आचार्य रामचंद्र शुक्ल का जीवन परिचय PDF

आचार्य रामचंद्र शुक्ल का जीवन परिचय PDF Download

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आचार्य रामचंद्र शुक्ल का जीवन परिचय PDF Summary

नमस्कार मित्रों, आज इस लेख के माध्यम से हम आप सभी के लिए आचार्य रामचंद्र शुक्ल का जीवन परिचय PDF Hindi भाषा में प्रदान करने जा रहे हैं। आचार्य रामचन्द्र शुक्ल का जन्म सन् 1884 ई. में 4 अक्टूबर को उत्तर प्रदेश बस्ती जिले के अगोना नामक गांव में हुआ था रामचन्द्र शुक्ल जी अत्यंत ही प्रसिद्ध कहानीकार, निबन्धकार, साहित्येतिहासकार, कोशकार, अनुवादक, कथाकार थे। इसी के साथ वे हिन्दी आलोचक, और कवि भी थे।

माना जाता है कि हिन्दी साहित्य का इतिहास पुस्तक उनके द्वारा लिखी गई सर्वाधिक महत्त्वपूर्ण पुस्तकों में से एक है। इस पुस्तक के माध्यम से आज भी काल निर्धारण एवं पाठ्यक्रम निर्माण में सहायता ली जाती है। इतना ही नहीं हिन्दी निबन्ध के क्षेत्र में भी शुक्ल जी का महत्त्वपूर्ण योगदान रहा है। आचार्य रामचन्द्र शुक्ल के पिता जी का नाम पं॰ चंद्रबली शुक्ल तथा इनकी माता जी का नाम विभाषी था।

जब इनके पिता पं॰ चंद्रबली शुक्ल  जी की नियुक्ति सदर कानूनगो के पद पर मिर्जापुर में हुई तो पूरा परिवार वहीं आकर रहने लगा। यह जब नौ वर्ष के थे तब इनकी माता का देहान्त हो गया था। माता के देहांत के दुःख ने इनको अल्पायु में ही परिपक्व बना दिया था। आचार्य रामचन्द्र शुक्ल जी का निधन सन् 1941 ईस्वी में 2 फरवरी को वाराणसी में हुआ था। इस लेख के द्वारा आप आचार्य रामचंद्र शुक्ल का जीवन परिचय इन हिंदी भाषा में पीडीएफ़ प्रारूप में आसानी से प्राप्त कर सकते हैं।

आचार्य रामचंद्र शुक्ल का जीवन परिचय PDF | Acharya Ramchandra Shukla Ka Jivan Parichay in

Hindi PDF

पूरा नाम आचार्य रामचन्द्र शुक्ल
अन्य नाम आचार्य शुक्ल
जन्म तिथि 4 अक्टूबर 1884
जन्म स्थान आगोना नामक ग्राम, बस्ती जिला
मृत्यु तिथि वाराणसी
मृत्यु स्थान वाराणसी
आयु (मृत्यु के समय) 56 वर्ष
मृत्यु का कारण हृदय गति रुक जाने से
राष्ट्रीयता भारतीय
शिक्षा काशी हिन्दू विश्वविद्यालय
व्यवसाय लेखक, निबंधकार, उपन्यासकार, विद्वान, इतिहासकार, आलोचक
भाषा संस्कृत मिश्रित शुद्ध परिमार्जित खड़ी बोली
शैली सामासिक शैली है
निबन्ध चिन्तामणि भाग 1 और 2, विचार वीथी
आलोचना सूरदास, रस मीमांसा काव्य में रहस्यवाद
पिता का नाम चंद्रबली शुक्ला
माता का नाम विभाषी
पत्नी का नाम सावित्री देवी
बच्चों के नाम दुर्गावती शुक्ला, गोकुल चंद्र शुक्ला, केशव चंद्र शुक्ला, विद्या शुक्ला, कमला शुक्ला

