अहोई आठे व्रत कथा | Ahoi Aathe Vrat Katha Hindi PDF Summary
प्रिय पाठकों, इस लेख के द्वारा अहोई आठे व्रत कथा PDF / Ahoi Aathe Vrat Katha PDF प्राप्त कर सकते हैं । अहोई आठे व्रत को विभिन्न क्षेत्रों में अहोई अष्टमी व्रत के नाम से भी जाना जाता है । यह व्रत अधिकांशतः पुत्रवती माताओं द्वारा अपने पुत्र की कुशलता एवं लंबी आयु के लिए किया जाता है । इस व्रत के दौरान रात्रिकाल में तारों को जल दिया जाता जाता है। यहाँ से आप अहोई आठे व्रत कथा PDF बड़ी आसानी से डाउनलोड कर सकते हैं वो भी बिना किसी परेशानी के।
इस व्रत का पूजन करते समय अहोई माता की कथा को पढ़ना भी बहुत महत्वपूर्ण है । यह कथा हमें अहोई आठे के व्रत की महिमा के बारे में बताता है । अहोई आठे का व्रत न केवल ग्रामीण इलाकों मे प्रचलित है बल्कि शहरी इलाकों में भी बहुत बड़े स्तर पर मनाया जाता है । इस व्रत को करने से अहोई माता की कृपा प्राप्त होती है तथा बालक स्वस्थ्य रहता है ।
अहोई आठे व्रत कथा PDF | Ahoi Aathe Ki Vrat Katha PDF
एक समय एक नगर में एक साहूकार रहता था। उसका भरापूरा परिवार था। उसके 7 बेटे, एक बेटी और 7 बहुएं थीं। दिपावाली से कुछ दिन पहले उसकी बेटी अपनी भाभियों संग घर की लिपाई के लिए जंगल से साफ मिट्टी लेने गई। जंगल में मिट्टी निकालते वक्त खुरपी से एक स्याहू का बच्चा मर गया। इस घटना से दुखी होकर स्याहू की माता ने साहूकार की बेटी को कभी भी मां न बनने का श्राप दे दिया। उस श्राप के प्रभाव से साहूकार की बेटी का कोख बंध गया।
श्राप से साहूकार की बेटी दुखी हो गई। उसने भाभियों से कहा कि उनमें से कोई भी एक भाभी अपनी कोख बांध ले। अपनी ननद की बात सुनकर सबसे छोटी भाभी तैयार हो गई। उस श्राप के दुष्प्रभाव से उसकी संतान केवल सात दिन ही जिंदा रहती थी। जब भी वह कोई बच्चे को जन्म देती, वह सात दिन में ही मृत्यु को प्राप्त हो जाता था। वह परेशान होकर एक पंडित से मिली और उपाय पूछा।
पंडित की सलाह पर उसने सुरही गाय की सेवा करनी शुरु की। उसकी सेवा से प्रसन्न गाय उसे एक दिन स्याहू की माता के पास ले जाती है। रास्ते में गरुड़ पक्षी के बच्चे को सांप मारने वाली होता है, लेकिन साहूकार की छोटी बहू सांप को मारकर गरुड़ पक्षी के बच्चे को जीवनदान देती है। तब तक उस गरुड़ पक्षी की मां आ जाती है। वह पूरी घटना सुनने के बाद उससे प्रभावित होती है और उसे स्याहू की माता के पास ले जाती है।
स्याहू की माता जब साहूकार की छोटी बहू की परोपकार और सेवाभाव की बातें सुनती है तो प्रसन्न होती है। फिर उसे सात संतान की माता होने का आशीर्वाद देती है। आशीर्वाद के प्रभाव से साहूकार की छोटी बहू को सात बेटे होते हैं, जिससे उसकी सात बहुएं होती हैं। उसका परिवार बड़ा और भरापूरा होता है। वह सुखी जीवन व्यतीत करती है। अहोई माता की पूजा करने बाद अहोई अष्टमी व्रत कथा अवश्य सुनना चाहिए।
अहोई आठे व्रत आरती PDF | Ahoi Aathe Vrat Ki Aarti PDF
जय अहोई माता, जय अहोई माता!
तुमको निसदिन ध्यावत हर विष्णु विधाता। टेक।।
ब्राह्मणी, रुद्राणी, कमला तू ही है जगमाता।
सूर्य-चंद्रमा ध्यावत नारद ऋषि गाता।। जय।।
माता रूप निरंजन सुख-सम्पत्ति दाता।।
जो कोई तुमको ध्यावत नित मंगल पाता।। जय।।
तू ही पाताल बसंती, तू ही है शुभदाता।
कर्म-प्रभाव प्रकाशक जगनिधि से त्राता।। जय।।
जिस घर थारो वासा वाहि में गुण आता।।
कर न सके सोई कर ले मन नहीं धड़काता।। जय।।
तुम बिन सुख न होवे न कोई पुत्र पाता।
खान-पान का वैभव तुम बिन नहीं आता।। जय।।
शुभ गुण सुंदर युक्ता क्षीर निधि जाता।
रतन चतुर्दश तोकू कोई नहीं पाता।। जय।।
श्री अहोई मां की आरती जो कोई गाता।
उर उमंग अति उपजे पाप उतर जाता।।
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