस्थान के निदेशक ज्योतिर्विद पं. दिवाकर त्रिपाठी पूर्वांचली ने बताया कि अहोई चंद्रोदय व्यापिनी अष्टमी 17 को सुबह 8:06 बजे के बाद शुरू होगी, जो अगले दिन सुबह 10:14 बजे तक रहेगी। इस पोस्ट में दिए गए लिंक पर क्लिक कर के आप Ahoi Mata Ki Kahani PDF in Hindi डाउनलोड कर सकते हैं।

अहोई अष्‍टमी का व्रत संतान के सुखी और लंबे जीवन के लिए किया जाता है। साथ ही संतान के सुखद भविष्‍य के लिए इस दिन कुछ उपाय करना भी बहुत फलदायी माना गया है। अहोई अष्‍टमी का व्रत संतान प्राप्ति के लिए भी किया जाता है। इसके लिए अहोई माता के साथ-साथ शिव परिवार की पूजा करें। पूजा में केवल पूरी और मीठे पुए का भोग लगाएं और फिर इस प्रसाद को गरीब बच्चों में बांटें। ऐसा करने से जल्‍द मनोकामना पूरी होगी।

अहोई अष्टमी की कहानी PDF | Ahoi Ashtami Vrat Ki Kahani PDF in Hindi

पूजा के दौरान साहूकार की कथा को पढ़ना या सुनना अनिवार्य बताया गया है। इस कथा के अनुसार प्राचीन काल में एक साहूकार के सात बेटे और सात बहुएं थीं. इस साहूकार की एक बेटी भी थी जो दीपावली में ससुराल से मायके आई थी। दीपावली पर घर को लीपने के लिए सातों बहुएं और बेटी मिट्टी लाने जंगल गईं। बेटी जहां मिट्टी काट रही थी उस स्थान पर स्याहु (साही) अपने सात बेटों से साथ रहती थी।

मिट्टी काटते हुए ग़लती से साहूकार की बेटी की खुरपी के चोट से स्याहु का एक बच्चा मर गया। स्याहु इस पर क्रोधित होकर बोली कि तुमने मेरे बच्चे को मारा है, अब मैं तुम्हारी कोख बांध दूंगी। स्याहू की बात से डरकर साहूकार की बेटी अपनी सातों भाभियों से बचाने की गुहार लगाने लगी और भाभियों से विनती करने लगी कि वे उसकी जगह पर अपनी कोख बंधवा लें। सातों भाभियों में से सबसे छोटी भाभी को अपनी ननद पर तरस आ गया और वो उसने स्याहु से कहा कि आप मेरी कोख बांधकर अपने क्रोध को समाप्त कर सकती हैं।

स्याहु ने उसकी कोख बांध दी। इसके बाद छोटी भाभी के जो भी बच्चे हुए, वे जीवित नहीं बचे। सात दिन बाद उनकी मौत हो जाती थी। इसके बाद उसने पंडित को बुलवाकर इसका उपाय पूछा गया तो पंडित ने सुरही गाय की सेवा करने की सलाह दी। सुरही सेवा से प्रसन्न होती है और छोटी बहू से पूछती है कि तू किस लिए मेरी इतनी सेवा कर रही है। तब छोटी बहू कहती है कि स्याहु माता ने मेरी कोख बांध दी है जिससे मेरे बच्चे नहीं बचते हैं। आप मेरी कोख खुलवा दें तो आपकी बहुत मेहरबानी होगी। सेवा से प्रसन्न सुरही छोटी बहु को स्याहु माता के पास ले जाती है। वहां जाते समय रास्ते में दोनों थक कर आराम करने लगते हैं।

अचानक साहूकार की छोटी बहू देखती है कि एक सांप गरूड़ पंखनी के बच्चे को डंसने जा रहा है। तभी छोटी बहू सांप को मार देती है। इतने में गरूड़ पंखनी वहां आ जाती है और अपने बच्चे को जीवित देखकर प्रसन्न होती है। इसके बाद वो छोटी बहू और सुरही को स्याहु माता के पास पहुंचा देती है। वहां जाकर छोटी बहू स्याहु माता की सेवा करती है। इससे प्रसन्न स्याहु माता, उसे सात पुत्र और सात बहुओं से समृद्ध होने का का आशीर्वाद देती हैं और घर जाकर अहोई माता का व्रत रखने के लिए कहती हैं। इसके प्रभाव से छोटी बहू का परिवार पुत्र और बहुओं से भर जाता है।

Ahoi Mata Ki Kahani PDF in Hindi – पूजन विधि

  • इस दिन माताओं अथवा महिलाओं को सूर्योदय से पूर्व स्नान करके व्रत रखने का संकल्प लेना चाहिए।
  • अहोई माता की पूजा के लिए दीवार या कागज पर गेरू से अहोई माता का चित्र बनाना चाहिए।
  • माता का पूजना संध्याकाल में करें।
  • पूजा के लिए अहोई माता के चित्र के सामने एक चौकी रखकर उस पर जल से भरा कलश स्थापित करें।
  • रोली-चावल से अहोई माता की पूजा करें।
  • अहोई माता को भोग लगाने के लिए महिलाएं दही, आटा, चीनी या गुड़ मिला कर मीठे पुए बनायें।
  • कहीं-कहीं आटे के हलवे का भी भोग लगाया जाता है।
  • रोली से कलश पर स्वास्तिक बनाया जाता है।
  • सात टीके लगाए जाते हैं और फिर हाथों में गेहूं के सात दाने ले कर महिलाएं, माताएं अहोई व्रत कथा को पढ़ें व सुनें।
  • पूजा व व्रत कथा सुनने के बाद कलश के जल से तारों को अर्घ्य अर्पित करें।
  • अहोई माता की विधिवत पूजा करने के बाद स्याहु माला धारण की जाती है।
  • स्याहु की माला में चांदी की मोती और अहोई माता की लॉकेट होती है।
  • पूजा के बाद महिलाएं बायना निकालती हैं और अपनी सास या पंडित को देकर आशीर्वाद लेती हैं।
  • पूजन के अंत में पारण किया जाता है।

नीचे दिये गए लिंक पर क्लिक करके आप बड़ी आसानी से अहोई अष्टमी की कहानी PDF / Ahoi Ashtami Vrat Ki Kahani PDF in Hindi डाउनलोड कर सकते हैं।

Ahoi Ashtami Vrat Ki Kahani pdf

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