आचार्य रामचंद्र शुक्ल का जीवन परिचय PDF

  • हिन्दी भाषा के उच्चकोटि के साहित्यकार आचार्य रामचन्द्र शुक्ल की गणना प्रतिभा सम्पन्न निबन्धकार, समालोचक इतिहासकार, अनुवादक एवं महानु शैलीकार के रूप में की जाती है। गुलाबराय के अनुसार, “उपन्यास साहित्य में जो स्थान मुंशी प्रेमचन्द का है, वही स्थान निबन्ध साहित्य में आचार्य रामचन्द्र शुक्ल का है।
  • आचार्य रामचन्द्र शुक्ल का जन्म 1884 ई. में बस्ती जिले के अगोना नामक ग्राम में हुआ था। इनके पिता का नाम चन्द्रबली शुक्ल था। इण्टरमीडिएट में आते ही इनकी पढ़ाई छूट गई। ये सरकारी नौकरी करने लगे, किन्तु स्वाभिमान के कारण यह नौकरी छोड़कर मिर्जापुर के मिशन स्कूल में चित्रकला अध्यापक हो गए।
  • हिन्दी, अंग्रेजी, संस्कृत, बांग्ला, उर्दू, फारसी आदि भाषाओं का ज्ञान इन्होंने स्वाध्याय से प्राप्त किया। बाद में काशी नागरी प्रचारिणी सभा काशी से जुड़कर इन्होंने ‘शब्द-सागर’ के सहायक सम्पादक का कार्यभार सँभाला।
  • इन्होंने काशी विश्वविद्यालय में हिन्दी विभागाध्यक्ष का पद भी सुशोभित किया। शुक्ल जी ने लेखन का शुभारम्भ कविता से किया था। नाटक लेखन की ओर भी इनकी रुचि रही, पर इनकी प्रखर बुद्धि इनको निबन्ध लेखन एवं आलोचना की ओर ले गई। निबन्ध लेखन और आलोचना के क्षेत्र में इनका सर्वोपरि स्थान आज तक बना हुआ है।
  • जीवन के अन्तिम समय तक साहित्य साधना करने वाले शुक्ल जी का निधन सन् 1941 में हुआ।

आचार्य रामचन्द्र शुक्ल का साहित्यिक परिचय PDF

हिन्दी साहित्य में आचार्य शुक्ल जी का प्रवेश कवि और निबन्धकार के रूप में हुआ। इन्होंने अंग्रेजी और बंगला भाषा के कुछ सफल अनुवाद किये। बाद में आलोचना के क्षेत्र में पदार्पण किया और हिन्दी के युगप्रवर्तक आलोचक के रूप में प्रसिद्धि प्राप्त की। इन्होंने सैद्धान्तिक और व्यावहारिक दोनों प्रकार की आलोचनाएँ लिखीं।

यह मनोवैज्ञानिक निबन्धों के भी प्रणेता हैं। चिन्तामणि के निबन्ध इसी कोटि के हैं। तुलसी, जायसी और सूर पर इन्होंने लम्बी व्यावहारिक आलोचनाएँ लिखी हैं। इन्होंने हिन्दी साहित्य का इतिहास लिखकर लेखन की परम्परा का सूत्रपात किया। इस प्रकार शुक्ल जी उच्चकोटि के निबन्धकार श्रेष्ठ आलोचक गम्भीर विचारक और कुशल साहित्य-इतिहास के लेखक थे।

निबन्ध के क्षेत्र में उनका कोई सानी नहीं। अत: इनको निबन्ध सम्राट कहा जाये तो कोई अत्युक्ति न होगी। इसलिए इनका नाम हिन्दी साहित्याकाश में सितारे की भाँति दैदीप्यमान है और रहेगा।

आचार्य रामचंद्र शुक्ल की रचनाएँ एवं कृतियां इन हिंदी PDF

शुक्ल जी एक प्रसिद्ध निबंधकार, निष्पक्ष आलोचक, श्रेष्ठ इतिहासकार और सफल संपादक थे। अपने अध्यापन काल के दौरान इन्होनें कई प्रकार के ग्रन्थों की रचना की। यह एक युग प्रवर्तक एवं प्रतिभा संपन्न रचनाकार थे। इनकी रचना शैली में सबसे प्रमुख “आलोचनात्मक” शैली है।

शुक्ल जी अपने समय के सबसे प्रसिद्ध रचनाकार माने जाते हैं। हिन्दी साहित्य में शुक्ल जी का आगमन कवि और निबन्धकार के रूप में हुआ किन्तु बाद में आप समालोचक हो गये। इसीलिए आपकी रचनाओं में विविधता है।

शुक्ल जी की प्रमुख रचनाएँ निम्न लिखित हैं :

इतिहास ‘हिन्दी साहित्य का इतिहास’।
आलोचना ‘सूरदास’, ‘रसमीमांसा’, ‘त्रिवेणी’।
सम्पादन जायसी ग्रन्थावली’, ‘तुलसी ग्रन्थावली’, ‘भ्रमरगीत सार’, ‘हिन्दी शब्द सागर’, ‘काशी नागरी प्रचारिणी पत्रिका’, ‘आनन्द कादम्बिनी’।
निबन्ध ‘चिन्तामणि’ भाग 1 और 2 तथा ‘विचार वीथी।

आचार्य रामचन्द्र शुक्ल की प्रमुख कृतियां निम्न लिखित हैं :

निबन्ध चिन्तामणि भाग 1 और 2, विचार वीथी।
इतिहास हिन्दी साहित्य का इतिहास — यह हिन्दी साहित्य का प्रथम वैज्ञानिक प्रमाणिक इतिहास है।
आलोचना सूरदास, रस मीमांसा काव्य में रहस्यवाद।
सम्पादित जायसी ग्रन्थावली, भ्रमर गीतसार, काशी नागरी प्रचारिणी पत्रिका, हिन्दी शब्द सागर, तुलसी ग्रन्थावली।
काव्य बुद्ध चरित्र, अभिमन्यु वध।
अनुदित आदर्श जीवन, कल्पना का आनन्द, विश्व प्रपंच, मेगस्थनीज का भारतवर्षीय विवरण।

आचार्य रामचन्द्र शुक्ल की भाषा शैली PDF

आचार्य रामचन्द्र शुक्ल ने अपने साहित्य में सर्वत्र संस्कृत मिश्रित शुद्ध परिमार्जित खड़ी बोलो को अपनाया है। आपकी रचनाओं में एक भी व्यर्थ का शब्द मिलना कठिन है। वाक्य के गठन में एक भी शब्द निकाला, बढ़ाया या इधर-उधर नहीं किया जा सकता है। यद्यपि शुक्ल जी की भाषा प्रौढ़, तत्सम शब्द प्रधान परिष्कृत तथा पूर्ण साहित्यिक है फिर भी उसे दुरूह नहीं कहा जा सकता।

उसमें भावानुकूलता, सरलता तथा सुन्दर प्रवाह सर्वत्र विद्यमान है। उर्दू तथा अंग्रेजी के शब्दों का प्रयोग आपने न के बराबर ही किया है। जहाँ कहीं ऐसे शब्द आये हैं वहाँ उनका कोई विशेष प्रयोजन ही है। आपकी भाषा में व्याकरण चिन्हों की सतर्कता सर्वत्र विद्यमान है। कथन में ओज लाने हेतु आलंकारिक भाषा का प्रयोग आपने किया है।

आचार्य रामचन्द्र शुक्ल की शैली सामासिक है। कम-से-कम शब्दों में बड़ी-से-बड़ी बात कहना शुक्ल जी की शैली की विशेषता है।

इनकी शैली के विविध रूप निम्नलिखित हैं –

आलोचनात्मक शैली गम्भीर तथा आलेचनात्मक निबन्धों में शुक्ल जी ने इस शैली को अपनाया है।
वर्णनात्मक शैली इस शैली में भाषा सुबोध तथा व्यावहारिक है।
व्यंग्यात्मक शैली गम्भीर निबन्धों में व्यंग्यात्मक शैली का प्रयोग कर उसमें हास्य-व्यग्य की झलक प्रदान की है।
विचारात्मक शैली विचार प्रधान निबन्धों में इस शैली का प्रयोग है।

आचार्य रामचंद्र शुक्ल का हिन्दी साहित्य में स्थान

आचार्य रामचन्द्र शुक्ल हिन्दी साहित्य के युग प्रणेता साहित्यकारों की कोटि में आते हैं। ये श्रेष्ठ आलोचक, गम्भीर विचारक और उच्च कोटि के निबन्धकार थे। निबन्ध के क्षेत्र में उनका कोई सानी नहीं। अत : इन्हें निबन्ध सम्राट कहा जाये तो कोई अत्युक्ति न होगी।

इन्होंने अपनी अलौकिक प्रतिभा से हिन्दी साहित्य जगत को आलोकित कर नवीन मार्ग पर अग्रसरित किया और उसे उच्च शिखर पर लाकर खड़ा कर दिया। इसलिए इनका नाम हिन्दी साहित्याकाश में सितारे की भाँति दैदीप्यमान है और रहेगा।

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